*भारत-पाक सिंधु जल आयोग की बैठक में दिखे नरम रुख से रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने की जागी उम्मीद*
यह बैठक 1960 में हुई सिंधु जल संधि (IWT) के तहत हर साल होती है। सोमवार से शुरू हुई इस साल की वार्ता में भाग लेने पाकिस्तान से एक महिला अधिकारी समेत छह सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल दिल्ली आया है।
*REPORT BY SAHIL PATHAN*
भारत और पाकिस्तान के स्थायी सिंधु आयोग की दो दिनी सालाना बैठक मंगलवार को अंतिम दौर में पहुंच गई। दोनों पक्षों ने इसमें सकारात्मक रुख दिखाया है। आयोग की यह 118 वीं बैठक है।
यह बैठक 1960 में हुई सिंधु जल संधि (IWT) के तहत हर साल होती है। सोमवार से शुरू हुई इस साल की वार्ता में भाग लेने पाकिस्तान से एक महिला अधिकारी समेत छह सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल दिल्ली आया है। दोनों देश इस वार्ता को अनिवार्य मानते हैं, इसलिए मौजूदा गतिरोध के बावजूद यह ठप होने से बच गई। बैठक में भाग लेने आए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में सैयद मोहम्मद, मेहर अली शाह, साहिबजाद खान, हबीब उल्लाह बोदला, समन मुनीब और खालिद महमूद शामिल हैं। वहीं, भारत के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत के नए सिंधु आयुक्त एके पाल कर रहे हैं।

*इस्लामाबाद में मार्च में हुई थी पिछली बैठक*
यह बैठक इस्लामाबाद में हुई पिछली बैठक के तीन महीने के भीतर हो रही है। स्थायी सिंधु आयोग (PIC) की 117 वीं बैठक 1 से 3 मार्च तक इस्लामाबाद में हुई थी। इसमें भारतीय टीम का नेतृत्व भारत के तत्कालीन सिंधु आयुक्त पीके सक्सेना ने किया था।

*छह नदियों के पानी के बंटवारे पर होती है चर्चा*
सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) 1960 के प्रावधानों के अनुसार-सिंधु घाटी क्षेत्र की छह नदियों के पानी के बंटवारे पर इस बैठक में विचार होता है। दोनों देशों में इस वार्ता के लिए सिंधु जल आयुक्त और स्थायी सिंधु आयोग है। आयोग की हर साल कम से कम एक बार बैठक होती है। यह बारी-बारी से भारत और पाकिस्तान में आयोजित की जाती है। सिंधु घाटी क्षेत्र की छह नदियों में भारत का तीन पूर्वी नदियां – सतलुज, ब्यास और रावी पर पूर्ण अधिकार है, जबकि पश्चिमी नदियों- चिनाब, झेलम और सिंधु पर पाकिस्तान का अधिकार है। पिछले साल 23-24 मार्च को दिल्ली में हुई बैठक में जल विज्ञान और बाढ़ के आंकड़ों के आदान-प्रदान पर चर्चा हुई थी। पिछली बैठक में भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को उसकी वास्तविक भावना से लागू करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी।

*बैठक का मतलब कूटनीतिक वार्ता की बहाली नहीं*
दोनों देश सिंधु वार्ता को कूटनीतिक वार्ता की बहाली की दिशा में कदम नहीं मानते हैं। भारत व पाकिस्तान के बीच अंतिम बार दिसंबर 2015 में राजनयिक वार्ता हुई थी। उसके बाद से कूटनीतिक रिश्ते ठप हैं। पठानकोट व उरी हमलों व भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद तो इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई।


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