NATIONAL NEWS

*स्मृतियाँ* : By Dr Shalini yadav

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

*स्मृतियाँ*

स्मृतियों के धागे में पिरोकर
मोतियन प्रेम और विश्वास के
बुनी थी हमने एक माला
हरेक साँस के साथ जपने को तेरा नाम…

तेरे नाम की माला फेरते फेरते; तल्लीन,
गुजरते है अब हमारे दिन महीने साल।

सहेज कर रखी तुम्हारे अपनेपन की
उन स्मृतियों पर मुस्करा देते हैं
तो कभी बीते पलों में खोकर
कड़वी हकीकत भुलाने की कोशिश करते हैं…

जीवन कठिन है तुम बिन बहुत; मरणासन्न,
तेरी करीबियों की आस के सहारे काटते जाते बेहाल।

सवालों से घिरे घुटते रहते
वास्तविकता से लम्हा दर लम्हा भागते रहते
सही-गलत के बीच पेंडुलम से झूलते
मन के झंझावत से लड़ते रहते…

ख्वाबों को बिखरने से बचाते; रोते-कराहते,
वापिस स्मृतियों की छाया में सो जाते होकर निढाल।

तुम सही तुम्हारा नजरिया सही
भावों को भीतर मारकर,
कही अंधे कुएँ में फेंककर
यथार्थ का भरपूर आनंद लेते हो…

देकर हमें उपेक्षा-तिरस्कार; अश्क और पीड़ा,
अश्व की भांति आगे बढते जाते हो सधे चाल।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!