केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) की तीसरी वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता की। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
डॉ. विनोद के पॉल, सदस्य, नीति आयोग, भी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए। साथ ही, इस समारोह में ऑनलाइन माध्यम से देश भर के 6800 से अधिक आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के आशा, एएनएम और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों सहित स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
डॉ. हर्षवर्धन ने इस कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि तीन साल पहले (2018 में) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जांगला में पहले आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र का उद्घाटन किया था। भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उनसे प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने कहा, “ये केंद्र उनके दर्शन के करीब हैं जो हमें सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए समाज में मानवीय गरिमा, बराबरी और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरित करते हैं।”
स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ के रूप में एचडब्ल्यूसी की भूमिका को स्पष्ट करते हुए, मंत्री ने कहा कि “प्रधानमंत्री के पास न केवल एक दूरदृष्टि थी, बल्कि उन्होंने इसे जमीन पर उतारने का भी नेतृत्व किया,” और आगे बताया कि यह कदम स्वास्थ्य को जन आंदोलन के रूप में संस्थागत बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। महामारी के बावजूद, भारत ने अब तक 75,532 एचडब्ल्यूसी का संचालन किया है और दिसंबर 2022 तक 1.5 लाख एचडब्ल्यूसी और स्थापित करने का कार्य जोरों पर है। महिलाएं इस आंदोलन की अगुवाई कर रही हैं क्योंकि सभी फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आशा वर्कर्स और एएनएम में महिलाएं शामिल हैं। एचडब्ल्यूसी पर घर से निकटता और व्यक्तिगत देखभाल के चलते बड़ी संख्या में महिलाओं को इन केंद्रों पर जांच और इलाज के लिए आगे आने में सक्षम बनाया है। 13 अप्रैल 2021 तक, इन केंद्रों पर 23.8 करोड़ से अधिक महिलाओं (53.7%) ने देखभाल संबंधी कार्य संभाला है, जिसमें 44.24 करोड़ से अधिक की बढ़त देखी गई।
डॉ. हर्षवर्धन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य/ केंद्र-शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य अधिकारियों को एचडब्ल्यूसी का दौरा करने के लिए कहा, जहां जाकर वे वहां के कामकाज का सीधे तौर पर जायजा ले सकें और उनकी बाधाओं और कमियों को दूर करने की दिशा में काम कर सकें। उन्होंने विभिन्न राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों द्वारा नियोजित सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखकर इस आंदोलन को मजबूत करने के लिए नये मॉडलों के बीच प्रतिस्पर्धा का आह्वान भी किया। उन्होंने एचडब्ल्यूसी कार्यक्रम की अब तक की उपलब्धियों को भी विस्तार से बताया, “आयुष्मान भारत-एचडब्ल्यूसी ने उच्च रक्तचाप के लिए 9.82 करोड़ और मधुमेह के लिए 8.05 करोड़ लोगों की जांच की है। यह भी उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ ने विश्व मधुमेह दिवस को आज इंसुलिन की खोज के रूप में मनाया।” उन्होंने यह भी कहा कि तीन सामान्य कैंसर की जांच जिसमें मौखिक कैंसर (5.08 करोड़ स्क्रीनिंग), स्तन कैंसर (महिलाओं में 2.64 करोड़ स्क्रीनिंग) और सर्वाइकल कैंसर (महिलाओं में 1.79 करोड़ स्क्रीनिंग) केंद्रों पर किए गए हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने सभी नागरिकों के समग्र स्वास्थ्य के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर भी बात की, जो स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में परिलक्षित होता है: “इस वर्ष के लिए स्वास्थ्य बजट में 137% की अभूतपूर्व वृद्धि हुई यानी 2,23,846 करोड़ रुपए का आवंटन इस क्षेत्र के लिए हुआ है। इसमें कोविड-19 वैक्सीन के लिए समर्पित 35,000 करोड़ रुपये शामिल हैं। अगले 5 वर्षों में लगभग 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना भारत योजना (पीएमएएसबीवाई) प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता विकसित करेगी, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थानों को मजबूत करेगी और नए संस्थानों का निर्माण करेगी। इसके अलावा नए और उभरते रोगों का पता लगाना और उनका इलाज करना भी इसके कार्यक्षेत्र का हिस्सा होगा। इनमें से कई कदम सिर्फ एचडब्ल्यूसी की मदद करने के लिए उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना (पीएम-एएसबीवाई) में 17,788 ग्रामीण और 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को सहायता प्रदान की जाएगी जो बुनियादी ढांचे की कमी के अंतर को पूरा करेगी और शहरी क्षेत्रों में अधिक विकेंद्रीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों को सक्षम करेगी।”
डॉ. हर्षवर्धन ने प्राथमिक उपचार केंद्रों के स्तर पर कॉमन इमर्जेंसी, बर्न एंड ट्रॉमा के प्रबंधन के लिए ऑपरेशनल गाइडलाइंस, एचडब्ल्यूसी में प्रशामक देखभाल (पल्लिनेटिव केयर) के लिए ऑपरेशनल गाइडलाइंस, एचडब्ल्यूसी में बुजुर्गों की देखभाल के लिए ऑपरेशनल गाइडलाइंस, एचडब्ल्यूसी में 12 सर्विसेज पर पोस्टर और रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स -2019 -20 (मार्च 2020 तक) जारी कीं। आज केंद्रीय मंत्री ने एक एचडब्ल्यूसी पोर्टल का उद्घाटन भी किया जो एचडब्ल्यूसी में प्रदान की जा रही सेवाओं पर उपयोगी जानकारी प्रदान करने के लिए एक सार्वजनिक इंटरफेज प्रदान करता है।
19 राज्यों (पंजाब, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, मिजोरम, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम, गोवा और मणिपुर) और 5 केंद्र शासित प्रदेशों (पुडुचेरी, चंडीगढ़, दादर एवं नगर हवेली और दमन और दीव, अंडमान एवं निकोवार द्वीप, लक्षद्वीप) को वर्ष 2020-21 के लिए अपने 100 प्रतिश लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सम्मानित किया गया।
मिजोरम, मेघालय, राजस्थान को आयुष्मान भारत- एचडब्ल्यूसी (अप्रैल, 2020 से फरवरी 2021 की अवधि के बीच आयुष्मान भारत- एचडब्ल्यूसी में आयोजित कल्याण सत्रों की औसत संख्या के आधार पर कल्याण गतिविधियों के संचालन पर बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया)। केरल, तेलंगाना, गुजरात को आयुष्मान भारत- एचडब्ल्यूसी पर गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग पर असाधारण प्रदर्शन दिखाने के लिए सम्मानित किया गया (अप्रैल, 2020 से फरवरी 2021 की अवधि के बीच आयुष्मान भारत- एचडब्ल्यूसी के अनुसार सभी पाँच स्थितियों के लिए एनसीडी स्क्रीनिंग की औसत संख्या के आधार पर)। हरियाणा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ को 31 मार्च, 2021 तक आयुष्मान भारत- एचडब्ल्यूसी द्वारा एचडब्ल्यूसी ऐप को अपनाने पर असाधारण प्रदर्शन दिखाने के लिए सम्मानित किया गया।
श्री राजेश भूषण, सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, सुश्री वंदना गुरनानी, अपर सचिव और मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), श्री विकास शील, सयुंक्त सचिव (पॉलिसी), डॉ. सुनील कुमार, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, श्रीमती संध्या कृष्णमूर्ति, महानिदेशक सांख्यिकी के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशक, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सीपीएचसी टीमें, स्वास्थ्य मंत्रालय की अन्य संस्थाओं- एफएसएसएआई, डीएचआर, आईसीएमआर और संबंधित मंत्रालयों जैसे आयुष और युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय से भी अधिकारी मौजूद थे।
भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच ऑफरिन भी वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य विकास भागीदारों के साथ उपस्थित थे।
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