हाईकोर्ट ने कहा- ज्ञान और कौशल छीना नहीं जा सकता:अटेंडेंस कम होने पर कॉलेज ने एग्जाम से वंचित रखा था; फैसले में डिग्री देने के आदेश
जोधपुर

हाईकोर्ट ने अटेंडेन्स से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कहा- कैंडिडेट द्वारा ली हुई एक ऐसा काम है जो दिमाग से जुड़ा है। इसे ना तो छीना जा सकता है ना ही इसे समाप्त किया जा सकता है। इसके बाद कोर्ट ने स्टूडेंट को डिग्री जारी करने के आदेश दिए।
ये था मामला
जोधपुर की डॉ. सम्पूर्णानंद आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में की चिकित्सा के एनेस्थीसिया विभाग की 3 साल की डिग्री कर रही स्टूडेंट ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। लास्ट ईयर में स्टूडेंट की अटेंडेंस कम होने पर उसे फाइनल परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया था। आपत्ति जताते हुए स्टूडेंट ने मई 2022 में रिट याचिका पेश की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने एग्जाम में बैठने के आदेश जारी किए।
रिजल्ट आने पर स्टूडेंट अच्छे नंबर से पास हो गई लेकिन राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने स्टूडेंट का रिजल्ट घोषित नहीं किया। रिट याचिका की अंतिम सुनवाई पर याचिका के अधिवक्ता के तर्कों पर हाईकोर्ट जस्टिस नूपुर भाटी की सिंगल बैंच ने माना कि याचिकाकर्ता चिकित्सक एक योग्य अभ्यर्थी होकर स्नातकोत्तर डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एम.डी.) योग्यता अर्जित कर चुकी है। जो कौशल एवं ज्ञान एक बार हासिल कर लेने के बाद इसे नष्ट और छीना नहीं जा सकता है। कोर्ट ने स्टूडेंट का रिजल्ट घोषित करने व स्नातकोत्तर डिग्री देने के आदेश दिए।
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