DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS

हिंदुस्तानी ‘अफसर’ को ऐसे फंसाया हसीना ने

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare


REPORT BY SAHIL PATHAN
सोशल मीडिया पर महिलाओं को इम्प्रेस करने के चक्कर में वह ऐसी मुसीबत में पड़ जाएगा, उसने कभी सोचा न होगा। जीतेंद्र सिंह की राजस्थान के बाड़मेर में कपड़े की दुकान थी। काम-धंधा भी ठीक ही चल जाता था। लेकिन जिंदगी में कुछ मजा नहीं आ रहा था। बाड़मेर पाकिस्तान बॉर्डर से लगा हुआ है। सेना के अफसरों की आवाजाही वहां लगी रहती है। जब वह उनके रौब-दाब को देखता, तो सोचता- लाइफ तो ऐसी!
आखिरकार, उसने सेकेंडहैंड कपड़ों की दुकान से एक वर्दी खरीदी और फौजी अफसर की वर्चुअल जिंदगी जीने लगा। कंधे पर कितने स्टार लगते हैं, सीने पर नेमप्लेट कहां रहती है, बाईं जेब पर कौन रेजिमेंट किस तरह का चिह्न लगाती है, सबकुछ उसने पूरी बारीकी से पता किया। भूल-चूक की कोई गुंजाइश न रखी। सोशल मीडिया पर उसने खुद को बतौर फौजी अफसर पेश किया। उसकी फॉलोइंग बढ़ने लगी। बहुत सी महिलाएं भी ऑनलाइन दोस्त बन गईं।
जीतेंद्र सिंह अभी इस नई वर्चुअल जिंदगी का मजा ले ही रहा था कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेन्स यानी आईएसआई की नजरों में आ गया। इसके बाद उसकी जिंदगी ने ऐसी पलटी खाई कि पूछिए मत। मार्च 2021 में पूजा नाम की एक महिला से उसका फेसबुक के जरिये परिचय हुआ। उसने खुद को हिमाचल प्रदेश का रहने वाला बताया था। हालांकि, बाद में मिलिट्री इंटेलिजेन्स की जांच में पता चला कि पूजा आईएसआई का एक हनी ट्रैप थी और उसका आईपी ऐड्रेस कराची का था। आईएसआई ने फेसबुक पर जीतेंद्र के व्यवहार को बहुत बारीकी से पढ़ा था। वे समझ गए थे कि यह आसानी से किसी महिला की दोस्ती के जाल में फंस सकता है। फिर उन्होंने वही किया।
यहां एक सवाल है- क्या आईएसआई को मालूम था कि जीतेंद्र सिंह फर्जी अफसर है या फिर वह भी झांसे में आ गई? क्योंकि खुफिया एजेंसियां किसी को अपना मोहरा बनाने से पहले उसकी पूरी जन्मकुंडली खंगालती हैं। आईएसआई अपने नेटवर्क के जरिये जीतेंद्र सिंह की हकीकत का पता लगा पाने में चूक गई या फिर आईएसआई ने सबकुछ जानते-बूझते हुए उसे अपने काम में लगाने का फैसला किया? हो सकता है कि उसका इरादा जीतेंद्र सिंह के जरिये सेना का कोई बड़ा राज जानने के बजाय उसे अपना प्यादा बनाना हो, जो उसके कहे के मुताबिक छोटे-मोटे काम अंजाम दे सके।
जो भी हो, आईएसआई की कथित पूजा ने जीतेंद्र सिंह को अपने जाल में फंसाना शुरू किया। इस बीच जीतेंद्र बाड़मेर छोड़कर बेंगलुरु आ गया और शर्ट के डिस्ट्रीब्यूटर के बतौर काम कर रहा था। अपना खाली समय वह फेसबुक पर महिलाओं से चैटिंग में बिताता, जहां उसकी पहचान भारतीय सेना के कैप्टन की थी। जब वह पूरी तरह पूजा के हुस्न के जाल में फंस गया, तो वह उसे अपनी उंगलियों पर नचाने लगी। वह उसे कुछ काम करने को कहती और बदले में पैसे भी देती।
2021 में एकसाथ, भारत में कई जगह आईएसआई की गतिविधियों का पर्दाफाश हुआ। इसी में मिलिट्री इंटेलिजेन्स को जीतेंद्र सिंह का भी पता चला। लुधियाना में उसने आईएसआई के लिए काम करने वाले एक आदमी को पकड़ा। उससे पता चला कि वह नेहा नाम की किसी महिला को अहम दस्तावेज वट्सऐप के जरिये भेजता था। जांच में पता चला कि इस नंबर को पूजा नाम से भी कोई इस्तेमाल कर रहा है। कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए मिलिट्री इंटेलिजेन्स जीतेंद्र सिंह तक पहुंच गई। जांच में पता चला कि उन दिनों जीतेंद्र सिंह ऐसे शहरों की हवाई यात्रा कर रहा था, जहां उसका कोई कामकाज नहीं था। यह भी मालूम हुआ कि जीतेंद्र सिंह बाड़मेर अंचल में भारतीय सेना के टैंकों की आवाजाही, पोखरण न्यूक्लियर साइट और गार्ड ड्यूटी बदलने के वक्त पर नजर रखता था और इसे रिकॉर्ड करके अपने हैंडलर के पास भेजता था। आईएसआई ने उसे लोंगेवाला बॉर्डर पोस्ट की तस्वीरें खींचने का काम भी दिया था। कपड़े के कारोबार की ‘बोरिंग लाइफ’ की जगह जेम्स बॉन्ड जैसा रोमांच खोजना आखिरकार जीतेंद्र सिंह को बहुत महंगा पड़ा। वह ऑफिशल सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन, साजिश रचने जैसे गंभीर आरोपों में जेल में है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!