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14 वर्षीय बच्चे की हार्ट अटैक से मौत की वजह:बचपन में जुड़ी हुई थी श्वास-खाने की नली या 650 ग्राम का दिल होना कारण?

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14 वर्षीय बच्चे की हार्ट अटैक से मौत की वजह:बचपन में जुड़ी हुई थी श्वास-खाने की नली या 650 ग्राम का दिल होना कारण?

जयपुर में 7 दिन पहले स्कूल गए 14 साल के बच्चे योगेश सिंह की कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) से मौत ने हर किसी को चौंका दिया। इतनी कम उम्र में कार्डियक अरेस्ट काफी रेयर केस माना जाता है।

बच्चे की पहले क्या मेडिकल हिस्ट्री रही थी या उसे पहले कोई बीमारी थी? इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए गांव सीकर जिले के फतेहपुर के हीरना में पहुंची। उनके पिता से बात की।

बातचीत में दो चौंकाने वाली बातें सामने आईं…

1. जन्म के दौरान योगेश की श्वास नली और खाने की नली आपस में जुड़ी हुई थी।

2. सामान्य व्यक्ति का हार्ट 250 से 300 ग्राम का होता है, लेकिन योगेश का हार्ट 650 ग्राम का था।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

योगेश का शव उसके पैतृक गांव हीरना लाया गया। यहीं उसका अंतिम संस्कार किया गया।

योगेश का शव उसके पैतृक गांव हीरना लाया गया। यहीं उसका अंतिम संस्कार किया गया।

19 दिसंबर की सुबह क्या हुआ

योगेश (14) पुत्र तंवर सिंह रावण गेट के पास एक निजी स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ता था। सुबह उठ कर खुद योगेश ने दोनों भाइयों के लिए चाय भी बनाई थी। चाय से बिस्कुट खाकर वह भाई के साथ स्कूटी पर स्कूल गया था।

बड़ा भाई स्कूल के गेट के पास उसे छोड़ कर चला गया था। योगेश स्कूल के गेट से पैदल ही चलते हुए क्लास रूम में पहुंचा। अचानक क्लास रूम में ही बेहोश होकर गिर गया।

उसके मुंह से झाग निकलने लगे थे। क्लास रूम में मौजूद बच्चे घबरा गए। टीचर ने योगेश को संभाला। वहां पर स्कूल का अन्य स्टाफ भी पहुंच गया। उसे सीपीआर दिया गया। इसके बाद निजी अस्पताल लेकर पहुंचे।

यहां सीपीआर देने के बाद उसे सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

बाथरूम में थे पिता, नहीं उठा पाए फोन

योगेश के पिता तंवर सिंह बीएसएफ में हैं। अभी जम्मू कश्मीर के राजौरी में पोस्टेड हैं।

वे 14 दिसंबर को ही पिता की हाईबीपी की बीमारी का इलाज कराने के लिए गांव आए थे। तीन दिन बच्चे के साथ ही जयपुर में रूके थे। फिर वे गांव वापस आ गए थे।

तंवर सिंह ने बताया कि वे सुबह नहा रहे थे, जब योगेश के स्कूल से फोन आया। बाथरूम में होने की वजह से वे फोन नहीं उठा पाए। उनके भाई ने कहा कि योगेश के स्कूल से फोन आ रहा है।

योगेश के स्कूल से फोन अक्सर आते रहते हैं तो उन्होंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। बाथरूम से बाहर निकले तो फिर से फोन आया। वे सोच में पड़ गए कि आज इतने फोन क्यों आ रहे हैं।

भास्कर टीम हीरना गांव पहुंची तो योगेश के घर में बैठक चल रही थी। रिश्तेदार परिजनों को सांत्वना दे रहे थे।

हीरना गांव पहुंची तो योगेश के घर में बैठक चल रही थी। रिश्तेदार परिजनों को सांत्वना दे रहे थे।

प्रिंसिपल ने पूछा-बच्चे को मिर्गी आती है?

उन्होंने फोन पर बात की तो पहले प्रिंसिपल ने पूछा-क्या योगेश को मिर्गी के दौरे आते हैं? उन्होंने मना कर दिया तो स्कूल प्रिंसिपल ने बोला कि योगेश की तबीयत खराब हो गई है। वह अचानक बेहोश हो गया है। आप तुरंत आ जाइए।

इस पर योगेश के पिता ने उन्हें बताया कि वे जयपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर फतेहपुर में है। उन्हें पहुंचने में अभी 3 घंटे का समय लगेगा। फोन पर बात होने के बाद वे बिना घर में किसी को बताए तुरंत गाड़ी लेकर जयपुर के लिए रवाना हो गए।

रास्ते में उनके पास फोन आया कि आप आराम से आ जाइए। बच्चे को सीपीआर दिया गया है। हार्टबीट शुरू हुई है। उसे गंभीर अवस्था में होने पर एसएमएस अस्पताल में रेफर किया गया। वे अस्पताल पहुंचे तो पता लगा कि योगेश की मौत हो गई है।

श्वास और भोजन नली आपस में जुड़ी थी

तंवर सिंह ने बताया कि योगेश का जन्म हुआ था, तब उसकी श्वास नली और खाने की नली आपस में जुड़ी हुई थी। जन्म के तीन दिन बाद उसका ऑपरेशन जयपुर में जेके लोन अस्पताल में हुआ था।

डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर दोनों नलियों को अलग-अलग कर दिया था। योगेश ऑपरेशन के बाद पूरी तरह से फिट था। डॉक्टरों ने सलाह दी थी कि 12 साल की उम्र तक योगेश का ध्यान रखना होगा।

योगेश को बचपन में जुकाम की प्रॉब्लम रहती थी। सर्दियों के दिनों में उसे जुकाम ज्यादा रहता था। जुकाम ज्यादा होने पर वह दवाई ले लेता था, जिससे उसे आराम मिल जाता था।

योगेश का कई बार मेडिकल चेकअप भी कराया था, लेकिन हार्ट से संबंधित बीमारी का कभी भी पता ही नहीं लगा था। खुद योगेश ने भी कभी हार्ट की प्रॉब्लम या पीठ दर्द की शिकायत नहीं की थी।

दो साल से जयपुर में पढ़ रहा था योगेश

योगेश दो साल पहले बड़े भाई के साथ पढ़ने के लिए जयपुर आ गया था। पढ़ने में काफी होशियार था। आठवीं में भी उसके अच्छे नंबर आए थे।

उसका भाई भी बारहवीं में दूसरे स्कूल में पढ़ रहा था। वह खुद ही उसे छोड़ने के लिए जाता था। वापस आते समय उसे स्कूल से लेकर आता था।

योगेश खुद भी एक्टिव रहता था। शाम को 4 बजे टयूशन पढ़ने के लिए करीब दो किलोमीटर दूर पैदल ही जाता था। टयूशन पढ़ने के बाद पैदल ही लौटता था।

सेहत का भी ध्यान रखता था। हल्का गर्म पानी पीता था। तला हुआ और बाहर का खाना बिल्कुल नहीं खाता था।

मौत से 15 दिन पहले 4 दिसंबर को ही योगेश ने अपना 14वां जन्मदिन मनाया था।

मौत से 15 दिन पहले 4 दिसंबर को ही योगेश ने अपना 14वां जन्मदिन मनाया था।

4 दिसंबर को मनाया था जन्मदिन

तंवर सिंह ने बताया कि 4 दिसम्बर को योगेश का जन्मदिन था। उनके परिवार में जन्मदिन मनाने की परंपरा नहीं है, लेकिन इस बार जयपुर में ही योगेश का जन्मदिन मनाया था।

उसकी मां भी जयपुर गई थी। वह अक्सर कभी गांव और कभी जयपुर चली जाती थी। जयपुर में उन्होंने मकान ले रखा है जिसमें वे रहते है। पास में ही उनका ससुराल भी था। वहीं पर खाना खा लेते थे। नानी ही दोनों बच्चाें का ध्यान रखते थे।

तंवर सिंह ने बताया कि योगेश के निधन के बाद उसकी मां की हालत काफी खराब हो गई थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया है। परिवार टूट गया है।

हार्ट पंप नहीं कर रहा था

एसएमएस अस्पताल के मेडिकल ज्यूरिस्ट कालूराम यादव ने बताया कि योगेश का हार्ट पंप नहीं कर रहा था। उसकी मांसपेशियां अधिक सिकुड़ गईं थी।

उसका हार्ट का साइज भी बढ़ गया था। इसी वजह से हार्ट ने पंप करना बंद कर दिया था। मांसपेशियों के अत्यधिक सिकुड़ने और हार्ट का साइज बढ़ने के कारण उसकी मौत हुई है।

हालांकि सैंपल लिए गए है। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असली कारणों का पता लग सकेगा।

यादव ने बताया कि सामान्य व्यक्ति के हार्ट का वजन 250 ग्राम से 300 ग्राम का होता है। लेकिन योगेश का हार्ट बढ़कर 650 ग्राम हो चुका था। ऐसे में हार्ट पूरी तरह से पंप नहीं कर पा रहा था।

कई बार हार्ट में छेद भी बन सकता है वजह

हार्ट स्पेशिलिस्ट डा.अजीत बाना ने बताया कि बच्चों में कार्डियक अरेस्ट काफी रेयर होता है। कई बार हार्ट में छेद होता है, जिसका प्रारंभिक जांच में पता नहीं चल पाता है।

ऐसे बच्चे अगर रनिंग करते हैं या फिर कोई एक्सरसाइज करते है तो हार्ट जरूरत से ज्यादा तेजी से पंप करने लगता है, जो कॉर्डियक अरेस्ट की वजह बन सकता है।

इसके अलावा बच्चे में कोई बीमारी पहले से भी हो सकती है है, जिसका हार्ट पर धीरे-धीरे असर पड़ने लगता है। ऐसे में नियमित रूप से बच्चों का चेकअप कराना चाहिए।

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