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27 सीटों के बिगड़े समीकरण, उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग में बीजेपी-कांग्रेस की इस पार्टी ने बढ़ाई टेंशन

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राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की घड़ी नजदीक आ रही है। इस बार उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) और उत्तरी भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने बीजेपी और कांग्रेस को चुनौती दी है। पिछले चुनाव में BTP से दो विधायक चुने गए थे और इस साल भी ये दोनों पार्टियां मजबूत चुनौती पेश कर रही हैं।

बांसवाड़ा / उदयपुर : राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की घड़ी अब काफी निकट है। कांग्रेस और बीजेपी की ओर से चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंकी जा रही है। लेकिन इस बार मध्य प्रदेश की सीमा से सटे हुए राजस्थान के इलाकों में सियासत अलग ही करवट लेती नजर आई। इन क्षेत्रों में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP), उत्तरी भारत आदिवासी पार्टी (BAP) उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की गणित को बिगाड़ने में जुटी हुई है। इस बार दोनों ही पार्टियां मजबूत चुनौती दे रही है। पिछले चुनाव में भी BTP से दो विधायक चुने गए। इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि अब यहां के लोग बीजेपी और कांग्रेस दोनों को आजमाने के बाद उनका रुझान क्षेत्रीय पार्टियों की तरफ होने लगा है। इस चुनाव में दोनों पार्टियां उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग की 27 सीटों को प्रभावित कर रही हैं। दोनों ही पार्टियों ने 27 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारें है।

27 विधानसभा सीटों की बिगड़ सकती गणित

मध्य प्रदेश के सीमा से सटे हुए उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग में पिछले 5 साल से इन दोनों पार्टियों का हस्तक्षेप बढ़ने लगा है। बांसवाड़ा संभाग की 13 विधानसभा और उदयपुर संभाग की करीब 14 विधानसभा हैं। जहां पर BTP और BAP की भागीदारी बढ़ती जा रही है। इस विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों ने दोनों ही संभागों से 27 आदिवासी मतदाता बहुल सीट पर प्रत्याशी उतारे हैं। जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की राह को कठिन बना रही है।

पिछली बार BTP के दो विधायक जीते

दोनों ही संभागों में पिछले कई दशकों से आदिवासी कांग्रेस और भाजपा दोनों को आजमाते रहे हैं। हालांकि यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रह चुका है। लेकिन पिछली बार भारतीय ट्राइबल पार्टी अस्तित्व में आई और चुनाव लड़ा। इस दौरान BTP की ओर से दो विधायक जीतकर विधानसभा में पहुंचे। इनमें चौरासी विधानसभा से राजकुमार रोत और सागवाड़ा से रामप्रसाद डिंडौर थे। हालांकि इन विधायकों ने गहलोत सरकार को अपना समर्थन दिया। लेकिन दो सीटें जीतने के बाद भारतीय ट्राइबल पार्टी के हौसले बुलंद हो गए हैं। इसकी चलते ही उन्होंने आदिवासी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं।

‘जल, जंगल, जमीन हमारा’ के नारे ने मचाई हलचल

वर्ष 2017 में गुजरात में छोटू भाई बसवा ने भारतीय ट्राइबल पार्टी का गठन किया। जिसने 2018 के चुनाव में विधानसभा का चुनाव लड़ा और दो सीटें जीती। बांसवाड़ा और उदयपुर संभाग आदिवासी क्षेत्र है। इसको लेकर BTP ने आबादी के अनुरूप आरक्षण की मांग को लेकर एक नया नारा दिया। जो ‘जल, जंगल, जमीन हमारा है’। इस नारे ने सियासत में हलचल पैदा कर दी है। इस नारे की वजह से पिछली बार भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो सीटें जीती थी। आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण BTP की ताकत अब उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग की 27 सीटों को प्रभावित कर रही है।

भील प्रदेश की मांग ने सियासत में नई समीकरण खड़े किए

आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्र में भील प्रदेश की मांग ने अब सियासत में नई समीकरण खड़ी कर दी है। इस दौरान बागीदोरा, सागवाड़ा, घाटोल, कुशलगढ़ और डूंगरपुर सहित दो दर्जन से अधिक क्षेत्रों में पिछले दो महीना से आदिवासी नेता भील प्रदेश की मांग उठा रहे हैं। उनका तर्क है आबादी के अनुरूप आदिवासियों के लिए भील प्रदेश का गठन किया जाए। इसको लेकर आदिवासी नेता बाइक रैली और पैदल जनसंपर्क में जुटे हुए हैं। इस मुद्दे के कारण BAP से भी आदिवासी वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है।

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