16 भारतीय नाविक 85 दिन से अवैध हिरासत में:नाइजीरियन नेवी जहाज को खींचकर ले जा रही, नहीं जानते घर लौटेंगे या नहीं
REPORT BY SAHIL PATHAN
‘6 महीने से हमने घरवालों को नहीं देखा, हम तो कानूनी तरीके से तेल (क्रूड ऑयल) लेने आए थे। हमारे पास सारे कानूनी दस्तावेज हैं, जहाज पर तेल की एक बूंद भी नहीं लेकिन नाइजीरियन सेना जबरदस्ती ले जा रही है। पता नहीं आगे क्या होगा, हम लौट पाएंगे या नहीं…’
एक वीडियो शेयर कर ये बात कहने वाले रोशन अरोड़ा मर्चेंट नेवी में सेंकेंड ऑफिसर हैं। यूपी के कानपुर में रहने वाले रोशन ने सिंगापुर से अपना शिप जॉइन किया। अब वे 15 और भारतीयों के साथ नाइजीरियन आर्मी की कैद में हैं। रोशन के मुताबिक, उन्हें 85 दिन पहले गलत तरीके से हिरासत में लिया गया था।
अब तक इक्विटोरियल गिनी की जल सीमा में रखने के बाद उन्हें नाइजीरिया ले जाया जा रहा है। रोशन का कहना है कि वहां उन लोगों के साथ क्या होगा, नहीं पता। उन्होंने PM मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से सभी भारतीयों को बचाने की अपील की है।
जानिए बीते ढाई महीने में उनके साथ क्या-क्या हुआ..
मेरा नाम रोशन अरोड़ा है, मैं मर्चेंट नेवी में हूं। इस समय मैं तेल टैंकर एमटी हेरोइक इडुन पर हूं। इस वक्त मैं, हमारा जहाज और इसका पूरा चालक दल अवैध हिरासत में है। मेरे साथ भारत के 15 नाविक और हैं।
अभी जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, हम सब बहुत डरे हुए हैं। हमें अभी ऑर्डर मिला है कि हमारे शिप को खींचकर ले जाया जाएगा और नाइजीरिया की समुद्री सीमा में छोड़ दिया जाएगा। हमारा जहाज हिरासत में है, इसलिए हम उसका इंजन चालू नहीं कर सकते हैं। इसीलिए उसे टगबोट से खींचकर ले जाया जाएगा।
आगे हमारे साथ क्या होने वाला है, ये किसी को भी नहीं पता। हमारे 15 साथी पोर्ट पर खड़े हैं। उन्हें या तो हमारे साथ ही रखा जाएगा या सेना के जवान टगबोट में ले जाएंगे।
छह महीने से मैंने अपने मां-बाप, दोस्तों या किसी भी करीबी को नहीं देखा है। मैं इतने दिनों से शिप पर ही हूं। अब तक एक बार भी जमीन पर पैर नहीं रखा। अभी जिंदगी बहुत मुश्किल है।
सात हथियारबंद जवान हमें घेरे खड़े हैं। मुझे बहुत चिंता हो रही है। हम नहीं जानते कि कितने महीने या कितने साल के लिए हमें हिरासत में ले लिया जाएगा। हम बेगुनाह हैं फिर भी हमारे साथ अपराधियों जैसा सलूक किया जा रहा है।
हम 88 दिन पहले शिप लोड करने नाइजीरिया गए थे। तभी से हमारे बुरे दिन शुरू हो गए। हमें नाइजीरिया के एक्पो प्रोडक्शन फील्ड से तेल भरना था। हम समंदर में खड़े क्लियरेंस मिलने का इंतजार कर रहे थे।
वहां रात के वक्त एक जहाज ने हमारा पीछा किया। हमें उसका नाम या पहचान का पता नहीं था। जहाज से हमसे बार-बार कहा जा रहा था कि हम नाइजीरिया की नौसेना से हैं और आप हमारे साथ चलें।
इस जहाज ने हमें रोकने की कोशिश की। हमने अपने ऑफिस और सिक्योरिटी एजेंसी को जानकारी दी थी। अपने लोकल एजेंट को भी इस बारे में बताया था। हमें सलाह दी गई कि ये समुद्री लुटेरों का जहाज हो सकता है, इसलिए हम उससे बचकर निकल जाएं। हम अपने एजेंट और कंपनी के ऑर्डर नहीं टाल सकते थे। इसलिए हमने वही किया, जो उन्होंने कहा था।
इंटरनेशनल बॉर्डर से बिना सबूत हिरासत में लिया
उस जहाज ने करीब तीन घंटे हमारा पीछा किया, फिर हम इंटरनेशनल वाटर में आ गए। तीन दिन तक यहीं रहे। इंटरनेशनल वाटर में इक्वीटोरियल गिनी की नेवी ने हमें पकड़ लिया। इक्वीटोरियल गिनी सेंट्रल अफ्रीका का एक देश है।
इंटरनेशनल बॉर्डर में किसी को हिरासत में लेना अवैध होता है। यहां अरेस्ट करने के मजबूत कारण होने चाहिए, जैसे कि यदि हमने पानी को प्रदूषित किया होता या कुछ और अपराध किया होता तो हमें रोका जा सकता था। हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया था।
जहाज को हिरासत में लिए जाने के बाद इक्विटोरियल गिनी ले जाया गया। 84 दिन से ये जहाज इक्विटोरियल गिनी में ही खड़ा था। हमारी कंपनी लगातार वहां के अधिकारियों से बात कर रही थी। हमारी रिहाई के लिए कंपनी ने बड़ी रकम हर्जाने के तौर पर चुकाई।
इक्विटोरियल गिनी ने कंपनी से कहा था कि जुर्माना चुकाने के बाद जहाज और हमें छोड़ दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने पैसे लेकर भी हमें नहीं छोड़ा। हमारे पास कानूनी कागज थे। यात्रा के दस्तावेज थे। हमें ब्रिटिश पेट्रोलियम का तेल लेकर जाना था, उसके भी डॉक्यूमेंट थे।
इक्विटोरियल गिनी के अधिकारियों ने हमारा जहाज चेक किया तो उस पर तेल की एक भी बूंद नहीं मिली। हमारे खिलाफ किसी तरह का कोई सबूत नहीं है, फिर भी हमें परेशान किया जा रहा है। हमारे पासपोर्ट भी मांगे गए।
हमारी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से अपील है कि वे हमारे मामले पर ध्यान दें। हम इतने मुश्किल हालात में हैं कि सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ही हमारी मदद कर सकते हैं। हाई अथॉरिटी से मदद होने पर ही हमें कुछ राहत मिल सकती है।
खाना पीना हमें शिप पर मिल रहा है। जो लोग पोर्ट पर थे, भारतीय दूतावास ने उनके लिए खाना, बिस्तर और पानी का इंतजाम किया है। हमें किसी तरह की परेशानी तो नहीं हुई है, बस अवैध हिरासत में बंधक बनाकर रखा गया है। हम इससे रिहाई चाहते हैं।
मैं सरकार से बस यही गुजारिश करना चाहता हूं कि हमें जल्दी से जल्दी घर भिजवा दिया जाए, ताकि हम अपने परिवार के पास जा सकें।
सितंबर में जुर्माना दिया, फिर भी जहाज नहीं छोड़ा
रोशन का जहाज मार्शल आइलैंड्स में रजिस्टर्ड है। इसका प्रबंधन OSM ग्रुप नाम की कंपनी करती है। कंपनी का कहना है कि टैंकर जब तेल भरने के लिए इंतजार कर रहा था, तब नाइजीरियन नेवी ने उसे घेर लिया।
हमने इसे समुद्री लुटेरों का हमला समझा। जहाज वहां से बच निकला और अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में पहुंच गया। नाइजीरिया की नौसेना के कहने पर इक्विटोरियल गिनी की नेवी ने 13 अगस्त को इस जहाज को इंटरनेशनल वाटर्स से हिरासत में लिया और जहाज पर इक्विटोरियल गिनी का झंडा न फहराने के आरोप लगाए।
सितंबर के आखिर में जहाज और नाविकों की रिहाई के लिए जुर्माना चुका दिया गया था, लेकिन उन्हें फिर भी हिरासत में रखा गया है।
वहीं भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में बातचीत चल रही है। जल्द ही नाविकों की रिहाई कराई जाएगी।
रोशन के माता-पिता ने भी सरकार से बेटे को रिहा कराने की गुजारिश की है। उनका कहना है कि वहां फंसे लोगों के साथ क्या हो रहा है, इसका पता नहीं चल रहा है।
नाइजीरियन आर्मी ने कहा- गलत तरीके से क्रूड ऑयल लोड करने पर पकड़ा
नाइजीरिया की नौसेना ने बयान जारी कर इस टैंकर शिप पर कार्रवाई को सही ठहराया और इसके हिरासत में होने की पुष्टि की है। बुधवार देर रात जारी बयान में नाइजीरियन नेवी ने कहा है कि जहाज पर नाइजीरिया के प्रतिबंधित आर्थिक जोन में बिना अनुमति घुसने और अवैध तरीके से बिना इजाजत क्रूड ऑयल लोड करने की कोशिश करने का आरोप है।
हालांकि, नाइजीरिया की नौसेना ने कहा है कि जहाज ने कोई क्रूड ऑयल लोड नहीं किया था। उसका कहना है कि इस तेल टैंकर ने गलत तरीके से नाइजीरिया की नौसेना पर अंतरराष्ट्रीय मैरीटाइम प्लेटफार्म पर पाइरेसी के आरोप लगाए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि खराब हुई है।
अगर जहाज पर लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं तो एक्शन लिया जाएगा और अगर कोई गलती नहीं मिलती है तो जहाज और क्रू को छोड़ दिया जाएगा।

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