400 करोड़ से बन रहे क्रिकेट स्टेडियम की होगी जांच:21 दिन में 3 बड़े फैसले लेगा आरसीए; वैभव गहलोत के कार्यकाल की छानबीन शुरू
राजस्थान की राजनीति में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) एक बार फिर चर्चा में आ गया है। एसोसिएशन के चेयरमैन वैभव गहलोत इस्तीफा दे चुके हैं।
ऐसे में अब अगले 21 दिनों में राज्य सरकार और खेल विभाग आरसीए के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने वाले हैं। खेल विभाग के स्तर पर आरसीए के बीते तीन वर्षों के काम-काज की जांच भी जल्द ही करवाई जाएगी।
इस विषय में राज्य सरकार के स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और मुख्य सचिव सुधांश पंत के स्तर पर आरसीए के बारे में खास कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
आरसीए के अध्यक्ष वैभव गहलोत के इस्तीफा देने के बाद अब एसोसिएशन में कई समीकरण बदल जाएंगे।
एजीएम बुलाई जाएगी
सबसे पहले 21 दिनों के भीतर एजीएम (एनुअल जनरल मीटिंग) बुलाई जानी है। इस मीटिंग के बाद आरसीए के संबंध में तीन बिन्दुओं पर काम किया जाएगा।
बाहरी तौर पर आरसीए की इस राजनीतिक लड़ाई में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उनके पुत्र वैभव गहलोत एक तरफ हैं तो दो दूसरे मोर्चों पर हैं चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के पुत्र धनंजय सिंह खींवसर और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के पुत्र पराक्रम सिंह राठौड़।
वैभव के इस्तीफा देने के बाद अब आरसीए की कुर्सी पर काबिज होने की लड़ाई कौन जीतेगा, इसका फैसला वैसे तो जिला संघों के पदाधिकारियों के हाथ में होगा, लेकिन आम तौर पर जिधर राज्य सरकार का संकेत होगा, वो पलड़ा स्वाभाविक रूप से भारी हो जाएगा।
इस संबंध में नागौर जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष धनंजय सिंह खींवसर ने बताया कि बहुत जल्द सब कुछ पटरी पर आ जाएगा। राजस्थान क्रिकेट के लिए सब कुछ अच्छा ही होगा।
उधर, खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह ने मंगलवार को इस मुद्दे से जुड़े विधिक पक्षों की जानकारी भी ली और खेल मंत्रालय, बीसीसीआई सहित आईपीएल प्रबंधन से भी संपर्क किया।
खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह आरसीए को लेकर लगातार खेल मंत्रालय, बीसीसीआई सहित आईपीएल प्रबंधन से संपर्क में हैं।
सबसे बड़ी चुनौती है आईपीएल के मैच
राज्य सरकार, खेल विभाग, राज्य क्रीड़ा परिषद और आरसीए के सामने सबसे बड़ी चुनौती है आईपीएल मैच। जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में 24 मार्च, 28 मार्च और 6 अप्रैल को आईपीएल मैच होने हैं। इसके बाद भी कुछ और मैच इस स्टेडियम में होने हैं।
यह स्टेडियम राज्य सरकार का है, जिसे आरसीए ने एक समझौते के तहत मैच करवाने के लिए लिया हुआ था। यह समझौता हाल ही में 21 फरवरी को समाप्त हो गया है।
अब यह स्टेडियम आरसीए के पास नहीं है और आरसीए खुद भी चेयरमैन विहीन है। ऐसे में राज्य सरकार व खेल विभाग कि कोशिश है कि आईपीएल में किसी तरह की परेशानी न आए।
क्योंकि यह मैच जयपुर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान की अर्थव्यवस्था, पर्यटन, रोजगार, खेल आदि के लिए बूस्टर की तरह होते हैं। करीब 100 करोड़ रुपए का अर्थचक्र घूमता है। ऐसे में कोई भी सरकार नहीं चाहती है कि उसके कार्यकाल में खेल अर्थव्यवस्था को नुकसान हो।
जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में 28 मार्च, एक अप्रैल और 6 अप्रैल को आईपीएल मैच होने हैं।
एक एडहॉक (अस्थाई) कमेटी बनाई जाए
आरसीए में चूंकि चैयरमेन के पद पर फिलहाल कोई नहीं है तो एक एडहॉक कमेटी बनाई जा सकती है। इसमें आरसीए के वर्तमान पदाधिकारी, खेल प्रतिनिधि और राज्य सरकार के कुछ अधिकारी और खेल विभाग के लोग शामिल हो सकते हैं।
यह कमेटी आईपीएल मैचों के आयोजन के दौरान आरसीए का प्रबंधन संभाल सकती है। यह कमेटी बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) के साथ समन्वय कर आईपीएल के मैच आयोजित करवा सकती है।
आरसीए के विभिन्न जिलों के बीच चुनाव करवाया जाए
आरसीए के तहत गठित विभिन्न जिला क्रिकेट संघों के बीच चुनाव करवाया जाए। उसमें किसी भी जिला क्रिकेट संघ से कोई चुनाव लड़ सकता है। जिसे ज्यादा वोट मिलेंगे, वो अध्यक्ष बन सकता है।
जैसे पिछले चुनावों में राजसमंद जिला क्रिकेट एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुए वैभव गहलोत ने चुनाव लड़ा और आरसीए के अध्यक्ष बने।
फिलहाल जो अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकते हैं, उनमें धनंजय सिंह खींवसर (नागौर) और पराक्रम सिंह राठौड़ (चूरू) प्रमुख जिला अध्यक्षों में शामिल हैं।
नागौर के धनंजय सिंह खींवसर अध्यक्ष के प्रमुख दावेदारों में से हैं।
बिना चुनाव के किसी को निर्विरोध अध्यक्ष बनाया जाए
सूत्रों का कहना है कि इस वक्त सबसे ज्यादा इसी बात की संभावना है कि एजीएम बुलाकर सभी जिला संघों के पदाधिकारियों की राय ली जाएगी और उनमें से किसी एक को आरसीए चैयरमेन बना दिया जाएगा।
यह प्रक्रिया निर्विरोध सम्पन्न होगी। इसमें चुनाव नहीं किया जाएगा। इसमें अधिकांश जिला संघ जिस किसी एक नाम पर सहमति प्रकट करेंगे और उसे चेयरमैन बना दिया जाएगा।
अध्यक्ष पद के लिए चूरू के पराक्रम सिंह राठौड़ का दावा भी मजबूत है।
जयपुर में बन रहा तीसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम जांच के दायरे में आ गया है।
इन बिन्दुओं पर करवाई जाएगी जांच
राज्य सरकार और आरसीए में नए बनने वाले चैयरमेन के स्तर पर कुछ बिन्दुओं पर जांच भी करवाई जाएगी। यह जांच आरसीए में वैभव गहलोत के अध्यक्ष रहने के दौरान के तीन वर्षों में हुए काम-काज पर केन्द्रित रहेगी। इसमें कुछ बिन्दुओं को पिछले दो दिनों में खंगाला गया है।
- जयपुर स्थित चौमूं के पास चौंप नामक स्थान पर बनने वाले आरसीए के स्टेडियम के लिए जमीन आवंटन (जेडीए द्वारा) किन नियमों-शर्तों के तहत किया गया। वहां स्टेडियम निर्माण किन शर्तों, टेंडर प्रक्रिया और प्रावधानों के तहत किया जा रहा है।
- आईपीएल की तर्ज पर राजस्थान प्रीमियर क्रिकेट लीग (आरपीएल) कैसे बनाई गई। उसमें कितना पैसा खर्च किया गया। किन खिलाड़ियों को राजस्थान के अलग-अलग शहरों के नाम पर टीमें बनाकर खरीदा गया। उन खिलाड़ियों को उनके पारिश्रमिक का भुगतान हुआ या नहीं। हुआ तो किन शर्तों व नियमों के तहत हुआ।
- आरसीए पर राज्य क्रीड़ा परिषद का जो भुगतान (एमओयू के तहत) 34 करोड़ रुपए बकाया है, उसका भुगतान क्यों नहीं किया गया। भुगतान नहीं करने के चलते आरसीए पर ताला लगाया गया है।
- आरसीए के कई पदाधिकारी दुबई की यात्रा (2022-2023) करके आए थे। वे किस आधार पर गए और उनके खर्चे का भुगतान कहां से किया गया।
सीपी जोशी से लेकर वैभव गहलोत तक, लंबे समय आरसीए में प्रमुख पदों पर कांग्रेस पृष्ठभूमि से जुड़े नेता काबिज रहे।
कांग्रेस जिला अध्यक्ष से लेकर केन्द्रीय नेता तक आरसीए में पदाधिकारी
आरसीए की लड़ाई केवल क्रिकेट स्टेडियम तक ही सीमित नहीं रहने वाली है। लोकसभा चुनावों से पहले आरसीए के उन पदाधिकारियों को हटाया जा सकता है, जो कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं।
राजसमंद जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं डॉ. सी. पी. जोशी। जोशी वर्ष 2018 से 2023 तक विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं। वे कांग्रेस के शीर्ष संगठनों में भी पदाधिकारी हैं। पूर्व में केन्द्रीय मंत्री और प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं।
वैभव गहलोत भी आरसीए के चैयरमेन बनने से पहले जोधपुर से सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं। इसी तरह आरसीए के वर्तमान कोषाध्यक्ष रामपाल शर्मा भीलवाड़ा यूआईटी के चैयरमेन और जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे भीलवाड़ा से कांग्रेस के टिकट पर सांसद का चुनाव (2019) भी लड़ चुके हैं। वे चुनाव हार गए थे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने उदयपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ा था और वे हार गए थे। गौरव डूंगरपुर के जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। इनके अलावा भी करीब 10 जिलों में कांग्रेस के पदाधिकारी जिला संघ के माध्यम से आरसीए में विभिन्न पदों पर बैठे हैं।
सहकारिता रजिस्ट्रार ने दिए जांच के आदेश
क्रीड़ा परिषद के सचिव (आरएएस) सोहनराम चौधरी ने 19 फरवरी 2024 को सहकारी समितियां रजिस्ट्रार कार्यालय को पत्र लिखकर आरसीए पर गंभीर वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितताओं की शिकायत की है।
इन शिकायतों के बाद सहकारी समितियों की रजिस्ट्रार अर्चना सिंह (आईएएस) ने 21 फरवरी 2024 को अतिरिक्त रजिस्ट्रार जितेन्द्र प्रसाद शर्मा को जांच अधिकारी नियुक्त कर 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
इसमें आरसीए द्वारा वित्तीय देनदारियों को नहीं निभाने, एमओयू की शर्तों का पालन नहीं करने, अपने लेखे-जोखे का विवरण व विभिन्न मीटिंग्स के मिनिट्स (ब्यौरा) क्रीड़ा परिषद को उपलब्ध नहीं करवाने जैसी शिकायतें हैं। इन शिकायतों की विस्तृत जांच शुरू हो गई है।
नागौर जिला क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव राजेन्द्र सिंह नांदू ने बताया कि आरसीए में हुई विभिन्न वित्तीय व प्रशासनिक अनियमताओं की जांच तो फिलहाल सहकारिता रजिस्ट्रार के स्तर पर की ही जा रही है। जैसे ही आरसीए के चैयरमेन पद पर कोई स्थाई नियुक्ति होगी तब हम उनसे मांग करेंगे कि वैभव गहलोत के कार्यकाल की व्यापक जांच करवाई जाए, ताकि उनके द्वारा किए गए नियम विरुद्ध फैसलों व कार्यों का खुलासा हो सके।
गंभीर वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितताओं की शिकायत के बाद जांच के लिए जारी किए गए आदेश।
खेलमंत्री बोले- आईपीएल मैच कराना पहला लक्ष्य
खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बताया कि फिलहाल रजिस्ट्रार समिति को अपनी जांच कर रही है। उनकी तहकीकात के बाद जो फाइडिंग्स आएंगी उसके आधार पर आगे की जांच या किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई का फैसला लेंगे।
हां, क्रिकेट और खेल जगत का नुकसान बिलकुल नहीं होने दिया जाएगा। फिलहाल आईपीएल मैच करवाना पहला लक्ष्य है। आगे जो भी कार्ययोजना होगी, जल्द ही तय कर ली जाएगी।
पूर्व में लगे थे आरसीए पर ताले, तब कांग्रेस के दो दिग्गज हो गए थे आमने-सामने
वर्ष 2011-12 में राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। विभिन्न क्रिकेट विवादों के चलते ऐसी नौबत आ गई थी, कि आरसीए पर ताले लगा दिए गए थे। तब आरसीए चैयरमेन थे डॉ. सी. पी. जोशी, जो उस वक्त केन्द्रीय सड़क परिवहन व ग्रामीण विकास मंत्री भी थे। वे उन दिनों भीलवाड़ा से सांसद थे।
उनके सामने जयपुर क्रिकेट जिला एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. महेश जोशी ने मोर्चा खोला हुआ था। डॉ. जोशी उस दौरान जयपुर से सांसद थे। दोनों के बीच वो विवाद लंबा चला, जिसका दुष्परिणाम यह निकला कि लगभग एक दशक तक जयपुर स्थित एसएमएस स्टेडियम में कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच नहीं हो सका था।
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