क्या नौकरी के लिए माता-पिता ने की बेटी की हत्या?:10 दिन पहले ही नियम में मिल गई थी राहत, तीसरे बच्चे से भी फर्क नहीं पड़ता
अपनी नौकरी बचाने के लिए तीन महीने की बेटी को नहर में फेंकने की घटना में एक पुराने ऑर्डर से फिर चर्चा में आ गई है। दरअसल, राज्य सरकार ने इस घटना से दस दिन पहले ही दो से ज्यादा बच्चों के मामले में राहत दे दी थी। यानी दो से ज्यादा बच्चे होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। राज्य के वित्त विभाग ने 13 जनवरी को ही ये आदेश जारी कर दिया था। जबकि 23 फरवरी को छत्तरगढ़ स्थित इंदिरा गांधी नहर में एक बच्ची को नहर में फेंकने का मामला दर्ज हुआ था। जिस पर पुलिस ने कहा- सरकारी नौकरी बचाने के लिए माता-पिता ने घटना को अंजाम दिया।

वित्त विभाग की तरफ से 13 जनवरी को जारी किया गया आदेश।

वित्त विभाग के आदेश का तीसरा पॉइंट। इसी में दो से ज्यादा संतान होने पर राहत दी गई।
दरअसल, संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को राजस्थान कांट्रेक्च्यूल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स 2022 के तहत फिर से रोजगार दिया जा रहा है। 13 जनवरी को जारी आदेश में सरकार ने इस नियम में संशोधन करते हुए दो से अधिक संतान होने पर अपात्र होने की शर्त हटा दी थी। न सिर्फ संतानों की संख्या बल्कि न्यूनतम आयु, चरित्र प्रमाण पत्र और हेल्थ सर्टिफिकेट की बाध्यता भी समाप्त कर दी थी। सवाल ये उठता है कि बच्चों की संख्या को लेकर दी गई इस छूट के बारे में उस नवजात बच्ची के पिता को जानकारी थी या नहीं?
और भी छूट दी गई थी
इसी आदेश के तहत वित्त विभाग ने निर्धारित आयु से अधिक आयु के संविदा कर्मियों को भी एलिजिबल मान लिया था। बड़ी संख्या में संविदा कर्मचारी इस आदेश के बाद आगे नियुक्ति के लिए पात्र हो गए। इसी तरह हेल्थ संबंधित प्रमाण पत्रों को लेकर भी शिथिलता दी गई। चरित्र प्रमाण पत्र पर भी सरकार की ओर से छूट दी गई।
अब नए सिरे से लिस्ट
इस आदेश के बाद शिक्षा विभाग के निदेशक गौरव अग्रवाल ने आदेश जारी कर उम्र, चरित्र प्रमाण पत्र, हेल्थ सर्टिफिकेट और संतानों की संख्या के नियम के कारण बाहर हुए केंडिडेट्स को वापस जोड़ते हुए लिस्ट बनाने के निर्देश दिए हैं।

पिता झंवरलाल ने बेटी अंशिका उर्फ अंशु को मार दिया। पुलिस ने आरोपी पिता और मां गीता दोनों को गिरफ्तार कर लिया e।
ये है मामला
बीकानेर के छत्तरगढ़ एरिया में एक दो-तीन महीने की बच्ची को नहर में फेंक दिया गया। आरोप लगा कि पिता झंवरलाल मेघवाल ने अपनी पत्नी गीता देवी के साथ मिलकर बच्ची को नहर में फेंक दिया। इसके बाद दोनों की गिरफ्तारी हुई। दरअसल, ये उसकी चौथी संतान थी। एक संतान को वो पहले ही गोद दे चुका था।
अभी माता-पिता जेल में
बच्ची को नहर में फैंकने के मामले में माता-पिता दोनों अभी जेल में है। छत्तरगढ़ थानाधिकारी जयकुमार भादू ने बताया कि मामले की जांच अब खाजूवाला सीओ को सौंप दी गई है। इस बीच झंवरलाल और उसकी पत्नी दोनों को अदालत ने जेल भेज दिया। दोनों को अब तक जमानत नहीं मिली है। झंवरलाल के भाई दामोदर मेघवाल ने बताया कि अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
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