राजस्थानी भाषा के लिए संघर्ष:मुख्यमंत्री के सलाहकार से मिले मोट्यार परिषद के कार्यकर्ता, अब तक 160 विधायकों का समर्थन

राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए बीकानेर में आंदोलन तेज हो गया है। राजस्थानी मोट्यार परिषद के सदस्यों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार लोकेश शर्मा को भी इसी संबंध में मंगलवार को ज्ञापन दिया। शर्मा ने इस दिशा में सरकार की तरफ से ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया।
राजस्थानी मोट्यार परिषद और अशोक गहलोत फैन्स क्लब ने शर्मा को दिए ज्ञापन कहा- राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए। साथ ही राज्य सरकार को राजस्थानी भाषा को अपनाना चाहिए। राज्य सरकार के भवनों पर राजस्थानी में नाम लिखा जाए। सरकारी कामकाज में भी राजस्थानी भाषा का यथा संभव उपयोग होना चाहिए।
इस पर लोकेश शर्मा ने आश्वासन दिया कि सरकार जल्द ही राजस्थानी भाषा को लेकर बड़ा कदम उठाने वाली है। मोट्यार परिषद के रामावतार उपाध्याय, राजेश चौधरी और प्रशान्त जैन ने कहा कि राजस्थानी के रिक्त पदों पर भी सरकार नियुक्ति नहीं कर रही है। प्रतिनिधि-मंडल में राजेश चौधरी, प्रशान्त जैन, रामावतार उपाध्याय, भरत दान, हिमांशु टाक, कमल मारू, मुकेश रामावत, सरजीत सिंह, भगवानाराम, राजेश कड़वासरा, मुकेश सिंढ़ायच, मदन दान दासुड़ी, दिलीप उपाध्याय, कैलाश बीठू, इन्द्र गालरिया, मोहन गेधर आदि शामिल थे।
अब तक 160 विधायकों से मिले
मोट्यार परिषद के सचिव प्रशांत जैन ने बताया कि वर्तमान विधानसभा के 200 में से 160 विधायक एवं मंत्री राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने के लिए पत्र लिख चुके हैं। 2003 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही सर्व-सहमति से संकल्प-प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद भी राजस्थान सरकार राजस्थानी को राजभाषा नहीं बना रही। जैन का कहना है कि राज्य सरकार चाहे तो अनुच्छेद 345 के तहत हमारी मातृभाषा राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा दे सकती है। भरत चारण ने कहा कि सरकार चाहे तो तुरंत प्रभाव से भाषा एक्ट,1956 के तहत राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दे सकती है।

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