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दाऊद जैसे आतंकियों को मारने का हथियार रेडी, अमेरिका ने बनाई खतरनाक तकनीक, ट्रायल जारी

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दाऊद जैसे आतंकियों को मारने का हथियार रेडी, अमेरिका ने बनाई खतरनाक तकनीक, ट्रायल जारी

अमेरिका (US) को ड्रोन तकनीक (Drone Technique) में मास्‍टर माना जाता है। अब यह सुपरपावर देश उस दिशा में काम कर रहा है जहां पर ड्रोन अपने टारगेट का चेहरा तक पहचान सकेगा। अभी तक जिस टेक्निक को सारी दुनिया ने बस फिल्‍मों में ही देखा था, अब वह असलियत बन जाएगी।

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वॉशिंगटन: अमेरिका की वायुसेना के लिए एक ऐसा ड्रोन तैयार किया जा रहा है, जो इंसानों का चेहरा पहचानकर उन्‍हें अपना निशाना बनाएगा। यह वह तकनीक है जिसे अभी तक सिर्फ हॉलीवुड की साइंस फिक्‍शन फिल्‍मों में ही देखा गया था। मगर जल्‍द ही यह टेक्निक यूएस एयरफोर्स के लिए हकीकत होगी। फेशियल रेक्गिनीशिन सॉफ्टवेयर की मदद से इसे तैयार किया जा रहा है। न्यू साइंटिस्‍ट की तरफ से आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना ने इसके लिए 729 मिलियन डॉलर का कॉन्‍ट्रैक्‍ट साइन किया है। सिएटल स्थित फर्म रीयल नेटवर्क्‍स की तरफ से इसे तैयार किया जाएगा। फर्म की तरफ से सिक्‍योर एक्‍यूरेट फेशियल रेक्गिनीशिन (SAFR) प्‍लेटफॉर्म को एयरफोर्स के ड्रोन में फिट किया जाएगा। आखिर क्‍या है यह सॉफ्टवेयर और कैसे ड्रोन पर काम करेगा?

कैसे काम करेगी टेक्निक

SAFR एक विजुअल इंटेलीजेंस प्‍लेटफॉर्म है जो चेहरे और व्‍यक्ति पर आधारित कंप्‍यूटर विजन के तहत काम करता है। कंपनी का दावा है कि उनका सॉफ्टवेयर फेशियल रेक्गिनीशिन पर 99.87 फीसदी सटीक बैठता है। साथ ही इसमें इतनी क्षमता है कि यह किलोमीटर की दूरी से भी किसी के चेहरे की पहचान कर लेगा। यूएस एयरफोर्स के साथ कंपनी ने जो कॉन्‍ट्रैक्‍ट साइन किया है उसके मुताबिक छोटे ड्रोन पर यह सॉफ्टवेयर फिट किया जाएगा। साथ ही इन्‍हें सिर्फ विदेशों में होने वाले स्‍पेशल ऑपरेशंस और इंटेलीजेंस के लिए ही प्रयोग किया जाएगा।


AI लैस होगा ड्रोन
फर्म की तरफ से कहा गया है कि बिना क्रू वाला ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का प्रयोग करेगा। यह अपने आप ही दुश्‍मन और दोस्‍त की पहचान करेगा। कंपनी की तरफ से यह भी बताया गया है कि इस ड्रोन को रेस्‍क्‍यू मिशन, सुरक्षा और घरेलू स्‍तर पर होने वाले सर्च ऑपरेशन के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। यह बात भी गौर करने वाली है कि छोटे ड्रोन्‍स कभी भी बड़े ड्रोन जैसे रीपर या फिर प्रीडेटर की तरह हथियारों से लैस नहीं होते हैं। मगर अब इस नई तकनीक के बाद अमेरिका का ड्रोन वॉरफेयर नए मुकाम पर पहुंच सकता है।

तुर्की ने किया प्रयोग

हालांकि यह भी ध्‍यान देने वाले हैं कि यूएस एयरफोर्स इस तरह की टेक्निक का प्रयोग करने वाली पहली सेना नहीं है। साल 2021 में संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) ने दावा किया था कि लीबिया की सेनाओं ने एक ड्रोन को फेशियल रेक्गिनीशिन सॉफ्टवेयर और हथियारों से लैस किया था। यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लीबिया के प्रधानमंत्री फैज सेराज की तरफ से एडवांस्‍ड ड्रोन का ऑर्डर दिया गया है। कम से कम तुर्की में बने एसटीएम कार्गू-2 को हथियारों और फेशियल रेक्गिनीशिन सॉफ्टवेयर से लैस किया गया था। इसके बाद ड्रोन विरोधी सेना की तरफ बढ़ा था।

इजरायल भी कर रहा काम
इसी साल फोर्ब्‍स की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि इजरायल भी इसी तरह की टेक्निक वाले ड्रोन पर काम कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अगस्‍त 2019 में अमेरिका में तेल अवीव स्थित एनीविजन की तरफ से इसका पेटेंट दायर किया गया था। इसमें इस बारे में पूरी जानकारी दी गई थी कंपनी ने एक ऐसी टेक्निक पर काम रही है जो ड्रोन को फेशियल रेक्गिनीशिन के लिए बेस्‍ट एंगल तलाशने में मदद करेगी। इसके बाद डेटाबेस की मदद से टारगेट को शॉट किया जाएगा।

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