कबाड़ हो रही करोड़ों की गाड़ियां
थानों में खड़ी हैं विभिन्न मामलों में जब्त बाइक, कार, ट्रकें आदि– वाहनों के नीलामी की प्रक्रिया जटिल और अलग-अलग
कबाड़ हो रही करोड़ों की गाड़ियां
बीकानेर. जिलेभर के थानों में जब्त गाडि़यां कबाड़ बन रही हैं, लेकिन न कोई छुड़ाने आ रहा है और न ही पुलिस उनकी नीलामी कर पा रही है।
जिले के यातायात, कोटगेट, गंगाशहर, जेएनवीसी, बीछवाल, सदर, लूणकरनसर, नोखा, खाजूवाला, छतरगढ़ थाने में ऐसी सैकड़ों गाडि़यां जब्त होकर खड़ी है। इनमें आबकारी एक्ट, धोखाधड़ी के मामलों के साथ ही हादसों के शिकार वाहन भी शामिल हैं।
कुछ वाहनों को पक्षकार न्यायालयी प्रक्रिया पूरी कर छुड़वा भी लेते हैं, लेकिन अपराधों में जब्त वाहनों को कोई नहीं छुड़वाता। लिहाजा वे थानों में ही पड़े-पड़े कबाड़ हो जाते हैं। कई थानों में तो ऐसे हालात हैं कि गाड़ियों के चलते ही थाना परिसर में खाली जगह का अभाव हो गया है। इसके चलते गाड़ियों को पीछे या किनारे की तरफ ठिकाने लगाया जा रहा है।
कई वाहनों के ढांचे ही बचे
जिले के कई थानों में तो ऐसी गाड़ियां भी देखने को मिल जाएंगी, जिसमें सिर्फ वाहनों के ढांचे ही बचे हैं। इंजन से लेकर टायर और बाकी सामान सड़ चुके हैं या अलग हो गए हैं। थानों को व्यवस्थित करने के लिए जब्त वाहन को कई बार इधर से उधर किया गया, जिसके कारण से गाड़ियां क्षतिग्रस्त भी हुई हैं।
करोड़ों की संपत्ति कबाड़ में तब्दील
जिले के थानों में जब्त की गई गाड़ियों की कीमत करोड़ों रुपयो में हैं। कई लग्जरी गाड़ियां हैं, तो कई भारी वाहन हैं। कार और बाइक की संख्या सबसे ज्यादा है। सभी गाड़ियों के शोरूम प्राइज के हिसाब से जोड़ा जाए, तो लगभग 25-30 करोड़ रुपए से ज्यादा की गाड़ियां थानों में कबाड़ हो रही हैं।
अगर इन वाहनों को कबाड़ के हिसाब से भी बेचा जाए, तो लगभग पांच से सात करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिल सकता है। विधि के जानकार बताते हैं कानूनी प्रक्रियाओं के तहत ही गाड़ियों को छुड़ाया या नीलामी की जा सकती है। कानून की जटिल प्रक्रियाओं की वजह से ही गाड़ियों की नीलामी नहीं हो पाती है।
कई बार हुई लिस्टिंग
थानों में जब्त वाहनों की नीलामी के लिए तीन साल पहले एक प्रक्रिया शुरू भी हुई थी। जिले के सभी थानों में जब्त गाड़ियों की नीलामी की योजना बनाई गई थी। इसके तहत सभी थाना व चौकी प्रभारियों को वाहनों की लिस्टिंग करने के लिए निर्देशित किया गया था।
वाहनों की लिस्टिंग पूरी होने के बाद न्यायालय से अनुमति ली जानी थी, लेकिन किसी कारणवश यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद से लेकर अब तक दोबारा इस ओर किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया गया।

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