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रेडिएंट ह्यूज़: द आर्टिस्ट्री ऑफ कलर्ड जेम्स इन ज्वैलरी और कविता संग्रह ‘अदृश्य पथगामी’ का विमोचन जयपुर में हुआ

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रेडिएंट ह्यूज़: द आर्टिस्ट्री ऑफ कलर्ड जेम्स इन ज्वैलरी और कविता संग्रह ‘अदृश्य पथगामी’ का विमोचन जयपुर में हुआ

जयपुर, नवंबर 2024 — आभूषण और साहित्य की दुनिया ने एक साथ मिलकर जयपुर में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें दो महत्वपूर्ण कृतियों का विमोचन हुआ। इनमें एक था “रेडिएंट ह्यूज़: द आर्टिस्ट्री ऑफ कलर्ड जेम्स इन ज्वैलरी” और दूसरा था डॉ. नीरू जैन का कविता संग्रह “अदृश्य पथगामी”। इस भव्य आयोजन में श्री जगदीश चंद्र ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की, जिन्होंने समारोह का उद्घाटन किया और दोनों कृतियों का विमोचन किया।

रेडिएंट ह्यूज़: द आर्टिस्ट्री ऑफ कलर्ड जेम्स इन ज्वैलरी

रेडिएंट ह्यूज़: द आर्टिस्ट्री ऑफ कलर्ड जेम्स इन ज्वैलरी पुस्तक रंगीन रत्नों की गहरी समझ और उनके महत्व पर आधारित है। यह पुस्तक उन रत्नों को लेकर गहराई से जानकारी प्रदान करती है जो आभूषणों में चमक और जीवन भरते हैं। इन रत्नों को “पृथ्वी के मसाले” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो न केवल आभूषणों में अपितु सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह पुस्तक उन आभूषण निर्माताओं और डिजाइनरों के लिए एक अमूल्य धरोहर है, जो रंगीन रत्नों की कला में रुचि रखते हैं।

इस पुस्तक का विमोचन श्री जगदीश चंद्र ने किया, जबकि इसे प्रस्तुत किया गया डॉ. नीरू जैन, दीपाली राठौर, श्री रमेश भल्ला और दीया जैन ने। यह पुस्तक दीपमिस्टी पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित की गई है और इसमें डॉ. नीरू जैन, डॉ. स्वाति फोफलिया, दीपाली राठौर और निधि सोलंकी का योगदान है। लेखकगण ने रत्नों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक दृष्टि से एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जिसे विभिन्न आभूषण विशेषज्ञों और रत्नकारों ने समृद्ध किया है।

पुस्तक में योगदानकर्ताओं के तौर पर कई प्रसिद्ध हस्तियाँ शामिल हैं। इनमें प्रमुख हैं:

श्री अभिषेक रानीवाला, जो रानीवाला ज्वैलर्स के प्रबंध निदेशक हैं और जिनकी विशेषज्ञता लक्जरी ज्वैलरी डिजाइन में है। उन्होंने पुस्तक में रंगीन रत्नों के आभूषणों में इस्तेमाल और उनके डिजाइन पर अपने विचार साझा किए हैं।

प्रो. निकोलस एडो टेटे, जो घाना के प्रतिष्ठित आभूषण और धातु कला के प्रोफेसर हैं। उन्होंने वैश्विक दृष्टिकोण से आभूषण निर्माण पर अपने विचार व्यक्त किए और रत्नों के महत्व को विभिन्न संस्कृतियों में समझाया।

श्री रमेश भल्ला, जो एक प्रमाणित रत्न विशेषज्ञ और जीआईए और आईआईजीजे से प्रशिक्षित हैं, उन्होंने रत्नों के मूल्यांकन, गुणवत्ता और उनके वैज्ञानिक पहलुओं पर अपने विचार दिए। वे एमएस ज्वैलर्स और स्टार जेम टेस्टिंग लैब के निदेशक हैं।

यह पुस्तक रंगीन रत्नों की अपूर्व कला को समझने का एक आदर्श मार्गदर्शक बनती है और आभूषण उद्योग के पेशेवरों के लिए एक अनमोल संसाधन साबित होती है।

‘अदृश्य पथगामी’ – एक काव्यात्मक यात्रा

इस कार्यक्रम में एक और महत्वपूर्ण घटना घटी, जब डॉ. नीरू जैन ने अपने कविता संग्रह “अदृश्य पथगामी” का विमोचन भी किया। डॉ. जैन की यह कविता संग्रह उनकी गहरी सोच और दार्शनिक दृष्टिकोण का परिणाम है। यह संग्रह जीवन के अदृश्य पथों की यात्रा पर आधारित है, जिन पर चलते हुए एक व्यक्ति अपनी आत्मनिरीक्षण और प्रेम के अनुभवों को महसूस करता है। डॉ. जैन की कविताएँ न केवल व्यक्तिगत अनुभवों को, बल्कि समाज और जीवन के व्यापक अर्थों को भी सामने लाती हैं।

इस काव्य संग्रह में कविताओं का चयन जीवन के जटिल पहलुओं, मानसिक संघर्षों, प्रेम और आत्मा की गहरी समझ से किया गया है। संग्रह का नाम अदृश्य पथगामी इन भावनाओं और विचारों को व्यक्त करता है, जो नज़र नहीं आते लेकिन व्यक्ति के जीवन की दिशा को प्रभावित करते हैं। यह संग्रह एक साहित्यिक यात्रा है, जो पाठकों को अपने भीतर के गहरे रास्तों को तलाशने के लिए प्रेरित करता है।

आयोजन की संक्षिप्त झलक

कार्यक्रम में कई अन्य साहित्यकारों, आभूषण डिज़ाइनरों, और रत्न विशेषज्ञों ने भी शिरकत की। इस आयोजन में उपस्थित लोग आभूषण कला और साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर विमर्श करते हुए दिखाई दिए। श्री जगदीश चंद्र ने कार्यक्रम में अपनी बातें साझा करते हुए कहा कि यह अवसर आभूषण उद्योग और साहित्य के क्षेत्रों में एक सेतु बनाने का काम करेगा, जो दोनों को समृद्ध करेगा।

उन्होंने कहा, “यह पुस्तक और कविता संग्रह न केवल अपने क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं, बल्कि वे समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने और सराहने का एक आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं।” इस आयोजन ने न केवल कला और साहित्य के महत्व को दर्शाया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि कैसे ये दोनों क्षेत्र एक दूसरे से जुड़कर जीवन को और भी सुंदर और समृद्ध बना सकते हैं।

समाप्ति

यह आयोजन जयपुर में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम था, जिसने आभूषण कला और साहित्य दोनों को सम्मानित किया। यह कार्यक्रम न केवल इन दोनों क्षेत्रों के लिए एक मील का पत्थर था, बल्कि यह आभूषण डिजाइन और साहित्यिक अभिव्यक्ति के संगम का प्रतीक भी था, जो आगे चलकर प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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