सप्त शक्ति कमांड ने विजय दिवस मनाया: 1971 के युद्ध के नायकों को किया गया याद
जयपुर, सोमवार, 16 दिसंबर 2024
सप्त शक्ति कमांड ने 16 दिसंबर 2024 को जयपुर मिलिट्री स्टेशन में विजय दिवस की 53वीं वर्षगांठ पूरे सम्मान और गौरव के साथ मनाई। इस अवसर पर सेना के जवानों, वरिष्ठ अधिकारियों, पूर्व सैनिकों (वेटरन्स) और उनके परिवारों ने देश के लिए बलिदान देने वाले वीर शहीदों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम की शुरुआत जयपुर मिलिट्री स्टेशन स्थित प्रेरणा स्थल पर हुई, जहां सप्त शक्ति कमांड के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने वीर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। उनके साथ अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। पूरा माहौल देशभक्ति और वीरता के जज्बे से ओत-प्रोत था।
1971 का युद्ध और विजय दिवस का महत्व
विजय दिवस हर साल 16 दिसंबर को 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में मनाया जाता है। इस युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान पर निर्णायक जीत हासिल की थी, जिससे एक नए राष्ट्र – बांग्लादेश का उदय हुआ। यह दिन भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक कौशल और वीरता का प्रतीक माना जाता है।
1971 का युद्ध दुनिया के सैन्य इतिहास में एक अहम अध्याय है। भारतीय सेना के नायकों ने इस युद्ध में ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है। 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था। इस ऐतिहासिक क्षण में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा, जो उस समय ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे, ने पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी से आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए थे।
सैन्य वीरता और समर्पण का प्रतीक
विजय दिवस भारतीय सेना की उस वीरता और बलिदान की याद दिलाता है, जिसने देश की सीमाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। इस युद्ध में भारतीय वायुसेना, नौसेना और थलसेना के बीच असाधारण समन्वय देखने को मिला। यह विजय अद्वितीय सैन्य योजना, कुशल क्रियान्वयन और निडर सैनिकों के बलिदान की वजह से संभव हुई।
आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने इस अवसर पर कहा, “1971 की विजय न केवल हमारे सैन्य कौशल का परिचायक है बल्कि यह देश के वीर जवानों की असीमित बहादुरी और बलिदान की गाथा भी है। हम शहीदों को याद करते हुए उनके परिवारों को भी नमन करते हैं, जिन्होंने देश के लिए अपने बेटों और पति को खो दिया। यह दिन हमें राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है।”
वेटरन्स और युवाओं को संबोधन
कार्यक्रम के दौरान कई पूर्व सैनिकों (वेटरन्स) ने भी अपने अनुभव साझा किए और युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित किया। वेटरन्स ने बताया कि किस तरह भारतीय सेना ने दुश्मन के नापाक इरादों को नाकाम करते हुए बांग्लादेश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया।
देशभर में कार्यक्रम आयोजित
जयपुर के अलावा, देश के विभिन्न सैन्य स्टेशनों और इकाइयों में भी विजय दिवस पर समारोह आयोजित किए गए। स्कूलों और कॉलेजों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित कर युवाओं को इस ऐतिहासिक दिन की जानकारी दी गई।
सप्त शक्ति कमांड के विजय दिवस कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस अवसर पर जवानों ने कृतज्ञता और गर्व के साथ शपथ ली कि वे देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।
विजय दिवस की यह गौरवशाली गाथा आने वाली पीढ़ियों को वीरता, त्याग और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेगी।
Add Comment