बीकानेर थिएटर फेस्टिवल के दूसरे दिन मंचित हुए शानदार नाटक, जयपुर, लखनऊ, मुंबई और बीकानेर के कलाकारों ने बिखेरी कला की अनूठी छटा
बीकानेर। बीकानेर की रंगमंच परंपरा को नया आयाम देने वाले बीकानेर थिएटर फेस्टिवल का दूसरा दिन भी रंगमंच प्रेमियों के लिए अविस्मरणीय रहा। जिला प्रशासन, बीकानेर विकास प्राधिकरण और उत्तर पश्चिम रेलवे के सहयोग से अनुराग कला केन्द्र व विरासत द्वारा आयोजित इस पांच दिवसीय रंग महोत्सव में रविवार को देश के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकारों ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
चार शानदार नाटकों की प्रस्तुतियां, सामाजिक मुद्दों पर प्रभावशाली संदेश
फेस्टिवल के दूसरे दिन जयपुर, लखनऊ, मुंबई और बीकानेर के कलाकारों ने अपने नाटकों के माध्यम से समाज को महत्वपूर्ण संदेश दिए।
- जयपुर के कलाकारों ने ‘अंतर्मन के धागे’ का मंचन किया, जिसमें इंसानी जज्बातों और सामाजिक परिस्थितियों के बीच के संघर्ष को दर्शाया गया। इस नाटक ने दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया।
- बीकानेर के रंगकर्मियों ने ‘दो अकेली’ नामक नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें आधुनिक समाज में महिलाओं की जद्दोजहद और उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावी तरीके से चित्रित किया गया।
- लखनऊ से आए कलाकारों ने ‘भगवद्ज्जुकीयम’ का मंचन कर प्राचीन संस्कृत नाट्य परंपरा और समकालीन समाज के बीच पुल बनाने का प्रयास किया। यह प्रस्तुति दर्शकों के लिए अनूठी और शिक्षाप्रद रही।
- मुंबई के कलाकारों ने ‘गोल्डन बाजार’ नामक नाटक का प्रदर्शन किया, जिसका निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी विजय सिंह परमार ने किया। यह नाटक वर्तमान समय की सामाजिक विद्रूपताओं और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा पर एक तीखा प्रहार था।
निर्देशक विजय सिंह परमार ने बताया कि ‘गोल्डन बाजार’ केवल एक नाटक नहीं, बल्कि समाज की वास्तविकता को मंच पर प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। इस नाटक में बाजारवाद और उपभोक्तावाद के प्रभावों को गहराई से उकेरा गया है, जिससे दर्शकों को आत्ममंथन करने का अवसर मिला।
राजेंद्र गुप्ता को समर्पित बीकानेर थिएटर फेस्टिवल बना आकर्षण का केंद्र
इस वर्ष का बीकानेर थिएटर फेस्टिवल प्रख्यात सिने और रंगमंच अभिनेता राजेंद्र गुप्ता को समर्पित किया गया है। उनके रंगमंच और सिनेमा में दिए गए योगदान को सम्मान देने के उद्देश्य से इस महोत्सव में उनकी यादों और कला यात्रा को भी शामिल किया गया है।
इसके अलावा, इस अवसर पर बीकानेर के युवा चित्रकारों द्वारा एक कला प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न शैलियों की पेंटिंग, स्केच और साहित्यिक कृतियों को प्रदर्शित किया गया। कला प्रदर्शनी ने भी दर्शकों को खूब आकर्षित किया। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को बीकानेर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना है।
आयोजक मंडल के सदस्य जतन दूगड़ ने कहा, “बीकानेर थिएटर फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य रंगकर्म की पुनर्स्थापना करना और इसे आधुनिक दौर के अनुरूप विकसित करना है। आज के डिजिटल युग में थिएटर से लोगों को जोड़ना आसान नहीं है, लेकिन हमें खुशी है कि युवा पीढ़ी अब रंगमंच की ओर आकर्षित हो रही है।”
समारोह में वरिष्ठ रंगकर्मियों की उपस्थिति
फेस्टिवल के इस शानदार दिन में वरिष्ठ रंगकर्मी हंसराज डागा, जतनलाल दुग्गड़, टोडरमल लालाणी, कमल अनुरागी, विजय सिंह राठौड़ और आभा शंकर जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भी मौजूद रहे। इन सभी रंगकर्मियों ने नाट्य कला के महत्व और समाज में इसकी भूमिका पर अपने विचार साझा किए।
बीकानेर थिएटर फेस्टिवल का यह आयोजन न केवल कला प्रेमियों के लिए एक अनूठा अनुभव रहा, बल्कि इसने शहर की रंगमंचीय परंपरा को नई ऊर्जा भी प्रदान की है।
अगले दिनों के कार्यक्रमों की उत्सुकता बढ़ी
बीकानेर थिएटर फेस्टिवल के पहले दो दिन की प्रस्तुतियों ने शहरवासियों के बीच जबरदस्त उत्साह भर दिया है। आगामी तीन दिनों में भी देशभर के नाट्य समूहों की शानदार प्रस्तुतियां होनी हैं, जिनमें सामाजिक, ऐतिहासिक और समसामयिक विषयों पर आधारित नाटक शामिल होंगे।
रंगमंच के प्रति बढ़ती इस रुचि को देखकर यह साफ है कि बीकानेर थिएटर फेस्टिवल आने वाले वर्षों में और भी बड़े स्तर पर आयोजित किया जाएगा और यह शहर को देश के प्रमुख नाट्य केंद्रों की श्रेणी में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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