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Tarang Shakti: भारत आया ‘टैंक किलर’, SU-30 MKI के साथ भरी उड़ान, क्या वॉरथॉग को यूक्रेन भेजेगा अमेरिका?

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Tarang Shakti: भारत आया ‘टैंक किलर’, SU-30 MKI के साथ भरी उड़ान, क्या वॉरथॉग को यूक्रेन भेजेगा अमेरिका?

जोधपुर एयर बेस में दो अमेरिकी ए-10 विमान पहुंचे हैं। अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ग्रीस, श्रीलंका, सिंगापुर और यूएई से लड़ाकू विमान, क्लोज एयर सपोर्ट एयरक्राफ्ट और टेक्टिकल एयरलिफ्टर के साथ यहां पहुंचे हैं। इस अभ्यास में बांग्लादेश ऑब्जर्वर बना है, पहले उसे इस अभ्यास में अपने एयर एसेट्स के साथ हिस्सा लेना था।

'Tank Killer' joins Tarang Shakti exercise, flies with SU-30 MKI Know all updates

भारतीय वायुसेना का सबसे बड़ा मल्टीनेशनल एयर एक्सरसाइज ‘तरंग शक्ति’ का फेज-2 शुरू हो चुका है। दूसरे चरण में ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, अमेरिका, ग्रीस, बांग्लादेश, सिंगापुर और यूएई के लड़ाकू विमान हिस्सा ले रहे हैं। 30 अगस्त से शुरू हुआ यह वायु अभ्यास 14 सितंबर तक चलेगा। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में हो रहे इस हवाई अभ्यास में ‘टैंक किलर’ के नाम से मशहूर फेयरचाइल्ड रिपब्लिक ए-10 थंडरबोल्ट-II ‘वॉरथॉग’ ने भी हिस्सा लिया। वहीं भारत में ‘वॉरथॉग’ ने अपनी पहली और आखिरी उड़ान रूस से खरीदे गए फाइटर जेट सुखोई 30एमकेआई (SU-30 MKI) के साथ भरी। ऐसा पहली बार हुआ है जब अमेरिका ने भारत में पहली बार ए-10 वॉरथॉग को किसी एक्सरसाइज का हिस्सा बनाया है। 

दो अमेरिकी ए-10 विमान पहुंचे जोधपुर
वायुसेना सूत्रों ने बताया कि जोधपुर एयर बेस में दो अमेरिकी ए-10 विमान पहुंचे हैं। अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ग्रीस, श्रीलंका, सिंगापुर और यूएई से लड़ाकू विमान, क्लोज एयर सपोर्ट एयरक्राफ्ट और टेक्टिकल एयरलिफ्टर के साथ यहां पहुंचे हैं। इस अभ्यास में बांग्लादेश ऑब्जर्वर बना है, पहले उसे इस अभ्यास में अपने एयर एसेट्स के साथ हिस्सा लेना था। वहीं ऑस्ट्रेलिया ने भारत में पहली बार 6 स्क्वाड्रन से तीन ईए-18जी ग्रोलर फाइटर जेट भेजे हैं। ग्रीस भी पहली बार भारत में किसी सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रहा है। 2023 के वसंत में भारतीय वायुसेना के SU-30MKI ने बहुराष्ट्रीय अभ्यास ‘इनियोचोस’ में हिस्सा लिया था। वहीं, अब, हेलेनिक वायु सेना भी अपने ग्रीक लड़ाकू जेट्स के साथ शामिल हो रही है। तरंग शक्ति में ग्रीक एयर फोर्स के चार 336 स्क्वाड्रन एफ-16 विमान जोधपुर पहुंचे हैं। उनके साथ दो सी-130 विमान भी हैं। 

अमेरिका की ए-10 को रिटायर करने की योजना 
इस अभ्यास में ए-10 थंडरबोल्ट-II ‘वॉरथॉग’ की काफी चर्चा हो रही है। वॉरथॉग ने 51 वर्षों तक अमेरिकी वायु सेना की सेवा की है। ए-10 ने पहली बार 10 मई, 1972 को उस वक्त उड़ान भरी थी, जब वियतनाम युद्ध खत्म हो रहा था। खास बात यह है कि ए-10 की अमेरिकी वायु सेना की उस समय एंट्री हुई, जब वियतनाम युद्ध में अमेरिकी एफ-5 फैंटम और एफ-111 कम रफ्तार पर परफॉर्म करने में विफल हो गए। ए-10 को अमेरिकी सैनिकों मदद के लिए क्लोज एयर सपोर्ट के लिए डिजाइन किया गया था। वहीं, अमेरिकी वायु सेना अगले पांच-छह सालों में सभी ए-10 को रिटायर करने की योजना बना रही है। 2023 में, अमेरिकी वायु सेना ने 21 ए-10 को रिटायर किया, जिसके बाद इसकी संख्या 281 से घटकर 260 रह गई है। वहीं अमेरिकी वायु सेना 2029 तक सभी ए-10 को चरणबद्ध तरीके से हटाने की तैयारी कर रही है। 

ए-10 की नाक पर लगी है गैटलिंग तोप
भारतीय वायु सेना की तरफ से जारी वीडियो में दो ए-10 को सुखोई-30 एमकेआई के साथ उड़ते हुए दिखाया गया है। टैंक किलर या टैंक बस्टर के नाम से मशहूर ए-10 वॉरथॉग ने पहली बार रूसी विमानों के साथ उड़ान भरी है। ए-10 वॉर्थोग को अपनी आक्रामक क्षमता और जबरदस्त फायरपावर के लिए जाना जाता है। इसमें जनरल इलेक्ट्रिक की एक फुट लंबी सात बैरल वाली GAU-8 एवेंजर 30 मिमी गैटलिंग गन लगी है, जो बुलेटप्रूफ व्हीकल्स को भी भेद सकती है। इसकी नाक पर लगी गैटलिंग तोप आज तक किसी विमान पर लगाई गई अपनी तरह की इकलौती तोप है। वॉर्थोग की लंबाई भी लगभग उतनी ही है, जितनी इसकी चौड़ाई है। इसकी सात बैरल वाली गन प्रति सेकंड 70 राउंड या प्रति मिनट 3,900 राउंड गोलियां फायर कर सकती है। इसके बारे में कहा जाता है कि जब ए-10 किसी चीज पर गोली चलाता है, तो वह चीज नष्ट हो जाती है, चाहे वह टैंक हो या बख्तरबंद वाहन। 

क्या यूक्रेन जाएगा वॉरथॉग?
इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि सुखोई-30एमकेआई के साथ उड़ान भरने के बाद क्या अमेरिका ए-10 विमानों को यूक्रेन भेजेगा? यूक्रेन में लंबे समय से यह मांग उठ रही है कि ए-10 विमानों को रिटायर करने की बजाय, रूस के खिलाफ यूक्रेनियों की मदद के लिए भेजा जाना चाहिए। हालांकि, ऐसा होना मुश्किल लगता है, क्योंकि एक तो इसकी रफ्तार बेहद कम है और वहां अमेरिका सीधे तौर पर युद्ध में शामिल नहीं है। इसके अलावा संघर्ष क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र पर यूक्रेन का कंट्रोल नहीं है। वहीं जहां यह शामिल रहा है, डेजर्ट स्टॉर्म 1.0, डेजर्ट स्टॉर्म 2.0 और अफगानिस्तान में संघर्ष क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र पर अमेरिका का नियंत्रण रहा है। ए-10 का वहीं इस्तेमाल किया गया है, जहां हवाई क्षेत्र पर अमेरिका का पूरा नियंत्रण रहा है। वहीं, यूक्रेन में रूस सुखोई-35 और मिग-31 जैसे फाइटर जेट्स का इस्तेमाल कर रहा है, जिन्हें हवा से हवा में वार करने में महारत हासिल है। अगर ए-10 विमानों को वहां भेजा गया, तो सुखोई-35 और मिग-31 इन्हें आसानी से निशाना बना लेंगे। 

इराकी टैंकों पर मचाया था कहर
प्रथम खाड़ी युद्ध में ए-10 विमानों ने हिस्सा लिया था। उस समय इस विमान को रिटायर करने की बातें चल रही थीं। लेकिन पहले खाड़ी युद्ध ने ए-10 को दूसरा जीवन दिया। ए-10 ने सद्दाम हुसैन के 900 से टैंकों और 2,000 दूसरे सैन्य वाहनों और 1,200 तोपों को नष्ट कर दिया। वॉरथॉग्स ने GAU-8 से दो इराकी हेलीकॉप्टरों को मार गिराया। खाड़ी युद्ध के दूसरे दिन, वॉरथॉग की एक जोड़ी ने तीन उड़ानों के दौरान 23 इकारी टैंकों को नष्ट कर दिया। इराकी सैनिकों ने ए-10 को ‘मौत का क्रॉस’ नाम दिया था। इसके बाद कहा जाने लगा कि ए-10 अब तक का सबसे ताकतवर कवच-नाशक साबित हुआ है। इसे टी-55, टी-62 और टी-72 टैंकों के खिलाफ लड़ने का मौका मिला। संयोग से, भारत के पास भी काफी संख्या में टी-72 टैंक हैं। हाल ही में, ए-10 थंडरबोल्ट II के एक स्क्वाड्रन को पश्चिमी एशिया में भेजा गया है, जहां सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया अमेरिका के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है। 

मिले ‘वॉरथॉग’, ‘फ्लाइंग गन’, ‘मौत का क्रॉस’ और ‘टैंक बस्टर’ जैसे नाम
ए-10 वॉरथॉग को 1989 में अपग्रेड किया गया था, लेकिन इसमें ऑटोपायलट, इंस्ट्रूमेंट पैनल क्लॉक्स और रडार जैसे फीचरों की कमी पायलटों को खलती थी। एक और बात जो पायलटों को पसंद नहीं थी, वह थी इसकी बेहद धीमी गति। यह केवल 365 नॉट की रफ्तार ही पकड़ सकता है। वहीं, ए-10 में इंस्ट्रूमेंट पैनल घड़ियां नहीं होती हैं; बल्कि इनमें कैलेंडर होते हैं, और पीछे से पक्षियों के टकराने बड़ा जोखिम रहता है। बावजूद इसके ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म में अपनी सफलता के बाद ए-10 को ‘वॉरथॉग’, ‘फ्लाइंग गन’ और ‘टैंक बस्टर’ जैसे कई नामों से नवाजा गया। बाद में इसे कोसोवो में नाटो ऑपरेशंस, अफगानिस्तान में ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम और ऑपरेशन इराकी फ्रीडम में भी इस्तेमाल किया गया। इसे उड़ाने वाले पायलट्स का कहना है कि वॉरथॉग उड़ाने में आसान है और इसमें ज्यादा लोइटरिंग कैपेबिलिटी है, जो एफ-35 जैसे एडवांस फाइटर जेट्स में नहीं है। 

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