पाकिस्तान का ‘ददुआ’ कहा जाता है यह डकैत, सोशल मीडिया पर मचा रहा गर्दा, नाम सुनकर कांपते हैं पुलिसवाले
बीते महीने अगस्त में ही डकैतों ने पंजाब के रहीम यार खान में पुलिस वैन पर हमला किया था, इस हमले में 11 पुलिसकर्मी मारे गए और 7 घायल हो गए थे। इतना ही नहीं जब पुलिस की मदद के लिए दूसरी वैन आई तो डकैतों ने उस पर भी हमला कर दिया। इस हमले में शाहिद डकैत का नाम आया था।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के मोस्ट वॉन्टेड डकैत आराम से यूट्यूब और सोशल मीडिया पर अपने वीडियो शेयर कर सरकार का मजाक बना रहे हैं। 11 पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल इनामी डकैत शाहिद लुंड बलूच आराम से अपने वीडियो शेयर करते हुए लोगों से चैनल को सब्सक्राइब करने की अपील कर रहा है। ये डकैत ‘कचाय के दखो/डाकू’ के नाम से जाने जाने वाले ये स्थानीय डकैतों के गिरोह का है। ये गिरोह पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान के सीमावर्ती जिलों में पुलिस पर हमले, अमीर लोगों को लूटने, फिरौती के लिए अपहरण करने, हथियारों की तस्करी और गांवों में धावा बोलने के लिए जाने जाते हैं। रॉकेट लॉन्चर से शाहिद ने पुलिस वैन पर हमला किया था। ऐसे में पुलिसकर्मियों में शाहिद का काफी खौफ है।
खुरासान डायरी की रिपोर्ट में बताया गया है कि राजनीतिक लोगों, पुलिस अधिकारियों और प्रभावशाली स्थानीय लोगों की मदद से ये डकैत आराम से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। अब इनका हौसला इतना बढ़ गया है कि ये यूट्यूब पर आकर अपनी बात रख रहे हैं। पंजाब के आपराधिक गिरोहों पर काम करने वाले खोजी पत्रकार माजिद निजामी का कहना है कि शाहिद ने साथी डकैत मुहम्मद यार लुंड बलूच के चैनल पर आकार भी वीडियो बनाया है, जिसे 30 हजार से ज्यादा बार देखा गया है। इसके बारे में पाकिस्तानी मीडिया ने भी रिपोर्ट की है।कई मीडिया हाउस ने इस पर सवाल उठाया है कि कैसे डकैत देश की व्यवस्था का मजाक उड़ा रहे हैं।
फेसबुक और टिकटॉक पर भी डकैत बना रहे वीडियो
रिपोर्ट के मुताबिक, शाहिद लुंड बलूच यूट्यूब ही नहीं टिकटॉक और फेसबुक पर भी सक्रिय हैं। पंजाब सरकार ने कच्चा क्षेत्र के ‘शीर्ष 40’ खूंखार अपराधियों की एक सूची बनाई है। इन पर 25 लाख से 50 लाख तक के इनाम की घोषणा की है। पंजाब सरकार ने डकैतों को खत्म करने की कसम खाई है लेकिन वह डकैतों के सामने बेबस दिख रही है।
पंजाब के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि सरकार और पुलिस अफसर बड़े ऐलान तो करते हैं लेकिन चीजों को जमीन पर उतारने के लिए कुछ नहीं होता है। यही वजह है कि डकैतों को काबू नहीं किया जा सका है। शाहिद लुंड और अन्य को वह हाल ही में उभरे डकैतों में गिन रहे हैं। उनका कहना है कि ये लोग हाल में हुए पुलिस हमले के बाद चर्चा में आए। उन्होंने कच्चे डकैतों को छोटे, आदिवासी और राजनीतिक रूप से संबद्ध समूहों के रूप में काम करने वाला बताया, जिनके पास केंद्रीकृत नेतृत्व या एकीकृत संगठन का अभाव है।
Add Comment