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दिल्ली में सजी नारी सशक्तिकरण की सबसे बड़ी शाम, KFL शोस्टॉपर मिसेज इंडिया 2025 ग्रैंड फिनाले बना खूबसूरती, आत्मविश्वास और नए भारत की तस्वीर

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दिल्ली में सजी नारी सशक्तिकरण की सबसे बड़ी शाम, KFL शोस्टॉपर मिसेज इंडिया 2025 ग्रैंड फिनाले बना खूबसूरती, आत्मविश्वास और नए भारत की तस्वीर

नई दिल्ली।
कहते हैं, जब कोई मंच केवल चेहरों की खूबसूरती नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, सोच, जिम्मेदारी और समाज में बदलाव की भावना को परखता है, तो वह केवल प्रतियोगिता नहीं रहता, बल्कि इतिहास बन जाता है। ठीक यही नज़ारा 21 जून 2025 की शाम दिल्ली के गोल्डन पाम होटल में देखने को मिला, जब क्षितिज फैशन एंड लाइफस्टाइल (केएफएल) के शोस्टॉपर मिसेज इंडिया 2025 ग्रैंड फिनाले ने नारी सशक्तिकरण, आत्मविश्वास और सौंदर्य की नई परिभाषा गढ़ दी।

राष्ट्रीय निदेशक रणजीता सहाय अशेष की दूरदर्शिता और मेहनत ने इस मंच को केवल रैंप वॉक तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे उन लाखों महिलाओं की उम्मीदों का दर्पण बना दिया, जो यह मानती हैं कि उम्र, शादी या सामाजिक बंधन किसी भी सपने की उड़ान को रोक नहीं सकते।

देश के कोने-कोने से आईं प्रतिभागियों ने जब मंच पर कदम रखा, तो केवल कपड़ों और मेकअप की चकाचौंध नहीं दिखी, बल्कि हर चेहरे पर आत्मविश्वास, आँखों में सपने और दिल में समाज के प्रति जिम्मेदारी की चमक साफ नजर आ रही थी।

प्रतियोगिता की शुरुआत से लेकर फिनाले तक हर पल एक बात साफ हो चुकी थी—यह महज कोई आम ब्यूटी पेजेंट नहीं, बल्कि भारतीय महिलाओं की आवाज़, उनके संघर्ष और उनके भीतर छिपी काबिलियत का जीवंत प्रमाण है।

फिनाले की रौनक तब और बढ़ गई, जब मंच पर नारी शक्ति के कई अलग-अलग रूप देखने को मिले। किशोरियों के वर्ग में काजल कुकरजा ने अपनी प्रतिभा, आत्मविश्वास और प्रस्तुति से सबको पीछे छोड़ते हुए खिताब जीता। वहीं प्रकृति वर्मा और वाणी झा भी इस मंच पर अपना परचम लहराने में पीछे नहीं रहीं।

विवाहित महिलाओं की श्रेणी यानी मिसेज इंडिया 2025 का ताज भाविका भट्ट के सिर सजा, जिनके आत्मविश्वास, सामाजिक सोच और मंच प्रस्तुति ने दर्शकों और निर्णायक मंडल दोनों को प्रभावित किया। शालिनी सोनी और ईशा भारद्वाज ने भी दिखा दिया कि शादी केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सपनों को पूरा करने का एक नया अध्याय है।

सीनियर महिलाओं की क्लासिक श्रेणी में कीर्ति त्यागी ने साबित कर दिया कि उम्र चाहे जो भी हो, आत्मविश्वास कभी कम नहीं होता। उनके बाद अमरलता यादव और एकता चौहान ने यह संदेश दिया कि महिलाओं के सपनों की कोई उम्र सीमा नहीं होती। वहीं सुपर क्लासिक कैटेगरी में विमल कालरा ग्रोवर ने अपने अनुभव, शालीनता और आत्मविश्वास से यह सिद्ध किया कि जीवन की हर अवस्था में महिलाएं समाज को नई दिशा दे सकती हैं।

निर्णायक मंडल में देश के फैशन, सौंदर्य और सामाजिक मंचों से जुड़े प्रतिष्ठित नाम शामिल थे, जिन्होंने न केवल निष्पक्ष निर्णय लिया, बल्कि मंच की गरिमा को भी ऊँचाई दी।

मंच की चमक तब और बढ़ गई जब देश के सामाजिक, उद्यमिता और साहित्य जगत की बड़ी हस्तियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। मॉडर्न पायथियन गेम्स के संस्थापक बिजेंद्र गोयल, पायथियन काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतनु अग्रहरी, महासचिव शिवा, लेखिका वंदना यादव और भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन विवेक कमठान जैसे दिग्गज इस आयोजन में शामिल हुए। इन सभी ने मंच पर खुलकर कहा कि अगर भारत को आगे बढ़ाना है, तो महिलाओं को सिर्फ घर तक सीमित नहीं रखना, बल्कि उन्हें हर मंच पर, हर क्षेत्र में बराबरी का हक देना होगा।

इस आयोजन ने यह भी साबित कर दिया कि फैशन केवल बाहरी चमक-दमक का खेल नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी है। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए केएफएल बिजनेस अवॉर्ड्स और पेज 3 मैगज़ीन का विमोचन भी हुआ, जिसने यह दिखाया कि मंच केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि व्यापार, सामाजिक चेतना और विचारों का भी है।

कार्यक्रम में साहित्य का रंग भी देखने को मिला, जब लेखक कर्नल विनीत कुमार, मनीका वर्मा, प्रभा चौहान और प्रकृति वर्मा की पुस्तकों का विमोचन हुआ। यह दृश्य इस बात का प्रमाण था कि एक सशक्त महिला केवल मंच पर मुस्कान नहीं बिखेरती, बल्कि अपनी कलम से समाज की सोच भी बदल सकती है।

पूरे कार्यक्रम के संचालन में एंकर अनमोल नागपाल और हरनीत चहल ने अपनी ऊर्जा और संवाद शैली से समां बांधे रखा। दोनों ने दर्शकों और प्रतिभागियों के बीच संवाद का सेतु बनाकर माहौल को जोश और उत्साह से भर दिया।

फिनाले के अंत में जब सभी विजेताओं को ताज पहनाए गए, तो न सिर्फ स्टेज पर, बल्कि पूरे सभागार में यह संदेश गूंज उठा कि एक नई सोच, एक नया भारत तैयार हो रहा है—जहां नारी केवल खूबसूरती की परिभाषा नहीं, बल्कि नेतृत्व, जिम्मेदारी और बदलाव की प्रेरणा बन चुकी है।

केएफएल शोस्टॉपर मिसेज इंडिया 2025 का यह फिनाले केवल दिल्ली में नहीं, बल्कि पूरे देश में उस सोच का प्रतीक बना, जो कहती है कि महिलाएं हर मंच पर, हर क्षेत्र में, हर भूमिका में अव्वल हैं।


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