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पाकिस्तान बॉर्डर पर पुलिस का बड़ा ऑपरेशन:मोबाइल पर तस्करों की बातचीत से मिला इनपुट; ड्रोन से गिराई 10 करोड़ की हेरोइन पकड़ी

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​​​​​​​पाकिस्तान बॉर्डर पर पुलिस का बड़ा ऑपरेशन:मोबाइल पर तस्करों की बातचीत से मिला इनपुट; ड्रोन से गिराई 10 करोड़ की हेरोइन पकड़ी

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से सटे जिलों में ड्रोन से हेरोइन की तस्करी हो रही है। इस साल 21 किलो से ज्यादा हेरोइन जब्त करने, 26 तस्करों की गिरफ्तारी के बाद भी पाकिस्तान से राजस्थान बॉर्डर में ड्रग्स गिराने का सिलसिला थमा नहीं है। 13 दिन पहले फोन पर हुए सौदे के लिए सर्च ऑपरेशन किया। रिपोर्टर 13 रात पुलिस के साथ रहा, इस दौरान करीब 2700 किमी सफर किया, 200 किमी पैदल चला। इस सर्च से तस्करों से पहले पुलिस लोकेशन पर पहुंची। 2 किलो 79 ग्राम हेरोइन बरामद की। इसकी कीमत 10 करोड़ से अधिक है।

5 अक्टूबर की रात 8 बजकर 10 मिनट पर सूचना मिली थी कि सीमा पर ड्रग आई है। इसके बाद यहां एक पैकेज मिला।

5 अक्टूबर की रात 8 बजकर 10 मिनट पर सूचना मिली थी कि सीमा पर ड्रग आई है। इसके बाद यहां एक पैकेज मिला।

पाकिस्तान से हुआ सौदा, टारगेट पर बॉर्डर से सटे इलाके श्रीगंगानगर, अनूपगढ़ और आसपास के इलाके तस्करों के टारगेट पर है। ये पंजाब के नजदीक है, जहां सप्लाई होती है। सौदा पाकिस्तान के बहावलनगर क्षेत्र के फतेहकोट, मंडी सादिकगंज, खींचीवाला में बैठे हैंडलरों से होता है। श्रीगंगानगर पुलिस ने इसे रोकने के लिए ऑपरेशन सीमा संकल्प चला रखा है। इनपुट था कि 13 दिन पहले पाक के बहावलनगर में सौदा हुआ।

दरअसल, मुखबिर से हेरोइन गिराने की सूचना मिली थी। श्रीगंगानगर एसपी गौरव यादव ने डीएसटी इंचार्ज रामविलास विश्नोई को जिम्मा सौंपा, सर्च टीमें बनाईं। इस पूरे ऑपरेशन में पाकिस्तान से ड्रग भेजने वाले मुख्य हैंडलर और भारत के तस्कर के बीच हुई बातचीत के सबूत भी हाथ लगे।

40 मिनट के सर्च के बाद झाड़ियों में पीले रंग का पैकेट मिला। इसी तरह के पीले रंग के पैकेट में ये ड्रग्स भेजी जाती है। इसका वजन 2 किलो था।

40 मिनट के सर्च के बाद झाड़ियों में पीले रंग का पैकेट मिला। इसी तरह के पीले रंग के पैकेट में ये ड्रग्स भेजी जाती है। इसका वजन 2 किलो था।

पाक हैंडलर और भारतीय तस्कर में बातचीत: मेरा आदमी लोकेशन पर है, चीज मिल जाएगी: तस्कर

​​​​​पाकिस्तान से मेन हैंडलर: चीज ड्रॉप हो गई है, नीचे आ गया या नहीं?

भारत में ड्रग्स नेटवर्क का मुख्य तस्कर: वीरजी, चीज अभी नीचे नहीं आई है, आते ही बता दूंगा।

पाकिस्तानी हैंडलर: चीज मिल गई या नहीं, ओके कर यार मुझे पार्सल।

भारतीय तस्कर: रुको, मैं मेरे आदमी को कॉल करके पूछता हूं।

पाकिस्तानी हैंडलर: चीज ड्रॉप हो गई, इतना टाइम क्यों लगा रहा है?

भारतीय तस्कर: एक बार रुको, कुछ चीज ड्रॉप हुई तो है, मेरा आदमी लोकेशन पर पहुंच गया है। अब पूछता हूं सामान आ गया है या नहीं। इसके बाद बातचीत बंद हो गई और पुलिस टीम के साथ हम सर्च पर निकल गए।

(पूरी बातचीत पंजाबी में, वॉट्सऐप कॉल, वॉइस मैसेज से हुई)

पहली बार भास्कर टीम 13 दिन तक पुलिस टीम के सर्च ऑपरेशन में साथ रही। इस बीच कई जगह झाड़ियों में सर्च भी किया।

मीडिया टीम 13 दिन तक पुलिस टीम के सर्च ऑपरेशन में साथ रही। इस बीच कई जगह झाड़ियों में सर्च भी किया।

इस बातचीत के बाद पाकिस्तान से आई ड्रग्स तस्करों की इस बातचीत का इनपुट मिलने के बाद मुखबिर ने सूचना दी कि ड्रग्स की सप्लाई पाकिस्तान से करणपुर-केसरीसिंहपुर बॉर्डर पर होने वाली है। पुलिस ने इसी के आधार पर अपना पूरा ऑपरेशन प्लान किया। कुछ पॉइंट चिह्नित किए गए और उन पर लगातार निगरानी रखी गई।

कुछ दूरी पर लाइट्स का मूवमेंट दिखा, फिर ड्रग बरामद हुई। दो बार ऐसा हुआ, जब हम जिस लोकेशन पर थे, वहां ड्राॅपिंग होनी थी। हालांकि भनक लगने से ड्रोन बिना ड्रॉप किए लौट गया। एक बार खाली ड्रोन आया। दूसरी बार में मूवमेंट के कारण ड्रग्स नहीं ​भेजी गई। तीसरी बार में ड्रग्स गिराई तो पकड़ ली।

बॉर्डर एरिया के लोगों को करते हैं तैयार ड्रग्स की सबसे ज्यादा सप्लाई पंजाब में है। ऐसे में वहां बैठे सप्लायर बॉर्डर एरिया में लोगों को तैयार करते हैं। इनकी जिम्मेदारी पैकेट बॉर्डर से उठाकर पंजाब तक पहुंचाने की होती है। तस्कर पाकिस्तान की तरफ से भेजने वाले के संपर्क में होता है। वह बॉर्डर एरिया की एक लोकेशन तय करता है और दूसरी तरफ भेज देता है। उसी लोकेशन से कुछ मीटर इधर-उधर देर रात ड्रोन के माध्यम से ड्रग्स के पैकेट गिराए जाते हैं।

फोटो करणपुर बॉर्डर का है। जहां ड्रग्स गिराने की सूचना थी। तीसरी बार में ड्रोन से ड्रग्स बॉर्डर के पास गिराई गई।

फोटो करणपुर बॉर्डर का है। जहां ड्रग्स गिराने की सूचना थी। तीसरी बार में ड्रोन से ड्रग्स बॉर्डर के पास गिराई गई।

यह काम सिर्फ महीने के उन्हीं 10 से 12 दिनों में होता है, जब रात बेहद गहरी होती है। ड्रोन लगभग 1.5 से 2 हजार मीटर की ऊंचाई से पैकेट को ड्रॉप करता है। इसके बाद तस्कर को रात में पैकेट मिलता है तो ठीक है, नहीं तो वह अगले दिन उजाले में ढूंढकर ले जाता है। कच्चे और अंदरूनी इलाकों से होते हुए यह ड्रग्स पंजाब और राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में भेजी जाती है।

बॉर्डर पर ड्रग्स पकड़ना सबसे बड़ा चैलेंज ड्रग्स को पकड़ने के लिए बॉर्डर के 500 मीटर से 3 किमी करीब पहुंचना होता है। अंधेरे में 5 से 10 किमी पैदल चलना पड़ता है। मोबाइल की टॉर्च का इस्तेमाल मना होता है, इससे तस्कर सचेत हो जाते हैं। अंधेरे में 100 मीटर से ज्यादा की विजिबिलिटी नहीं रहती, जहां ड्राॅपिंग की संभावना होती है, उनसें कुछ दूर घात लगाकर बैठना होता है। ड्रोन इतनी ऊंचाई पर होता है कि उसे देख पाना मुश्किल है, उसकी आवाज से ही पता चलता है।

श्रीगंगानगर एसपी गौरव यादव ने बताया-

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हमारा फोकस इस नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने पर है। ये देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। ज्यादा से ज्यादा ड्रग्स पकड़ी जाए और तस्करों की गिरफ्तारी हो, यही प्राथमिकता है। हमारी टीम का एक-एक सिपाही इसी कोशिश में रहता है कि ड्रग्स पकड़ी जाए। मुखबिर से संपर्क में रहने के साथ ​दिनभर उन लोकेशन को देखते हैं, जहां ड्राॅपिंग होती है। फिर दर्जनों चुनौतियों के बीच ड्रग्स को पकड़ने की कार्रवाई करते हैं।

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