
नई दिल्ली। 3 जुलाई 2025; साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित साहित्य मंच कार्यक्रम में आज गीता पंडित, कल्लोल चक्रवर्ती, संतोष पटेल एवं स्वाति शर्मा ने काव्य-पाठ किया। सर्वप्रथम स्वाति शर्मा ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं, जिनमें अक्षत, रिमांइडर, धुंध, रोटी और कविता आदि कविताएँ महत्त्वपूर्ण थीं। शहर के बिंबों को प्रस्तुत करती इन कविताओं में स्त्री होने की त्रासदी और शहरों में माँ या अन्य रिश्तों के बनते बिगड़ते चित्र भी थे। संतोष पटेल ने बिहार के पद्मश्री प्राप्त नर्तक रामचंद्र माझी पर अपनी कविता से शुरुआत कर, अन्य कविताएँ – प्रेम करना इतना आसान नहीं, ऐलान, बुद्ध उनके लिए प्रस्तुत कीं। अपने कविता-पाठ का अंत उन्हांेने एक सुंदर गीत की पंक्तियाँ प्रस्तुत कर किया। उनकी कविताओं में शांति और सत्ता के विरोधाभासों को प्रतिबिंबित किया गया था। कल्लोल चक्रवर्ती ने अपनी कविताओं में लड़कियों की स्थिति जीवन में गणित के समीकरण और महानंदा एक्सप्रेस के बहाने बिहार से आने जाने वाले कामगारों पर अपनी चर्चित कविता प्रस्तुत की। उनकी अन्य कविताओं के शीर्षक थे – कुंडली, जो बोल सकते थे और गणित की कक्षा में। सबसे अंत में गीता पंडित ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं। सभ्यता का मुखौटा उनकी एक विस्तृत कविता थी। उसके बाद उन्होंने अपनी कई छोटी कविताएँ प्रस्तुत कीं, जिनके शीर्षक थे – लिखो कविता, बेटी मेरी, अस्तित्व, सच की हत्या एवं संवेदना। उन्होंने अपनी कविताओं में लगातार छीजते मानवीय संबंधों पर अपनी पैनी दृष्टि डाली। कार्यक्रम में कई महत्त्वपूर्ण कवि एवं लेखक – मदन कश्यप, राकेश रेणु, राजकुमार गौतम, हरिसुमन बिष्ट एवं मृदुला प्रधान आदि उपस्थित थे।
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