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RAW चीफ को CM बघेल का कॉल:भूपेश बघेल ने दी फोन पर बधाई, भारतीय खुफिया एजेंसी के प्रमुख कभी छत्तीसगढ़ में थे थाना प्रभारी

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RAW चीफ को CM बघेल का कॉल:भूपेश बघेल ने दी फोन पर बधाई, भारतीय खुफिया एजेंसी के प्रमुख कभी छत्तीसगढ़ में थे थाना प्रभारी

सोमवार को छत्तीसगढ़ से एक फोनकॉल खूफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालििसस विंग (RAW) के दिल्ली दफ्तर में गया। फोन पर खुद RAW के नए चीफ रवि सिन्हा आए और छत्तीसगढ़ से ये कॉल प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था। रॉ चीफ को भूपेश बघेल ने उन्हें नए दायित्व के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। रवि सिन्हा ने भी बधाई के लिए आभार जताया। एक दिन पहले सोमवार को ही भारत सरकार ने रवि सिन्हा को रॉ का नया चीफ नियुक्त किया है।

CM ने रॉ चीफ से बात की।

CM ने रॉ चीफ से बात की।

मुख्यमंत्री ने बधाई देते हुए छत्तीसगढ़ में दी गई सिन्हा की सेवाओं को भी याद किया। रवि सिन्हा छत्तीसगढ़ कैडर के सीनियर आईंपीएस ऑफिसर हैं और वर्तमान में केंद में प्रतिनियुक्ति पर हैं। इससे पहले जब प्रदेश बना, तब मध्यप्रदेश बंटवारे के तहत कुछ IPS छत्तीसगढ़ भेजे गए थे, तब रवि सिन्हा छत्तीसगढ़ आए।

थाना प्रभारी रहे

आज भारत की सबसे बड़ी खूफिया एजेंसी के चीफ सिन्हा दुर्ग में प्रशिक्षु आईपीएस थे, धमधा में थाना प्रभारी रहे और राजनादगांव में एसपी भी रहे हैं। रायपुर कोतवाली में बतौर DSP भी कुछ समय काम कर चुके हैं। साल 2002 से केंद्रीय एजेंसियों में चले गए। लगभग 20 सालों से वो रॉ में काम कर रहे थे।

CM का ट्वीट।

CM का ट्वीट।

रॉ में कई ऑपरेशन कर चुके हैं रवि सिन्हा
रवि सिन्हा बिहार के भोजपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की। रवि ने साल 1988 में UPSC की परीक्षा पास की। उन्हें भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के तौर पर मध्य प्रदेश कैडर मिला। साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों को काटकर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की। तब सिन्हा तकनीकी रूप से छत्तीसगढ़ काडर में चले गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक IPS रवि सिन्‍हा को ‘ऑपरेशन मैन’ के नाम से भी जाना जाता है। वो खुफिया तरीके से काम करने के लिए जाने जाते हैं।

कई बड़े ऑपरेशन की प्लानिंग सिन्हा कर चुके हैं।

कई बड़े ऑपरेशन की प्लानिंग सिन्हा कर चुके हैं।

रवि सिन्हा को भारत के पड़ोसी देशों के मामले में विशेषज्ञ माना जाता है। वे जम्मू-कश्मीर में भी सेवाएं दे चुके हैं और उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी तैनात रह चुके हैं। RAW में वे दो दशकों से अधिक समय से नंबर दो की पोजिशन पर सेवा दे रहे थे। वे वर्तमान में RAW के ऑपरेशंस विंग के प्रमुख हैं। सिन्हा को खुफिया जानकारी जुटाने में आधुनिक तकनीक लागू करने का श्रेय दिया जाता है। सिन्हा की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक रूप से अस्थिर है, सिख उग्रवाद को विदेशों से हवा दी जा रही है और पूर्वोत्तर में, खासकर मणिपुर में, हिंसा को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

क्या है रॉ

  • साल 1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में उस समय की खुफिया एजेंसी आईबी के निराशाजन प्रदर्शन के बाद रॉ को बनाया गया।
  • रॉ का गठन 21 सितंबर 1968 को रामेश्वर नाथ काव के मार्गदर्शन में किया गया था।
  • देश की इस प्रमुख खुफिया एजेंसी को जब गठन किया गया था, तब इसमें सिर्फ 250 कर्मचारियों को शामिल किया गया था और इसका बजट 20 मिलियन सालाना था।
  • रॉ का वार्षिक बजट 70 के दशक में बढ़ाकर 300 मिलियन सालाना कर दिया गया। हालांकि, तब तक इसके कुल कर्मचारियों की संख्या हजार के आसा-पास पहुंच गई थी।
  • कैबिनेट सचिवालय के तहत, संयुक्त खुफिया समिति (जेआईसी), खुफिया एजेंसी और रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) के बीच खुफिया गतिविधियों को जोड़ने, मूल्यांकन करने और समीक्षा करने के लिए जिम्मेदार है।

सिन्हा PM को करेंगे रिपोर्ट
रॉ चीफ सिन्हा PM काे रिपोर्ट करेंगे। रॉ चीफ की नियुक्ति केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा की जाती है। खुफिया एजेंसी रॉ में भारतीय सेना, पुलिस और अन्य सिविल सेवाओं सहित भारत सरकार की कई शाखाओं के अधिकारी कार्य करते हैं। इस एजेंसी को दुनिया की सबसे मशहूर खुफिया एजेंसियों की सूची में शामिल किया जाता है।

इंडिया के पहले रॉ चीफ थे आरएन काव, उन्हें मास्टर स्पाई कहा जाता था।

इंडिया के पहले रॉ चीफ थे आरएन काव, उन्हें मास्टर स्पाई कहा जाता था।

इंदिरा गांधी के समय बनी देश की सबसे बड़ी खूफिया एजेंसी
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी है। साल 1968 तक इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के पास ही देश की आंतरिक और बाहरी खुफिया जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी थी। इंदिरा गांधी सरकार को बाहरी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए एक समर्पित एजेंसी की आवश्यकता महसूस हुई, जिसके बाद ही R&AW का गठन किया गया।

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