रिलेशनशिप- इन 7 जगहों पर मुंह हमेशा बंद रखना चाहिए:बिल गेट्स भी करते हैं मौन की प्रैक्टिस, चुप में जो शक्ति है, वो शब्दों में कहां

क्या आपने कभी सुना है- ‘साइलेंस इज गोल्ड?’ यह सिर्फ एक कहावत नहीं है, बल्कि जिंदगी में कई परिस्थितियों में यह आपके लिए लाइफ सेवर भी हो सकती है।
जी हां, चुप रहना सबसे बेहतर तरीका है अपने आपको कई मुश्किलों से बचाने का। शांत रहना न केवल हमें कई समस्याओं से बाहर निकाल सकता है बल्कि हमारे माइंड में चल रही उथल-पुथल को भी कम करता है। साथ ही ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल कर सकता है। सांइस भी इसे मानता है।
2006 की एक स्टडी में पाया गया है कि संगीत सुनने के बाद 2 मिनट शांत रहने से लोगों के हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सका। शांत रहने से हमारे दिमाग को शांति और मन को खुशी का अनुभव होता है।
लेखक एशले ग्रे की किताब ‘मास्टरिंग द आर्ट ऑफ साइलेंस’ भी यही कहती है। इस किताब में मौन की शक्ति बताई है। चुप रहकर कैसे रिश्तों को बनाए रखा जा सकता है। इस किताब में आप उन सात परिस्थितियों के बारे में जान सकते हैं, जहां चुप रहना फायदेमंद हो सकता है। साथ ही वह बताती हैं कि इमोशनल इंटेलिजेंस, इफेक्टिव कम्युनिकेशन, सेल्फ अवेयरनेस और सेल्फ-केयर के स्किल को कैसे डेवलप कर सकते हैं।
तो आज ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में हम बात करेंगे जिंदगी में किन परिस्थितियों में हमें शांत रहना चाहिए।
मौन में है जितनी शक्ति, उतनी शब्दों में कहां
क्या आप कभी ऐसी सिचुएशन में फंसे हैं, जहां आपके मुंह से कुछ निकल गया हो और फिर आप उसे वापस लेना चाहते हों। शायद कई दफा। लगभग हर दूसरे इंसान के साथ ऐसा कभी-न-कभी हुआ ही होगा।
ये कुछ जुबान फिसलने जैसा है। इसलिए कहा जाता है कि जितना हो सके कम बोलें क्योंकि मौन में जितनी शक्ति है, उतनी शब्दों में कहां।
हिंदी कवि अज्ञेय ने अपनी कविता में मौन के बारे में कहा है-
“कहा सागर ने : चुप रहो!
मैं अपनी अबाधता जैसे सहता हूं, अपनी मर्यादा तुम सहो।
जिसे बांध तुम नहीं सकते
उस में अखिन्न मन बहो।
मौन भी अभिव्यंजना है: जितना तुम्हारा सच है उतना ही कहो।”
इसलिए कुछ परिस्थितियों में चुप रहना ही सबसे बेहतर विकल्प होता है। जानें, जीवन में किन मौकों पर चुप ज्यादा बेहतर होता है।

कई बार हम बहुत कुछ बोलकर भी अपनी बात व्यक्त नहीं कर पाते। वहीं कभी-कभी बिना कुछ बोले ही बहुत कुछ कह जाते हैं। और कहते हैं कि जो आपके मौन को नहीं समझ पाया, वो आपके शब्दों को तो बिल्कुल नहीं समझ सकता है।
‘बेटर ऑफ फ्रेंड्स’ किताब की लेखिका एलिजाबेथ यूलबर्ग कहती हैं, “क्योंकि कभी-कभी हमारी खामोशी शब्दों से ज्यादा बोलती है।”
वहीं सफलता पा चुकी दुनिया की बड़ी हस्तियां भी मौन की शक्ति को मानती हैं। वे इसके लिए सक्रिय रूप से इसकी प्रैक्टिस भी करती हैं। जैसे-
बिल गेट्स जंगलों में बिताते हैं ‘थिंक वीक्स’
माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स अपने तकनीकी कौशल के लिए जाने जाते हैं। वे हर साल जंगलों में जाकर कुछ वक्त मौन रहकर बिताते हैं। वे इसे ‘थिंक वीक्स’ (Think Week) कहते हैं। वे रोज की जिम्मेदारियों, लोगों और यहां तक कि इंटरनेट से बचने के लिए साल में दो बार पेसिफिक नॉर्थवेस्ट के जंगलों में एक केबिन में वक्त बिताते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि एकांत में चिंतन कर सकें।
ओपरा विनफ्रे करती हैं ट्रान्सडेंटल मेडिटेशन
साइलेंस की महत्ता को ओपरा विनफ्रे भी मानती हैं। वह दिन में दो बार ट्रान्सडेंटल मेडिटेशन (TM) करती हैं। इसमें विचार या एकाग्रता के साधन के बजाय आंखें बंद कर के बस 15 से 20 मिनट बैठना होता है। बता दें कि महर्षि महेश योगी ट्रान्सडेंटल मेडिटेशन के संस्थापक हैं।
स्टीव जॉब्स का अनोखा मीटिंग स्टाइल
एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स भी साइलेंस की पॉवर को मानते थे। वे अपनी यूनीक मीटिंग स्टाइल के लिए प्रसिद्ध थे। वे अक्सर विचार, मौलिकता और ईमानदारी को दिखाने के लिए मौन को अपनाते थे। वह एक चुनौतीपूर्ण प्रश्न पूछते और फिर चुप हो जाते थे। इससे दूसरों को ध्यान से सोचने और योगदान देने का मौका मिलता था। उनका मानना था कि इस तकनीक का इस्तेमाल करके उनकी टीम चुनौतीपूर्ण समस्याओं पर काबू पा सकती है और मौलिक विचार कर सकती है।
इन सभी ने दिखाया है कि कैसे मौन गहन विचार, रचनात्मकता और अच्छे निर्णय लेने में मदद कर सकता है।
लेखिका जूलियाना ओ. अपनी किताब ‘द पॉवर ऑफ साइलेंस’ में बताती हैं कि इस दुनिया में शोरगुल इतना बढ़ गया है कि शांति का अस्तित्व लगभग खत्म हो गया है। हम गाड़ियों की आवाज, म्यूजिक, इंसान, फोन, कंप्यूटर, व्यवसाय और सबसे बढ़कर ध्यान भटकाने वाली आवाजों से घिरे हुए हैं। जिसका परिणाम यह हुआ है कि मौन दुर्लभ हो गया है। यह कहीं आसानी से नहीं मिलता है। इसके लिए भटकना पड़ता है। इसको अपनाना होता है।
क्योंकि मौन एक कला है। शांत रहकर आप अपने अस्तित्व की आवाज सुन सकते हैं। यह सेल्फ अवेयरनेस सिखाता है, जिससे आप अपने आपको सच बोलते हुए सुन सकते हैं।

साइलेंस को डेली लाइफ में कैसे प्रैक्टिस करें
जैसा कि साइलेंस एक आर्ट है। यह जन्म से ही हमारे अंदर है, लेकिन हमें इसका इस्तेमाल सही वक्त पर करना आना चाहिए। चाहे आप एक चुनौतीपूर्ण बातचीत का सामना कर रहे हों या बस अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हों, मौन की कला का कब और कैसे इस्तेमाल करना है, यह जानना जरूरी है। लेकिन उससे भी पहले जरूरी है कि हम मौन रहना सीखें।
नीचे ग्राफिक में देखें कि साइलेंस को कैसे सीखें-

रोज एक घंटा चुप रहने के लिए निकालें
साइलेंस को हमारी डेली एक्टिविटी में शामिल किया जा सकता है। मौन चिंतन के लिए हर दिन एक घंटा निकालें। माइंडफुलनेस मेडिटेशन में शामिल होकर कम बोलने और ज्यादा सुनने की कोशिश करें।
हर रोज मेडिटेशन करें
मौन को अपनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कुछ लोग इसमें असहज महसूस कर सकते हैं और वे इसे भंग करने के लिए शोर करना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके अलावा, यह आपको ओवर थिंकिंग से भी बचा सकता है। इसके लिए मेडिटेशन सबसे आसान तरीका है। हर रोज आधा से एक घंटा ध्यान करें।
प्रकृति से जुड़ें
प्रकृति से जुड़ाव आपको शांत रहने के गुण सिखाएगा। जैसे आप योग कर सकते हैं, मॉर्निंग और इवनिंग वॉक कर सकते हैं। इसके अलावा आप बागवानी कर सकते हैं। कुछ देर पार्क में बैठने से भी आपका मन शांत रहेगा।
बालकनी या खिड़की के पास बैठकर चाय-कॉफी का आनंद लें
शांत होकर बालकनी या खिड़की में कॉफी पीने से भी आपको एक अलग ही शांति और खुशी मिलती है। इससे आप साइलेंस को बेहतर तरीके से प्रैक्टिस कर सकते हैं।
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