जयपुर, 30 मार्च। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने एवं धोखाधड़ी को रोकने के लिए विधिक माप विज्ञान टीम के राज्य स्तरीय दल द्वारा जयपुर शहर में फ्रेश फ्रूट कंपनी मुहाना मंडी एवं वैभव ग्लोबल लिमिटेड ई.पी.आई.पी. सीतापुरा की जॉच की गई । टीम को जॉच के दौरान फ्रेश फ्रूट कंपनी पर डिब्बाबंद वस्तुओं का व्यापार बिना पंजीयन पाए जाने पर एवं वैभव ग्लोबल लिमिटेड पर 48 असत्यापित इलैक्टि्रक कांटे मिलनेे सम्बंधी अनियमितता पाये जाने पर व्यापारियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है। उपभोक्ता मामले विभाग के शासन सचिव श्री नवीन जैन ने बताया कि विधिक माप विज्ञान की टीम ने फ्रेश फ्रूट कम्पनी, मुहाना मण्डी का आकस्मिक निरीक्षण किया जहां पर फर्म द्वारा इम्पोर्टेड फलों की पैकेजिंग का कार्य किया जा रहा था लेकिन फर्म के पास वस्तुओं को पैक किये जाने के सम्बन्ध में पैकेज्ड कमोडिटीज रूल्स 2011 के तहत विभाग में पंजीयन नहीं होना मिला। उन्होंने बताया कि नियमानुसार पैकेट के 40 फीसदी हिस्से पर पढ़ने लायक फॉन्ट साइज में निर्माता का नाम,पैकेजर,आयातक, उत्पाद की शुद्ध मात्रा, उत्पाद के निर्माण की तिथि, खुदरा बिक्री मूल्य और उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर को प्रदर्शित करना आवश्यक है। साथ ही विधिक माप विज्ञान प्रकोष्ठ में पंजीयन कराया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि फर्म पर पैकिंग में काम में लिए जा रहे इलेक्टि्रक काँटों का भी सत्यापन नहीं होना मिला जिस पर टीम द्वारा दो असत्यापित इलेक्टि्रक काँटों को जब्त किया गया।
शासन सचिव ने बताया कि विधिक माप विज्ञान की टीम जब जांच के लिए वैभव ग्लोबल लिमिटेड ई.पी.आई.पी. सीतापुरा, जयपुर पहुंची तो वहां पर 48 इलेक्टि्रक काँटों का उपयोग निर्मित ज्वैलरी का वजन तौलने में किया जाना मिला साथ ही ये सभी कांटे असत्यापित मिले। उन्होंने बताया कि नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर असत्यापित इलेक्टि्रक काटों को जब्त किये जाने का प्रावधान है लेकिन फर्म पर निरीक्षण कराने वाले इंचार्ज श्री प्रभास कुमार झा द्वारा जब्ती के लिए काँटों को प्रस्तुत नहीं किया। विधिक माप विज्ञान अधिनियम की धारा 15 के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करने में बाधा पहुंचाई जो कि अधिनियम की धारा 40 में दंडनीय अपराध है। इस सम्बन्ध में अलग से कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि असत्यापित 48 इलेक्टि्रक कॉंटों को जब्ती हेतु प्रस्तुत नहीं किये जाने के कारण फर्म को इन असत्यापित पाए गए काँटों का नियमानुसार सत्यापन कार्य होने के उपरान्त ही प्रयोग में लिए जाने के निर्देश दिए।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान विधिक माप विज्ञान (प्रवर्तन) नियम 2011 के नियम 23 में व्यापारी की जिम्मेदारी है कि उनके द्वारा काम में लिए जाने वाले माप तौल के साधनों को प्रतिवर्ष सत्यापित करा कर ही उपयोग में ले। बिना पंजीयन के वस्तुओं को पैक करके बेचे जाने पर 5 हजार रुपये तक और पैकेट पर नियमानुसार प्रदर्शन नहीं मिलने पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। किसी भी असत्यापित बाट के प्रयोग व विक्रय करने पर दोषियों के विरुद्ध 2 से 10 हजार रुपये जुर्माना के अतिरिक्त दूसरी बार अथवा पुनरावृत्ति की अवस्था में आर्थिक दंड के साथ-साथ एक वर्ष के कारावास के दंड का भी प्रावधान है।—–
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