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सेहतनामा- बाहुबली की देवसेना को हंसने की बीमारी:क्या है रेयर लॉफिंग डिजीज ‘स्यूडोबुलबर अफेक्ट’, हंसने-रोने पर नहीं रहता कंट्रोल

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सेहतनामा- बाहुबली की देवसेना को हंसने की बीमारी:क्या है रेयर लॉफिंग डिजीज ‘स्यूडोबुलबर अफेक्ट’, हंसने-रोने पर नहीं रहता कंट्रोल

भारत की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्मों में एक ‘बाहुबली’ में देवसेना का किरदार निभाने वाली अनुष्का शेट्टी इन दिनों चर्चा में हैं। इस बार चर्चा उनके किसी किरदार या सुपरहिट फिल्म की नहीं हो रही है। उन्हें रेयर लॉफिंग डिजीज हो गई है। इस रेयर कंडीशन को स्यूडोबुलबर अफेक्ट (Pseudobulbar Affect) कहते हैं। यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें इससे प्रभावित शख्स अपना हंसना-रोना या कोई भी इमोशन कंट्रोल नहीं कर पाता है।

अनुष्का ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया है कि जब वह कोई कॉमेडी सीन देखती हैं या शूट करती हैं तो उनकी हंसी रुकने का नाम नहीं लेती है। वह हंसते-हंसते जमीन पर लोटपोट हो जाती हैं और 15 से 20 मिनट तक लगातार हंसती रहती हैं। इससे उनकी लाइफस्टाइल, प्रोफेशनल लाइफ और रिश्तों पर काफी असर पड़ता है।

आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर ‘स्यूडोबुलबर अफेक्ट’ की। साथ ही जानेंगे कि-

  • इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के क्या लक्षण होते हैं?
  • स्यूडोबुलबर अफेक्ट कितना खतरनाक है?
  • स्यूडोबुलबर अफेक्ट का इलाज क्या है?

अमेरिका में करीब 20 से 70 लाख लोगों को है ये बीमारी

क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, अमेरिका में करीब 20 से 70 लाख लोग स्यूडोबुलबर अफेक्ट से जूझ रहे हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि इतने सारे लोगों में कोई कम बीमार हो सकता है, जबकि किसी की कंडीशन गंभीर हो सकती है।

इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया में स्यूडोबुलबर अफेक्ट से जूझ रहे लोगों की संख्या काफी ज्यादा हो सकती है।

क्या है यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर स्यूडोबुलबर अफेक्ट

स्यूडोबुलबर अफेक्ट (Pseudobulbar Affect) एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जिससे प्रभावित शख्स अचानक अनियंत्रित और अनुचित रूप से हंसने या रोने लगता है। वह अगर हंसता है तो कई मिनट तक हंसता रहता है और अगर रोता है तो कई मिनट तक रोता ही रहता है। आमतौर पर स्यूडोबुलबर अफेक्ट एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन के कारण होता है।

दिल्ली में श्री बालाजी कैंसर एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. राजुल अग्रवाल के मुताबिक, हमारे सारे भाव, इमोशंस, हंसना-रोना सबकुछ अंतत: ब्रेन से ही कंट्रोल हो रहा होता है। इसलिए इन भावावेगों पर नियंत्रण न रख पाने में भी उसी ब्रेन की भूमिका होती है। जब इन इमोशंस को कंट्रोल करने वाले न्यूरॉन्स ठीक से काम नहीं करते तो यह स्थिति पैदा होती है। यह सिर पर लगी किसी चोट के कारण या ब्रेन को किसी और तरीके से हुए किसी डैमेज के कारण भी हो सकता है।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट के क्या हैं लक्षण हैं

स्यूडोबुलबर अफेक्ट (Pseudobulbar Affect) से प्रभावित शख्स मूड न होने पर भी अनियंत्रित तरीके से हंसने या रोने लगता है। जबकि हंसने या रोने का उस शख्स की भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं होता है। यह हंसी इतनी विस्फोटक और अनियंत्रित होती है कि आसपास देख रहे लोग डर सकते हैं। 15-20 मिनट तक लगातार हंसने के बाद लोग बुरी तरह थक जाते हैं और आंसू तक आ जाते हैं। हंसने की तुलना में रोना स्यूडोबुलबर अफेक्ट का अधिक सामान्य लक्षण है।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट से प्रभावित शख्स कहीं भी अपने अचानक और अनियंत्रित तरीके से हंसने या रोने के कारण शर्मिंदा हो सकता है। उसके लिए यह स्थिति कनफ्यूजिंग और फ्रस्ट्रेटिंग हो सकती है। इसका सीधा असर उसकी लाइफस्टाइल, कामकाज और रिश्तों पर पड़ता है।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट को कई लोग समझते हैं डिप्रेशन

स्यूडोबुलबर अफेक्ट में आमतौर पर लोग अनियंत्रित तरीके से रो रहे होते हैं। ऐसे में उनके आसपास के लोग यह समझने लगते हैं कि यह शख्स डिप्रेशन से जूझ रहा है। जबकि स्यूडोबुलबर अफेक्ट एक एपिसोड होता है, जो 15 से 20 मिनट तक हावी रहता है। इससे प्रभावित शख्स उतनी देर तक ही रोता है या उदास रहता है। जबकि डिप्रेशन इससे बहुत अलग है, उसमें हर समय उदासी छाई रहती है, भूख नहीं लग रही होती है, नींद नहीं आती है। स्यूडोबुलबर अफेक्ट में लोग उस खास एपिसोड के अलावा बाकी के समय में सामान्य होते हैं।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट से किसे अधिक खतरा है

स्यूडोबुलबर अफेक्ट उन सभी बच्चों और वयस्कों को प्रभावित कर सकता है, जो किसी न्यूरोलॉजिकल कंडीशन का सामना कर रहे हैं।

स्टडीज के मुताबिक इन न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस में स्यूडोबुलबर अफेक्ट का अधिक जोखिम होता है:

  • स्यूडोबुलबर अफेक्ट के 50% पेशेंट एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) से पीड़ित हैं।
  • स्यूडोबुलबर अफेक्ट के 48% पेशेंट गंभीर ब्रेन इंजरी से प्रभावित हैं।
  • स्यूडोबुलबर अफेक्ट के 46% पेशेंट मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) से पीड़ित हैं।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट के क्या कारण हो सकते हैं

डॉ. राजुल अग्रवाल के मुताबिक, अभी तक रिसर्चर्स स्यूडोबुलबर अफेक्ट का सटीक कारण नहीं जानते हैं। हां, यह जरूर तय है कि जब हमारे ब्रेन में इमोशनल एक्सप्रेशन को कंट्रोल करने वाले न्यूरोलॉजिकल पाथवेज (रास्ते) में कोई व्यवधान आता है, तभी ऐसा होता है।

कई न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस इस व्यवधान का कारण बन सकती हैं और स्यूडोबुलबर अफेक्ट के ज्यादातर मामलों में ये कंडीशंस भी देखने को मिलती हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं:

स्यूडोबुलबर अफेक्ट मस्तिष्क के किस हिस्से को प्रभावित करता है?

स्यूडोबुलबर अफेक्ट में आमतौर पर सेरेब्रो-पोंटो-सेरिबेलर पाथवे (रास्ते) के साथ मस्तिष्क के विभिन्न हिस्से प्रभावित हो सकते हैं।

सेरेब्रो-पोंटो-सेरिबेलर पाथवे के प्रभावित होने का मतलब है हमारे ब्रेन के एक बहुत जरूरी हिस्से सेरिबेलम का प्रभावित होना। सेरिबेलम शरीर के सारे मोटरी सेंसेज को कंट्रोल करता है। सेरिबेलम ही ये तय करता है कि हमारी बॉडी किस सिचुएशन में कितना और कैसे रिएक्ट करेगी। सेरिबेलम के डैमेज या प्रभावित होने का अर्थ है बॉडी के फिजिकल एक्सप्रेशन पर से हमारा कंट्रोल खत्म हो गया है।

इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से जूझ रहा व्यक्ति इतना हंसना या रोना नहीं चाहता, लेकिन उसका ब्रेन उसे कंट्रोल कर पाने में सक्षम नहीं होता। इसलिए मस्तिष्क के सेरिबेलम तक पहुंचने वाले न्यूरल पाथवे में अगर कोई समस्या आती है तो हमारा इमोशनल कंट्रोल कम हो सकता है या खत्म हो सकता है।

इसके अलावा ये न्यूरोट्रांसमीटर्स भी स्यूडोबुलबर अफेक्ट के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं:

  • सेरोटोनिन (Serotonin)
  • नॉरपेनेफ्रिन (Norepinephrine)
  • डोपामाइन (Dopamine)
  • ग्लूटामेट (Glutamate)
  • एसिटाइलकोलाइन (Acetylcholine)

स्यूडोबुलबर अफेक्ट का क्या इलाज है?

डॉ. राजुल अग्रवाल के मुताबिक, स्यूडोबुलबर अफेक्ट का अभी तक कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ दवाएं इसके मैनेजमेंट में हेल्पफुल हो सकती हैं। इस ट्रीटमेंट में सिर्फ हंसने या रोने की फ्रीक्वेंसी और गंभीरता को कम किया जा सकता है। इस इलाज के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि डॉक्टर से सभी साइड इफेक्ट्स के बारे में बात करने के बाद ही कोई ट्रीटमेंट लिया जाए।

अगर कोई स्यूडोबुलबर अफेक्ट से जूझ रहा है तो क्या कर सकता है

स्यूडोबुलबर अफेक्ट के कारण अचानक और अनियंत्रित रूप से हंसने या रोने के एपिसोड्स को मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर कुछ टिप्स देते हैं:

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