बिना ट्यूशन-कोचिंग के UPSC में सिलेक्शन:मां ने तैयार किए नोट्स, यूट्यूब से भी पढ़ाई की; तैयारी के लिए सालों तक घर से बनाई दूरी
बीकानेर
![यूपीएससी में सिलेक्ट होने वाले सभी कैंडिडेट्स का कहना है मेहनत और सही प्लानिंग के जरिए इस एग्जाम में पास हुआ जा सकता है। - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/04/16/cover-06_1713278187.jpg)
यूपीएससी में सिलेक्ट होने वाले सभी कैंडिडेट्स का कहना है मेहनत और सही प्लानिंग के जरिए इस एग्जाम में पास हुआ जा सकता है।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार को सिविल सर्विसेज एग्जाम-2023 का रिजल्ट जारी किया। इसमें देशभर में 1016 कैंडिडेट इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS), इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) और इंडियन फॉरेन सर्विस (IFS) के लिए चुने गए हैं। 180 IAS और 200 IPS अफसर बनेंगे, इसमें राजस्थान के भी कई युवा शामिल हैं।
बीकानेर, जयपुर, अलवर सहित अलग-अलग जिलों के युवाओं ने UPSC एग्जाम क्लियर किया। किसी ने अपने प्रयास में ही एग्जाम पास किया तो किसी को अपने घर से दूर रहना पड़ा।
किसी की मम्मी ने नोट्स बनाकर बेटे को मोटिवेट किया तो किसी को ऑप्शनल विषय में कठिनाई हुई। भास्कर से बातचीत में बताया कि ये इतना आसान नहीं था। नियमित पढ़ाई की और फोकस किया। परिवार ने भी पूरा साथ दिया। देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करने वालों ने क्या कहा, पढ़िए…
![जैसे ही परिवार ने खुशहाली के UPSC में सिलेक्ट होने की खबर सुनी तो पूरे परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/04/16/whatsapp-image-2024-04-16-at-193755-1_1713278412.jpeg)
जैसे ही परिवार ने खुशहाली के UPSC में सिलेक्ट होने की खबर सुनी तो पूरे परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।
बीकानेर की खुशहाली की 61वीं रैंक
बीकानेर के भुट्टा चौराहे पर रहने वाली खुशहाली सोलंकी ने 61वीं रैंक हासिल की है। ये उनका तीसरा अटेम्प्ट था। खुशहाली ने बताया कि पहले अटेम्प्ट में कोई सफलता नहीं मिली लेकिन दूसरी बार में वो इंटरव्यू तक पहुंच गई लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ। तीसरी बार जाकर अब 61वीं रैंक हासिल की है। ऐसे में सिविल सर्विस में उन्हें IAS का पद मिलना तय हो गया है। खुशहाली के पापा राजेश सोलंकी और मम्मी संगीता सोलंकी दोनों ही एक्सईएन है। घर में भाई और भाभी हैं।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/04/16/inner-6_1713279030.jpg)
इंटरव्यू में पूछा गांवों का विकास कैसे हो?
खुशहाली ने बताया कि इंटरव्यू में पूछा गया कि रोहिंग्या समस्या का समाधान करने की जिम्मेदारी अगर आपको दी जाए तो कैसे निपटेंगे? जिस पर बड़े विश्वास के साथ बताया कि भारत को इस समस्या से कैसे निपटना चाहिए। ये भी पूछा गया कि देश के गांवों का विकास करना हो तो पश्चिमी देशों की तरह वहां क्या सुविधाएं दे सकते हैं? खुशहाली ने कहा कि हमारे गांव हैं तो हमें अपने तरह से विकसित करने चाहिए, पश्चिमी देशों की तरह नहीं।
खुशहाली की भास्कर से बातचीत…
सवाल- किस तरह से आपने तैयारी की, घर पर कैसे पढ़ी।
जवाब- मैंने ऑनलाइन तैयारी की थी, शुरुआत में अन एकेडमी के साथ शुरुआत की। एक डेढ़ साल तक उससे पढ़ाई की। जब बेसिक कोर्स हो गया था, तब सेल्फ स्टडी की तरफ शिफ्ट हो गई। दो साल से मैं सेल्फ स्टडी ही कर रही थी। मुझे अन एकेडमी के ही एक सर राकेश वर्मा से अच्छा गाइडेंस मिला।
सवाल- शुरुआत की पढ़ाई कहां से की?
जवाब– मैंने बीटेक करते हुए थर्ड ईयर में ही UPSC के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। हिस्ट्री, पॉलिटिकल, जियोग्राफी जैसे सभी सब्जेक्ट की तैयारी ऑनलाइन क्लास में ही की। मम्मी-पापा दोनों सिविल इंजीनियर हैं।उनका भी गाइडेंस मुझे हमेशा मिलता रहा। इससे तैयारी करना और आसान हो गया। इसके बाद बीटेक किया, वो भी सिविल में।
सवाल- छोटे शहर में क्या चुनौती रही?
जवाब– चुनौती जैसा कुछ नहीं रहा। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मिल गया था। लोग दिल्ली जाकर तैयारी करते हैं। मैं ऑनलाइन थी तो कई लगता था कि कुछ मिस आउट तो नहीं हो रहा है। कोविड के बाद सब कुछ ऑनलाइन शिफ्ट हो गया था। जो मैटीरियल मिलना चाहिए था, वो सारा मिल गया।
सवाल- इंटरव्यू में किस तरह के सवाल किए गए?
जवाब– मुझसे करंट अफेयर पर आधारित सवाल किए गए। उत्तराखंड के सिविल कोड और उन दिनों की खबरों के बारे में पूछा गया। रोहिंग्या समस्या के समाधान के बारे में मेरे विचार पूछे गए थे। रोहिंग्या समस्या को कैसे संभाला जा सकता है। इंडिया का क्या स्टैंड है?
सवाल- कोई ऐसा प्रश्न, जिस पर सोचना पड़ा?
जवाब– सबसे पहले मुझे पूछा गया कि अगर आप ग्रामीण क्षेत्र को विकसित करना हो तो क्या आप उसे पश्चिमी देशों की तरह विकसित करेंगे। तब मैंने थोड़ा सोचा, फिर जवाब दिया कि वेस्टर्न वेव में हमारे गांवों को विकसित करने की जरूरत नहीं है। अगर भारतीय गांव है तो हमारे कल्चर को तरह ही उसे विकसित करना चाहिए।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/04/16/inner4_1713279043.jpg)
यूपीएससी के नोट्स मम्मी करती थी तैयार
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सर्विस परीक्षा में जयपुर के विनायक कुमार ने 180वीं रैंक हासिल की है। विनायक ने बताया कि यूपीएससी के सारे नोट्स मम्मी से ही लिखवाकर तैयार किए हैं। वे जयपुर में एसएमएस हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं। उन्होंने मेरी काफी मदद की है। पिता ने हमेशा सही और गलत का फर्क समझाया है, क्या करना है और क्या नहीं, यह बताया है। एग्जाम के आस-पास बैकलॉग (कार्य जिसे समय पर कर लिया जाना चाहिए) का ध्यान रखता था।
एग्जाम के समय सिर्फ शाम और डिनर के वक्त ब्रेक लेता था। विनायक का ये पहला अटैम्प था। उन्होंने बताया कि आईएएस की तरफ हमेश से झुकाव था। पहले थोड़ा था। जब मैं एमबीबीएस पढ़ने लगा तो थोड़ा और ज्यादा हो गया इसलिए यूपीएससी की तरफ आ गया। विनायक राजस्थान के सीनियर आईएएस और गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार के बेटे हैं। विनायक कुमार ने इसी साल जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया है।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/04/16/inner3_1713279082.jpg)
ऑप्शनल विषय में साइंस लेने से हुई परेशानी
नागौर के शिवांक चौधरी को 530वीं रैंक है। शिवांक फिलहाल जोधपुर एम्स में डॉक्टर हैं। शिवांक ने बताया कि डॉक्टर होने की वजह से यूपीएससी में ऑप्शनल विषय के लिए मेडिकल साइंस को चुना। यही सबसे कठिन साबित हुआ, क्योंकि यूपीएससी में ऑप्शनल विषय सिलेबस काफी विस्तार से होता है।
शॉर्ट नोट्स बनाकर समय बचाया। हर जगह से समय बचाकर तैयारी की। उन्होंने बताया कि वे पहले 4 अटैंप्ट कर चुके है। इनमें 3 बार प्री और मेन्स क्वालिफाई कर चुके हैं लेकिन इंटरव्यू पहली बार ही दिया और चयन हो गया। शिवांक के पिता नवीन गोदारा ठेकेदारी का काम करते हैं। मां ममता देवी गृहिणी हैं और बहन वैष्णवी 12वीं क्लास में पढ़ती है।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/04/16/inner2-2_1713279100.jpg)
डेढ़ साल घर नहीं गया
सिरोही जिले के मंडार कस्बे के रहने वाले रविंद्र कुमार (23) मेघवाल का भी चयन हुआ है। रविंद्र ने बताया कि मैंने अपने पहले ही प्रयास में बिना किसी कोचिंग के यह सफलता हासिल की है। परीक्षा की तैयारी के लिए पिछले डेढ़ साल से घर नहीं गया। प्री-परीक्षा से 4 महीने पहले वह जयपुर में रहने लग गया था।
मेन्स परीक्षा का सेंटर दिल्ली आया था, जिसके लिए करीब दो महीने दिल्ली में रहा। डेढ़ साल तक कोई शादी समारोह या धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रम में नहीं गया।
बिना कोचिंग के सिलेक्शन
रविंद्र के पिता जीवाराम बुनकर सरकारी टीचर हैं। उन्होंने बताया कि बेटे ने B.Sc के दौरान UPSC का एग्जाम देने की इच्छा जताई थी। मैंने उससे कहा कि ये बहुत कठिन परीक्षा होती है।
पहले किसी कोचिंग से अच्छी तैयारी कर लो। उसने कहा- मैं कोई कोचिंग जॉइन नहीं करूंगा। थर्ड ईयर का रिजल्ट आने से पहले ही उसने UPSC का एग्जाम दिया और प्री में पास भी हो गया था। तब तक B.Sc का रिजल्ट नहीं आने से मेन एग्जाम नहीं दे पाया। इसके बाद वापस UPSC का एग्जाम दिया और अपने पहले ही प्रयास में सफल भी हो गया।
Add Comment