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UP के मदरसों में वोकेशनल और कंप्यूटर एजुकेशन, विदेशी फंडिंग पर रोक.. सूरत बदलेगी योगी सरकार

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UP के मदरसों में वोकेशनल और कंप्यूटर एजुकेशन, विदेशी फंडिंग पर रोक.. सूरत बदलेगी योगी सरकार

यूपी के मदरसा संस्थानों की अनियमितता को लेकर लगातार चर्चा होती रही है। धार्मिक शिक्षा के नाम पर छात्रों को अलग ही राह पर ले जाने के दावे किए गए। योगी सरकार ने मदरसों की जांच के जरिए स्थिति को समझने की कोशिश की। जांच के रिजल्ट के आधार पर कार्यक्रमों को भी अब तेज किया जा रहा है।

हाइलाइट्स

  • अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से 2022 में 12 पॉइंट पर कराई गई थी जांच
  • मदरसों की जांच में विदेशी फंडिंग का मामला आया था सामने, जांच करा रही सरकार
  • मदरसा संस्थानों की फंडिंग की जांच और बदलावों के जरिए सूरत बदलने की कोशिश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मदरसा सुधार की योजना पर सरकार के स्तर पर काम शुरू किया गया है। मदरसा संस्थानों के लिए टाइम टेबल का निर्धारण, शिक्षकों और स्टूडेंट्स की उपस्थिति, सरकार से मान्यता, आधुनिक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा मदरसों को प्रभावित करने वाले कारकों को बीच से खत्म करने की भी तैयारी की गई है। यूपी सरकार की ओर से मदरसा शिक्षण संस्थानों के जरिए बच्चों के दिमाग के साथ खिलवाड़ करने वालों को चिह्नित करने की योजना बनाई गई। वर्ष 2022 में मदरसों की 12 पॉइंट पर जांच कराई गई। इसके तहत जो रिजल्ट सामने आए हैं। उसके आधार पर सुधार कार्यक्रमों को लागू किया गया है। मदरसा फंडिंग की एसआईटी जांच कराने का निर्णय लिया गया है। योगी सरकार की ओर से इसके लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके बाद मदरसा एजुकेशन के मसले पर योगी सरकार की ओर से किए जा रहे कार्यों को लेकर कई संगठनों की ओर से सकारात्मक बयान सामने आने लगे हैं। दरअसल, मदरसों में पैसे कहां से आ रहे हैं और किन माध्यमों से किन कार्यों के लिए पैसे पहुंचाए जा रहे हैं, इन पर सरकार को कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। योगी सरकार के वर्तमान समय में उठाए जाने वाले कदमों की सराहना भी हो रही है।

मदरसा संस्थानों की इन बिंदुओं पर हुई थी जांच

यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का 12 बिंदुओं पर सर्वे करवाया। वर्ष 2022 में कराए गए सर्वे में संस्थान के बारे में विस्तार से जानकारी ली गई। इसमें मदरसों के नाम, मदरसे का संचालन करने वाली संस्था का नाम और मदरसा को शुरू किए जाने के वर्ष के बारे में जानकारी ली गई। इसके अलावा यह भी पता लगाया गया है कि मदरसों का संचालन कहां हो रहा है। इसमें देखा गया कि बड़ी संख्या में मदरसे निजी घरों में संचालित किए जा रहे हैं। वहीं, कुछ मदरसों को किराए के मकान में चलाया जा रहा है। साथ ही, यह भी जानकारी ली गई है कि मदरसों को संचालित किए जाने वाले भवन स्टूडेंट्स के लिए उपयुक्त हैं या नहीं। मदरसा भवनों में पेयजल, फर्नीचर, बिजली की व्यवस्था, शौचालय आदि सुविधाओं के बारे में जानकारी ली गई है।

सरकार की ओर से कराए गए सर्वे में मदरसा संस्थानों में पढ़ाई करने वाले कुछ स्टूडेंट्स की संख्या के बारे में भी जानकारी हासिल की गई है। वहीं, मदरसा में पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी विवरण लिया गया है। सरकार की ओर से मदरसे में लागू सिलेबस की जानकारी भी मांगी गई। इसमें बड़ी संख्या में गड़बड़ी सामने आई। राज्य सरकार की ओर से निर्धारित बोर्ड से भी मदरसा संस्थानों को संबद्धता नहीं लिए जाने का मामला सामने आया। कई मदरसा संस्थान पाठ्यक्रमों के बारे में उचित जानकारी नहीं दे पाए।

सरकार ने जांच के क्रम में एक पॉइंट मदरसे की आय का रखा था। सवाल किया गया था कि मदरसे की आय का स्रोत क्या है? इसमें यह बताना था कि मदरसा को संचालित करने के लिए दान या जकात मिल रही है तो वह कहां से आ रही है। इसी में मदरसा संचालक फंस गए हैं। वे फंडिंग का स्रोत बताने में विफल रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों के मदरसों में विदेशी फंडिंग का मामला इसी बिंदु पर हुई जांच में सामने आया है। इसके अलावा सरकार ने मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राएं किसी और शिक्षण संस्थान स्कूल में नामांकित हैं या नहीं, इस संबंध में भी सवाल किया था। मतलब, छात्रों के अन्य संस्थानों में भी एडमिशन लिए जाने के बारे में जानकारी ली गई है।

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सर्वे में मदरसों के गैर सरकारी संस्था या समूह से संबद्धता की जानकारी ली गई है। इस संबंध में विवरण मंगाया गया है। मदरसा संचालकों से सर्वे के संबंध में अपनी राय और विभिन्न विंदुओं पर अपना पक्ष रखने के लिए एक पॉइंट दिया गया था। इसमें कई मदरसा संचालकों की ओर से सरकार से सहायता मिलने की स्थिति में रजिस्ट्रेशन कराने और बोर्ड का सिलेबस लागू करने संबंधी बात कही गई।

नेपाल सीमा से सटे मदरसों में गड़बड़ी

नेपाल सीमा से सटे प्रदेश के मदरसों में गड़बड़ी की आशंका जताई गई है। दरअसल, इन जिलों के कई मदरसों में आय के स्रोत पर संचालकों की ओर से सटीक जवाब नहीं दिया गया। दरअसल, योगी सरकार की ओर से प्रदेश के मदरसा सर्वे में पता चला है कि सर्वे में सामने आया था कि राज्य में 16,513 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। 8500 मदरसे ऐसे हैं, जिनको मान्यता नहीं मिली हुई है। सर्वे में बलरामपुर, श्रावस्ती, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच और लखीमपुर खीरी जिले के मदरसों में आय के स्रोत पर ठोस जवाब नहीं मिला।

सर्वे के दौरान दावा किया गया कि उनकी आय का स्रोत कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद जैसे शहरों से आने वाली जकात और विदेशी फंडिंग है। अब इसकी जांच का जिम्मा एडीजी एटीएस की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय SIT को दिया गया है। एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल, एसपी साइबर क्राइम डॉक्टर त्रिवेणी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक की टीम इस पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी।

नियमावली में भी संशोधन की तैयारी

योगी सरकार मदरसा शिक्षा को आधुनिक रूप देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। मदरसा संस्थानों में टाइम टेबल लागू किया जा रहा है। कंप्यूटर और गणित की पढ़ाई शुरू कराने और बोर्ड से संबद्धता पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी-फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली- 2016 में भी संशोधन की तैयारी है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री का कहना है कि मदरसा छात्र-छात्राओं को दीनियात की तालीम के साथ ही आधुनिक एवं विज्ञान की शिक्षा देकर मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। इसके लिए अधिकारियों को नियमावली में जरूरी संशोधन करने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्री धर्मपाल सिंह विभागीय समीक्षा में कहा कि मदरसों में व्यावसायिक शिक्षा व कंप्यूटर की शिक्षा प्रभावी ढंग से लागू की जाए।

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