भारत ने संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के साथ करार किया है। इसका मकसद अफगानिस्तान को भारत का 50 हजार टन गेहूं पहुंचाना है। पाकिस्तान से इसके लिए सभी अप्रूवल पहले ही लिए जा चुके हैं। यह बिना किसी बाधा के गेहूं पहुंचाने रास्ता खोलेगा। अफगानिस्तान खाद्य सामग्री के गंभीर संकट से गुजर रहा है।
नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (UN World Food Program) के साथ एक समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एमओयू अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं (Aid to Afghanistan) पहुंचाने से जुड़ा है। इसे पाकिस्तान के रास्ते जाना है। भारत ने इस मानवीय सहायता (Indian Humanitarian aid to Afghanistan) को बिना किसी बाधा के पहुंचाने की अपील की है। वह इस बात पर भी कायम रहा कि इस सहायता को पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को शामिल करना महत्वपूर्ण था। यह बिना किसी भेदभाव के वितरण सुनिश्चित करने के लिए अहम था।भारत ने पिछले साल अक्टूबर में एक प्रस्ताव दिया था। उसने पाकिस्तान से भारत को लैंड रूट के जरिये 50 हजार टन गेहूं अफगानिस्तान भेजने की अनुमति देने को कहा था। इसे लेकर पाकिस्तान से सभी अप्रूवल मिल चुके हैं। इसके बाद जल्द ही अफगानिस्तान को गेहूं भेजना शुरू किया जाएगा।पंजाब में चुनाव के अलावा लॉजिस्टिक्स से जुड़ी चुनौतियों के चलते इस काम में दिक्कतें आईं। इसके लिए हजारों ट्रक चाहिए।इटली में भारतीय दूतावास में एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद डब्ल्यूएफपी ने ट्वीट किया। उसने लिखा-‘भारत और डब्ल्यूएफपी ने ऐतिहासिक डील पर आज हस्ताक्षर किए। @WFP @indianitaly और @MEAIndia का इस योगदान के लिए धन्यवाद देता है। अफगानिस्तान के लोग फूड शार्टेज का सामना कर रहे हैं। यह उनके लिए बड़ी मदद होगी।’यूएन को शामिल कर भारत ने एक तरह से पाकिस्तान की भूमिका को भी खत्म करने का काम किया है। पाकिस्तान चालबाज है। वह कोशिश करता रहा है कि वह भारत की सहायता को अपने नाम से अफगानिस्तान भेज पूरा क्रेडिट ले ले। पहले पाकिस्तान अपने ट्रकों के जरिए गेहूंं को अफगानिस्तान तक भेजने का प्रस्ताव दे रहा था। भारत के विरोध के बाद पाकिस्तान ने अफगान ट्रकों से गेहूं भेजने का ऑफर दिया था। लेकिन, भारत चाहता था कि उसके ट्रकों से गेहूं को अफगानिस्तान भेजा जाए। काफी टालमटोल के बाद उसने भारत को सभी अप्रूवल दिए थे।
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