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अमेजन प्लेन क्रैश के बाद 4 दिन जिंदा थी मां:कहा था- मुझे छोड़ो, अपनी जान बचाओ; बच्चों ने जंगल में 40 दिन गुजारे

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अमेजन प्लेन क्रैश के बाद 4 दिन जिंदा थी मां:कहा था- मुझे छोड़ो, अपनी जान बचाओ; बच्चों ने जंगल में 40 दिन गुजारे

रेस्क्यू के ठीक बाद की इस फुटेज में सेना के जवान बच्चों को खाने-पीने की चीजें देते नजर आ रहे हैं। - Dainik Bhaskar

रेस्क्यू के ठीक बाद की इस फुटेज में सेना के जवान बच्चों को खाने-पीने की चीजें देते नजर आ रहे हैं।

अमेजन के जंगलों में प्लेन क्रैश के 40 दिन बाद मिले 4 बच्चों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। बच्चों ने रिश्तेदारों को बताया कि 40 दिन तक उन्हें जंगल में क्या-क्या झेलना पड़ा। बच्चों ने कहा कि हादसे के शुरुआती 4 दिन तक उनकी मां जिंदा थी।

चार बच्चों में 13 साल की लेस्ली सबसे बड़ी है। बाकी तीन की उम्र 9, 4 और 1 साल है। लेस्ली की मां की दो शादियां हुई थीं। पहली शादी से उन्हें 2 संतानें लेस्ली और सोलेनी हुईं। दूसरी शादी से 2 संतानें टीएन नॉरियल और क्रिस्टीन हुईं।

नॉरियल और क्रिस्टीन के पिता मैनुअल रानोक को लेस्ली ने बताया कि हादसे के बाद मां ने कहा था कि बच्चे वहां से चले जाएं और खुद को बचाएं। बच्चों ने बताया कि शुरुआती दिनों में वो सांप, जहरीले जानवर और मच्छरों से बचने के लिए पेड़ों के तने में छिपते थे। जब प्लेन क्रैश हुआ तब सबसे छोटी 1 साल की बच्ची मलबे में फंस गई थी। लेस्ली ने किसी तरह उसे बचाया था।

तस्वीर में रेस्क्यू टीम एक बच्चे को इलाज के लिए ले जाती नजर आ रही है।

तस्वीर में रेस्क्यू टीम एक बच्चे को इलाज के लिए ले जाती नजर आ रही है।

बच्चों के हाथ-पैर पर थे मच्छरों के काटने के निशान
सर्च ग्रुप के एक मेंबर ने बताया कि जब उन्हें बच्चे मिले थे तो उनके हाथ-पैरों में मच्छरों के काटने के बहुत सारे निशान थे। वो बुरी तरह से थके हुए और भूखे थे। उन्होंने रेस्क्यू टीम से राइस पुडिंग और ब्रेड खाने की मांग की थी। उनके पास 2 बैग में कुछ कपड़े, एक टॉर्च, 2 फोन, एक म्यूजिक बॉक्स और एक सोडा की बोतल थी।

तस्वीर में एक NGO की कर्मचारी अस्पताल में भर्ती बच्चों के लिए गिफ्ट देती नजर आ रही है।

तस्वीर में एक NGO की कर्मचारी अस्पताल में भर्ती बच्चों के लिए गिफ्ट देती नजर आ रही है।

कस्टडी की लड़ाई शुरू, नाना का आरोप- पत्नी को मारता था बच्चों का पिता
अब बच्चों की कस्टडी को लेकर उनके नाना-नानी और 2 सबसे छोटे बच्चों के पिता के बीच लड़ाई शुरू हो गई है। बच्चों के नाना नार्सिसो मुकुटुए ने कहा- बच्चों का पिता रनॉक हमारी बेटी को मारता था। तब बच्चे कई बार डरकर जंगल के पास के इलाकों में छिप जाते थे।

पिता रनॉक ने इस बात को माना है कि उनके परिवार में तनाव था। उन्होंने कहा- मेरा पत्नी से कभी-कभी झगड़ा हो जाता था, लेकिन ये हमारा पारिवारिक मामला है। इसका ये मतलब नहीं कि मुझे कस्टडी नहीं मिलनी चाहिए। मुझे दोनों बड़े बच्चों से मिलने भी नहीं दिया जा रहा है।

कोलंबिया के फेमिली वेल्फेयर इंस्टिट्यूट ने कहा कि फिलहाल उनका टारगेट बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य है। इस सदमे से निकलने में बच्चों को वक्त लग सकता है। हमारी प्राथमिकता उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ है।

ये तस्वीर बच्चों के पिता मैनुअल रानोक की है।

ये तस्वीर बच्चों के पिता मैनुअल रानोक की है।

बच्चों की सेहत में सुधार, ड्राइंग शुरू की
4 दिन अस्पताल में रहने के बाद अब बच्चों की हालत में सुधार है। उन्होंने ड्रॉइंग करना भी शुरू कर दिया है। अभी रिश्तेदारों को ज्यादा समय तक बच्चों के साथ रहने की इजाजत नहीं दी जा रही है, ताकि उन्हें आराम करने का समय मिल सके। इससे पहले रविवार को कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने बच्चों, डॉक्टर्स और रेस्क्यू टीम से मुलाकात की थी। राष्ट्रपति ने जवानों को अमेजन के जंगलों से बच्चों को सुरक्षित बचाने पर बधाई दी थी।

बच्चों की दादी ने बताया था कि कैसे 40 दिन तक सबसे बड़ी बच्ची 13 साल की लेस्ली ने अपने भाई-बहनों की देखभाल की। वो बालों में लगाने वाले रिबन की मदद से कैंप बनाती थी। लेस्ली को फलों के बारे में काफी जानकारी थी। अमेजन जंगलों के पास ही घर होने से उसे पता था कि कौन से फल खाए जा सकते हैं और कौन से जहरीले होते हैं। इसी से बच्चे 40 दिन तक फल, बीज, जड़ों और पौधों को खाकर जिंदा रहे। 

रेस्क्यू के बाद मिलिट्री ने बच्चों के साथ ये तस्वीर जारी की थी।

रेस्क्यू के बाद मिलिट्री ने बच्चों के साथ ये तस्वीर जारी की थी।

1 मई को अमेजन जंगल में हुआ था प्लेन क्रैश
दरअसल, 1 मई को अमेजन के जंगल में सेसना 206 प्लेन क्रैश हो गया था। इस हादसे में पायलट समेत 3 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें इन बच्चों की मां भी शामिल थी। 16 दिन बाद प्लेन का मलबा बरामद हुआ था, लेकिन तब बच्चे वहां से लापता थे। घटना की जानकारी मिलने के बाद कोलंबिया सरकार और मिलिट्री ने बच्चों के रेस्क्यू के लिए ऑपरेशन होप शुरू किया था।

सेना को जंगल में मिली थी दूध की बोतल, बच्चों के पैरों के निशान
कोलंबिया की सेना को 40 दिन बाद 9 जून को बच्चे मिले। इनकी उम्र 13, 9, 4 और 1 साल है। रेस्क्यू ऑपरेशन के वक्त जवानों को जंगल में कैंची, दूध की बोतल, हेयर-टाई और टेम्पररी शेल्टर मिला था। उन्हें दादी की आवाज में एक रिकॉर्डेड मैसेज भी सुनाया गया था, जिससे बच्चे एक जगह रुक जाएं या कोई सिग्नल दे सकें।

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