जयपुर: देश के प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ.अशोक पानगड़िया का आज निधन हो गया. पानगड़िया का आदर्श नगर स्थित श्री जैन श्वेतांबर निर्वाण स्थल पर अंतिम संस्कार किया गया. पानगड़िया के बेटे अरिहंत ने मुखाग्नि दी. मोक्ष वाहन में घर से आदर्श नगर श्मशान घाट ले लाया गया. जहां पर पानगड़िया को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. आपको बता दें कि डॉ.पानगड़िया के निधन से देशभर के चिकित्सा जगत में शोक की लहर छा गई.
डॉ.रघु शर्मा ने जताया शोक:
प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ.अशोक पानगड़िया के निधन पर राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा ने शोक जताया. रघु शर्मा ने कहा कि डॉ.पानगड़िया के चिकित्सा क्षेत्र के अतुलनीय योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. वे न केवल बेहतरीन डॉक्टर बल्कि अभिनव रहे. पानगड़िया अनुसंधानकर्ता, समाजसेवी और चिकित्सा प्रशासक भी रहे. उन्होंने SMS मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व RUHSके वाइस चांसलर के पद को भी सुशोभित किया.
पनगड़िया के निधन पर बीडी कल्ला ने जताया गहरा शोक:
ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने पद्मश्री डॉ.अशोक पनगड़िया के निधन पर गहरा शोक जताया. डॉ.कल्ला ने कहा कि डॉ.पनगड़िया अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चिकित्सक थे. उन्होंने अपनी विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाओं से हजारों रोगियों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया. राज्य आयोजना बोर्ड के सदस्य के रूप में भी उन्होंने अपने अनुभव का लाभ प्रदेश की प्रगति में दिया. उनका निधन प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है. ईश्वर से दिवंगत की आत्मा को चिर शांति और उनके परिजनों व शुभचिंतकों को यह दुःख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की.
पानगड़िया को प्राप्त हुए कई लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड:
उनके 90 से ज्यादा रिसर्च पेपर हेल्थ जर्नल्स में छप चुके हैं. उनकी मेडिकल और सोशल सहभागिता के चलते उन्हें यूनेस्को अवॉर्ड भी मिल चुका है. उन्हें कई लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी प्राप्त हुए हैं. डॉ.पानगड़िया का निधन न केवल चिकित्सा जगत बल्कि प्रदेश और देश के लिए भी अपूरणीय क्षति है.चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोकाकुल परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की.
2014 में पद्मश्री और 2002 में डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड मिला:
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पानगड़िया को 1992 में राजस्थान सरकार की ओर से मेरिट अवॉर्ड मिला. वे एसएमएस में न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष रहे। 2006 से 2010 तक प्रिंसीपल रहे. 2002 में उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड दिया. 2014 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। उनके 90 से ज्यादा पेपर जर्नल में छप चुके हैं. उनकी मेडिकल और सोशल सहभागिता के चलते उन्हें यूनेस्को अवॉर्ड भी मिल चुका है. उन्हें कई लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी प्राप्त हुए हैं.
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