*आखिर क्यों राजस्थान छोड़ना चाहते हैं IPS दिनेश एमएन:जानिए- एसीबी ट्रैप में CM का कितना दखल, खुलेआम क्यों घूम रहे घूसखोर IAS-IPS*
राजस्थान के सबसे दबंग IPS अफसर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दिनेश एमएन का नाम जब भी आता है चर्चा अपने आप छिड़ जाती है। फिलहाल वह जल्द ही केन्द्र में नई भूमिका में नजर आएंगे। उनकी डेप्यूटेशन फाइल भी मंजूर हो चुकी है। राजस्थान कैडर में 1995 बैच के IPS दिनेश एमएन की धाक पुलिस के हर विभाग में रही है।फील्ड पोस्टिंग में थे तो कई कुख्यात गैंगस्टर को सलाखों के पीछे पहुंचाया। अब एसीबी में बतौर एडीजी घूसखोर अफसरों पर शिकंजा कस रहे हैं। बीते सालों में कई IAS-IPS और RAS-RPS को ट्रैप करवा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहे हाल ही में ट्रैप हुए अलवर के तत्कालीन कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया, इससे पहले IAS इंद्रजीत सिंह राव, IPS मनीष अग्रवाल, DSP भैरूंलाल मीणा, DSP सपात खान, RAS पिंकी मीणा जैसे अफसरों की गिरफ्तारी।
एक के बाद एक ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद एसीबी की ऐसी धाक कायम हुई कि UP, हरियाणा, दिल्ली, केरल, हैदराबाद, मध्य प्रदेश जैसे दूसरे राज्यों की एजेंसियां भी ट्रैप की ट्रेनिंग लेने आने लगी हैं।
बड़े-बड़े अफसरों को ट्रैप करने के बाद CM या मंत्री का कितना दबाव होता है? क्या CM, मंत्री-विधायक अपराधी को छोड़ने के लिए फोन करते हैं? क्या एसीबी खुद पैसे लेकर मामले सेटल करती है?
✅ *ये वो तमाम सवाल हैं जो आम लोगों के मन में भी आते हैं।*
*सवाल- राजस्थान एसीबी ने ऐसा क्या किया कि अन्य राज्यों की एजेंसी ट्रैप सीखने यहां आती हैं?*
*जवाब-* पिछले 10 साल में एसीबी राजस्थान ने सफल ट्रैप किए हैं। एसीबी में मौजूदा समय में अच्छे अफसर हैं। इसके कारण बड़े ट्रैप हो पा रहे हैं। हेल्पलाइन 1064 से भी लोगों को काफी सुविधा हो गई है। राजस्थान में किसी भी जिले से ढाणी का व्यक्ति 1064 पर फोन कर हमें जानकारी देता है। रिवॉल्विंग फंड अब एसीबी के पास आ गया है। इससे परिवादी का पैसा नहीं अटकता। परिवादी का काम कराने की जिम्मेदारी एसीबी की होती है।
*सवाल- आपकी दबंग अफसर की छवि है। क्या मंत्री, ब्यूरोक्रेसी या प्रभावशाली लोगों का दबाव आता है?*
*जवाब*- एसीबी मुख्यमंत्री के अधीन होती है। एसीबी में किसी का दबाव नहीं आता। एसीबी पूरे सबूतों के बाद ट्रैप करती है। इसलिए दबाव का सवाल ही नहीं। सीएम ने पूरी फ्रीडम दे रखी है।
*सवाल- आप ने IAS अशोक सिंघवी को पकड़ा था, क्या उस दौरान सीएम या किसी और ने दखल दिया था?*
*जवाब*- ट्रैप में सरकार भी परमिशन के लिए एक्सपेक्ट नहीं करती। सरकार को ट्रैप होने के बाद जानकारी दे दी जाती है।
*सवाल- एसीबी जो ट्रैप करती है। वो अदालत में टिक नहीं पाते, क्या वजह है?*
*जवाब-* जो भी ट्रैप एसीबी करती है। वह सबूतों के आधार पर करती है। कोर्ट में केस खारिज नहीं होते। लंबित जरूर रहते हैं। केस खारिज हो जाए, ऐसा नहीं होता। जिन्हें हमने पकड़ा है। वह देर से ही सही जेल जरूर जाएंगे।
*सवाल- एसीबी को लेकर परसेप्शन है कि यहां भी भ्रष्टाचार है। केस सेटल करने के नाम पर पैसे मांगने की बातें सामने आती है?*
*जवाब*- जहां भी ऐसी शिकायत मिलती है। वहां पर एसीबी कार्रवाई करती है। 2020 में सवाई माधोपुर में चौकी प्रभारी को ट्रैप किया था। जिसमें कोई परिवादी नहीं था। हमारी विजिलेंस टीम ने एक्टिव होकर काम किया। इसके बाद चौकी प्रभारी के खिलाफ एफआईआर हुई। जांच आईपीएस अधिकारी को दी गई। इसके बाद चौकी प्रभारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज किया गया था।
*सवाल- जयपुर से दूसरे जिलों में टीमें भेजने की नौबत क्यों आती है, क्या टीम पर भरोसा नहीं है या वहां मिलीभगत होती है?*
*जवाब-* हमें हमारे स्टाफ पर पूरा भरोसा है। परिवादी को भरोसा नहीं होता है। जिस कारण से वह जयपुर तक आते हैं। राजस्थान की हर यूनिट को पूरे राज्य में ऑपरेशन करने की स्वीकृति दे रखी है। टेक्निकल बेस वाले केसों में जयपुर से टीमें भेजी जाती हैं।
*सवाल- अशोक सिंघवी, मनीष अग्रवाल जैसे दर्जनों IAS-IPS ट्रैप होने के बाद बाहर घूम रहे हैं?*
*जवाब-* कानून के तहत रिश्वतखोर पकड़े जाते हैं। कानून के तहत ही उन्हें बेल मिलती है। केस खत्म नहीं होता समय जरूर लगता है। जो दोषी है, उसे सजा जरूर होगी।
*सवाल- एसीबी के ट्रैप में सबूतों की कमी बड़ा विषय है। इसका फायदा आरोपियों को मिलता है। लूपहोल केस के दौरान क्यों छोड़े जाते हैं?*
*जवाब*- बिना एविडेंस के केस बनाया ही नहीं जाता है। सजा का प्रतिशत एसीबी का 50 प्रतिशत है। डीजी एसीबी हर फाइल की मॉनिटरिंग करते हैं। गलती का सवाल ही नहीं होता। अब तक कोई केस क्रैश नहीं हुआ।
*सवाल- बड़े अफसरों पर कार्रवाई से पहले क्या सीएम से पूछा जाता है?*
*जवाब*- मैं दावे से कह सकता हूं कि जितना फ्रीडम इस सरकार ने दिया है। उतना फ्रीडम किसी राज्य की सरकार नहीं देती है। एसीबी के काम पर सीएम का कोई दखल नहीं होता है।
*सवाल- अगर आप को मोदी टीम का हिस्सा बनने का मौका मिले तो क्या आप बनेंगे?*
*जवाब-* जी हां, सेंट्रल में जाने के लिए परमिशन कुछ दिनों पहले ही मिली है। आगे डिसाइड करेंगे क्या करना है।

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