ईरान ने जासूस को फांसी पर लटकाया:सजा पाने वाला ईरानी नागरिक था, खुफिया जानकारी इजराइल को देने का दोषी पाया गया था
ईरान ने जासूसी के आरोप में जिस शख्स को फांसी दी है, उसकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है। (प्रतीकात्मक)
ईरान ने अपने एक नागरिक को इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जासूसी का दोषी पाया और उसे फांसी पर लटका दिया।
ईरान के सरकारी टीवी ने इसकी पुष्टि की है। इसके मुताबिक- दोषी पाए गए शख्स के पास से कुछ खुफिया दस्तावेज बरामद हुए थे। उसने यह डॉक्यूमेंट्स इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद को दिए थे और बदले में काफी पैसा कमाया था। सजा पाने वाले व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं की गई है।
जाहेदान प्रांत की जेल में फांसी
इस शख्स को फांसी सिस्तान-बलूचिस्तान राज्य की राजधानी जाहेदान में शनिवार रात फांसी पर लटकाया गया। ईरानी ज्यूडिशियरी की वेबसाइट मिजान ऑनलाइन ने भी सजा दिए जाने की पुष्टि की है। हालांकि, उसने भी फांसी पर लटकाए गए व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
वेबसाइट पर कहा गया- फांसी पाने वाले शख्स को अप्रैल में रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। वो इजराइल जैसे दुश्मन देश को ईरान की खुफिया जानकारी दे रहा था और उसके बदले पैसे ले रहा था। पूछताछ में उसने जुर्म कबूल कर लिया था।
तस्वीर जून की है। तब UN के सामने ईरान में दी जाने वाली फांसी के खिलाफ कई लोगों ने इस तरह प्रदर्शन किया था।
ईरान हर 6 घंटे एक व्यक्ति को फांसी दे रहा
- ईरान ने पिछले 10 दिनों में हर 6 घंटों में एक व्यक्ति को फांसी पर लटकाया है। इसका खुलासा ईरान ह्यूमन राइट्स (IHR) की रिपोर्ट में किया गया है। इसमें बताया गया है कि ईरान में पिछले 10 दिनों में 42 लोगों को फांसी दी जा चुकी है। मौत की सजा पाने वाले लोगों में ज्यादातर अल्पसंख्यक बलूच समुदाय के लोग हैं।
- मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान ने 2023 की शुरुआत से लेकर अब तक 194 लोगों को फांसी दी है। हालांकि, इनमें से केवल 2 फांसी की सजा को ही सार्वजनिक किया है। ज्यादातर मामलों में मौत की सजा पाने वाले लोगों पर ड्रग्स के मामलों से जुड़े आरोप थे।
- हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के बीच ईरान ने साल 2022 में भी 582 लोगों को फांसी की सजा दी थी। इनमें ईरान में खुफिया जानकारी देने के आरोप में देश के पूर्व उप रक्षा मंत्री अलिर्जा अकबरी भी शामिल थे। ये खुलासा भी दो मानवाधिकार संगठनों ने एक रिपोर्ट जारी कर किया गया था। इतनी बड़ी तादाद में लोगों को सजा ए मौत देने पर ईरान को फांसी देने की मशीन कहा गया था।
तस्वीर मजीदरेजा रहनवर्ड की है। इस युवा को कुछ महीने पहले हिजाब विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर फांसी पर लटका दिया गया था।
विरोध रोकने के लिए फांसी का सहारा
इस साल की शुरुआत में एक मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ईरान लोगों को प्रदर्शनों में हिस्सा लेने से रोकने के लिए उनमें मौत की सजा का डर पैदा किया जाता है। जून में 4 लोगों को केवल हिजाब विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के आधार पर फांसी दे दी गई थी।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले एक साल में ड्रग्स से जुड़े अपराधों में भी काफी लोगों को मौत की सजा दी गई। इन संस्थाओं को डर है कि कहीं ईरान ड्रग्स की आड़ में प्रदर्शनकारियों को तो सजा नहीं दे रहा है। इसकी वजह ये है कि 2022 में फांसी पर चढ़ाए गए 582 लोगों में 44% लोग ड्रग्स, यानी नशीली दवाओं की तस्करी से जुड़े अपराधों के दोषी थे।
नाबालिगों को भी सजा-ए-मौत
- नाबालिगों को मौत की सजा न देने के यूनाइटेड नेशन कंवेंशन को साइन करने के बावजूद ईरान उन टॉप देशों में शामिल है जहां नाबालिगों को फांसी की सजा दी जाती है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक ईरान में 9 साल की उम्र पार करने के बाद लड़कियों को मौत की सजा दी जा सकती है। लड़कों के लिए ये उम्र 15 साल है।
- साल 2005 से 2015 के बीच लगभग 73 बच्चों को मौत की सजा दी जा चुकी है। फांसी के तख्त पर पहुंचने से पहले ईरान का हर युवा जिसे मौत की सजा सुनाई गई है वो औसतन सात साल जेल में गुजारता है। कई मामलों में तो यह 10 साल भी है। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत 18 साल से कम उम्र के शख्स को फांसी की सजा देने पर रोक है।
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