कला ही जीवन का सिरमौर है : धर्मेंद्र
बीकानेर,15 अप्रैल25। राजस्थानी साफा पाक पगड़ी व कला संस्कृति संस्थान एवं थार विरासत संस्थान द्वारा संयुक्त तत्वाधान में स्थापना दिवस के अवसर पर होने वाले आयोजनों की श्रृंखला में 537 में स्थापना दिवस पर सांस्कृतिक आयोजनों के तहत बुधवार को 7 दिवसीय उछब थरपन्ना के दूसरे दिन साफा पाग पगड़ी प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें आज की मुख्य अतिथि धर्मेंद्र छगानी एवं संजय स्वामी , मनमोहन पालीवाल मुख्य रूप से थे। साफा, पाग़, पगड़ी स्पेशलिस्ट कृष्ण चंद्रपुरोहित मुख्य रूप से प्रशिक्षक के रूप में आमंत्रित थे, कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेश जी रंगा ने की।
इस अवसर पर धर्मेंद्र छगानी ने बताया कि आज के इस दौर में साफा पाग पगड़ी का प्रशिक्षण लेना बहुत ही जरूरी है पहले के जमाने में हर जाति विशेष के अनुसार पगड़ी पहनी जाती थी और उसे समय उसे पगड़ी को देखकर ही जाति का पता लगाया जा सकता था अब आज के इस दौर में युवाओं से हमें उम्मीद है कि यह पगड़ी प्रशिक्षण प्राप्त कर बीकानेर का नाम अपने सुनहरे अक्षरों में लिखकर बीकानेर का नाम रोशन करेंगे और व्यवसाय को नए आयाम देंगे।
इस अवसर पर संजय स्वामी एवं मनमोहन पालीवाल ने बताया कि साफा बांधने का प्रशिक्षण किशन जी के द्वारा लेना अपने आप में एक गर्व की बात है किशन जी ने बीकानेर का नाम हिंदुस्तान के सुनहरा अक्षरों में उल्लेखित किया है, आज इस बीकानेर स्थापना दिवस के उपलक्ष में सात दिवसीय कार्यक्रम में दूसरे दिन का कार्यकाल साफा बांधने की कला जनता के बीच में बहुत ही रोचक और रचनात्मक कार्य है।
इस अवसर पर सफा प्रशिक्षक कृष्ण चंद्र पुरोहित ने बताया कि पूरे हिंदुस्तान में 155 तरह की पगड़ी पहनी जाती है और उसमें राजस्थान में सभी जिलों में और तहसीलों में अलग-अलग तरह की पगड़ी पहनी जाती है जिसमें विशेष रूप से एक बात बताना चाहता हूं राजस्थान में किसी भी जिले में हर 15 कोस पर पानी बोली और पगड़ी बदल जाती है।
राजस्थान में जयपुर की पगड़ी, जोधपुर की पगड़ी, उदयपुर की पगड़ी, मेवाड़ की पगड़ी, बीकानेर की पगड़ी, बीकानेर गोल साफा, पाली की पगड़ी, इस तरह से विभिन्न प्रकार की पगड़ी पहनी जाती है।
कार्यक्रम संयोजक राजेश जी रंगा ने बताया कि पगड़ी बांधने का प्रशिक्षण कृष्ण चंद्र पुरोहित द्वारा दिया गया यह एक गौरव की बात है कृष्ण चंद्र पुरोहित ने अभी तक 38 वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं।बीकानेर की कला साहित्य संस्कृति एवं समाज सेवा के साथ-साथ खेलों में विशेष भूमिका रही है, बीकानेर साहित्य क्षेत्र में लक्ष्मी नारायण जी रंगा की 150 पुस्तकों का लेखन होना बीकानेर के लिए गौरव की बात है। कला के क्षेत्र में पेंटिंग मिनिचर आर्ट, फड़ र्आर्ट, उस्ता आर्ट, आदी के साथ साफा पाग पगड़ी की विशेष कला है। कार्यक्रम का संचालन आशीष रंगा ने किया।
प्रशिक्षण लेने वाले प्रतिभागी आदित्य पुरोहित, मोहित पुरोहित, युवराज स्वामी, निखिल स्वामी, सनी स्वामी, दीपेंद्र उपाध्याय, गिरिराज उपाध्याय, हर्षित सुथार, दुगू सुथार, आदित्य व्यास, यशु उपाध्याय, हरि उपाध्याय, विमल किशोर व्यास,प्रियांशु स्वामी, इत्यादि प्रतिभागी ने हिस्सा लिया।
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