जैसलमेर 12.02.2024 l भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केंद्र, बीकानेर द्वारा अनुसूचित जाति उप योजना के तहत जैसलमेर के गांव सांवता एवं सम गांव में दिनांक 09 से 10 फरवरी के दौरान पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । आयोजित शिविर में गांव सांवता के 133 पशुपालकों ने अपने पशुओं यथा- ऊँट 350, गाय 273, भेड़ 1812 व बकरी 1070 सहित पशुओं एवं गांव सम के 28 पशुपालकों ने ऊँट 76, गाय 23, भेड़ 258 व बकरी 197 पशुओं सहित अपनी सहभागिता निभाते हुए शिविरों में प्रदत पशु स्वास्थ्य सुविधाओं का भरपूर लाभ लिया । शिविर में महिलाओं की अच्छी खासी सहभागिता देखी गई ।
केंद्र निदेशक डॉ. आर्तबंधु साहू ने पशुपालकों से बातचीत करते हुए कहा कि पशुपालन की दिशा में नूतन प्रोद्योगिकी का लाभ लेने हेतु पशुपालकों को जागरूक होना चाहिए ताकि वे अपने पशुधन से पर्याप्त उत्पादन एवं आमदनी प्राप्त कर सकें । केन्द्र निदेशक डॉ.साहू ने विशेषकर ऊँटनी के दूध एवं इससे निर्मित मूल्य संवर्धित उत्पादों एवं दूध की विभिन्न मानवीय रोगों के प्रबंधन में औषधीय उपयोगिता का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में ऊँटों की संख्या को ध्यान में रखते हुए ऊँटनी के दुग्ध व्यवसाय में उद्यमिता की संभावनाएं व्याप्त है। साथ ही उन्होंने प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से ऊँटों के महत्व एवं नूतन आयामों में इसकी उपयोगिता के संबंध में भी प्रकाश डाला तथा पशुपालकों के लिए इसे आमदनी का महत्वपूर्ण जरिया बताया । इस अवसर पर उन्होंने पशुपालकों को सरकारी योजनाओं के भरपूर लाभ उठाने की भी बात कही।
केन्द्र की एससीएसपी उपयोजना के नोडल अधिकारी डॉ. आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने जानकारी दी कि शिविरों में वैज्ञानिक और पशु पालकों के मध्य वार्ता में पशु पालन व्यवसाय में आ रही बाधाओं व चुनौतियों जैसे- पशुओं से श्रेष्ठ उत्पादन, उनके लिए पर्याप्त चरागाह व्यवस्था, प्रजनन हेतु उत्तम नस्ल के नर ऊँट की उपलब्धता आदि पर बात रखी गई साथ ही क्षेत्र के पशुओं में पाए जाने वाले विशेषकर सर्रा रोग के बारे में वैज्ञानिकों ने विस्तार से जानकारी दी। महिला पशुपालकों को पशुओं से स्वच्छ दूध उत्पादन प्राप्त करने हेतु थनों की अच्छी तरह साफ-सफाई एवं स्वच्छ दूध उत्पादन प्राप्त हेतु जानकारी दी गई ।
किसानों से बातचीत करते हुए केन्द्र वैज्ञानिक डॉ.शान्तनु रक्षित ने एनआरसीसी की प्रसार गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी । डॉ.काशी नाथ, पशु चिकित्सा अधिकारी ने शिविर में पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बताया कि अधिकतर पशुओं में चीचड़, भूख कम लगना, पेट में कीड़े पड़ने आदि रोग देखे गए, इनके उपचार के लिए दवा दी गई । साथ ही पशु आहार के रूप में केन्द्र द्वारा निर्मित करभ पशु आहार भी वितरित किया गया। केन्द्र के श्री मनजीत सिंह ने पशुपालकों के पंजीयन, उपचार व आहार वितरण आदि जैसे कार्यों में सक्रिय सहयोग प्रदान किया।
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