बीकानेर । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर ने जन जातीय उपयोजना के तहत सिरोही के आबू रोड़ स्थित गांव अचपूरा में आज दिनांक को पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें 135 से अधिक किसानो सहित करीब 62 महिलाओं ने सक्रिय रूप से सहभागिता निभाई। चिकित्सा शिविर में लाए गए विभिन्न पशुओं यथा- 243 ऊँट, 131 गाय, 122 भैंस, 415 भेड व बकरी़ सहित कुल 911 पशुओं की स्वास्थ्य जांच की गई। इस दौरान ऊँटों में सर्रा (तिबरसा) बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण किया गया । इस दौरान शिविर में गर्भ एवं प्रजनन, एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित अन्य पशुओं की जांच एवं इलाज किया गया । चिकित्सकों द्वारा पशुओं को कृमिनाशक दवा पिलाई गई एवं पौष्टिक ‘करभ पशु आहार‘ पशु पालकों को वितरित करवाया गया। केन्द्र वैज्ञानिकों ने पशुओं के रक्त, त्वचा व मिंगणी आदि की जांच हेतु कुल 49 नमूनें लिए । संवाद कार्यक्रम में पशुपालकों ने पशु स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को वैज्ञानिकों एवं पशु चिकित्सों के समक्ष रखा जिनका उचित समाधान एवं निराकरण संबंधी जानकारी दी गई।
केन्द्र के निदेशक डॉ. आर.के.सावल ने कहा कि केन्द्र द्वारा जन जातीय उपयोजना के तहत पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने हेतु पशुपालकों को पशु स्वास्थ्य सेवाएं एवं संगोष्ठी आदि के माध्यम से संबंधित जानकारी सतत रूप से प्रदान की जाती है ताकि इनमें प्रदत्त सुविधाओं एवं आयोजित संगोष्ठी में प्राप्त जानकारी से अपने पशुओं से यथोचित उत्पादन प्राप्त कर तथा अपनी आजीविका में अपेक्षित सुधार लाभ ला सकें । डॉ. सावल ने ऊँट पालकों के साथ गोष्ठी के दौरान ऊँटनी के दूध की गुणवत्ता के बारे में भी चर्चा की तथा दूध के विपणन हेतु उन्हें प्रोत्साहित किया ताकि ऊँट पालक दुग्ध व्यवसाय को अपनाते हुए आत्मनिर्भर बन सकें ।
केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. शान्तनु रक्षित ने कहा कि एनआरसीसी समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम, पशु मेलों आदि के माध्यम से अनुसंधान कार्यों व वैज्ञानिक उपलब्धियों, नूतन प्रौद्योगिकी आदि का व्यापक प्रचार-प्रसार करता है ताकि अधिकाधिक पशुपालक इनसे लाभान्वित हो सकें ।
इस अवसर पर डॉ. जगदीशप्रसाद बरवड़, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, सिरोही ने भी पशुधन से जुड़ी समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पशुपालकों को इन स्वास्थ्य शिविरों का अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिए ।
केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. श्याम सुंदर चौधरी ने कहा कि बदलते परिवेश में पशुपालक भाइयों को पशुओं के जनन, प्रजनन, स्वास्थ्य, आहार पोषण, उचित रखरखाव का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए खासकर पशुओं के स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता बरतनी चाहिए ताकि वे आर्थिक नुकसान से बच सकें ।
केन्द्र के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. काशीनाथ ने शिविर के बारे में कहा कि क्षेत्र के ऊँटों के 1-2 वर्ष तक के टोरडियों में मुमड़ी रोग का प्रकोप अधिक देखने में आया। साथ ही पशु पालकों को मौसमी बीमारियों से बचाव हेतु समुचित उपाय सुझाए गए। सरपंच श्रीमती बालमी देवी ने अचपुरा गांव में एनआरसीसी द्वारा आयोजित इस पशु स्वास्थ्य शिविर हेतु आभार व्यक्त किया ।
शिविर में एनआरसीसी के श्री मनजीत सिंह, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी, श्री रणवीर सिंह, तकनीशिएन तथा पशुपालन विभाग सिरोही के पशुधन सहायकों, श्री सेवाराम, अध्यक्ष, पशुपालन सेवा समिति , सिरोही ने पशुओं के पंजीयन, दवा व आहार वितरण, टीकाकरण आदि विभिन्न कार्यों में सहयोग प्रदान किया ।
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