श्रेष्ठता की आदर्श स्थिति महानता है : स्वामी मिथिलेशनंदिनीशरण
युवा अपने स्वभाव के अनुरूप अपने जीवन का फोकस तय करें : स्वामी विमर्शानंद गिरी
एमजीएसयू में डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर विभाग द्वारा बुधवार को साधु महात्माओं के साथ युवा संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम उत्तिष्ठ भारत विचार मंथन शृंखला के तहत वाराणसी की सेवाज्ञ संस्थानम् व महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ।
आयोजक डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ॰ मेघना शर्मा ने बताया कि सर्वप्रथम माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष पुष्पार्चन व वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ।
सेवाज्ञ संस्थानम् वाराणसी के संरक्षक पूज्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि चाही गई परिस्थिति तक ले जाने वाला द्वंद व चिंतन ही जीवन में सर्वथा महत्वपूर्ण होता है।
महानता प्रायः हमारे लिये स्वप्न हो जाती है जबकि श्रेष्ठता की आदर्श स्थिति महानता होती है।
विद्यार्थी जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है अपने विद्याध्ययन से मानवता का उन्नयन तो वहीं शिक्षक की चुनौती है ज्ञान का समुचित संप्रेषण।
इससे पूर्व अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ॰ मेघना शर्मा ने तुलसीदास, कबीर व सहजोबाई के दोहों के माध्यम से साधु संगति के उच्चस्तरीय परिणामों का ज़िक्र करते हुये युवा शक्ति की राष्ट्रनिर्माण में भूमिका पर प्रकाश डाला साथ ही औपचारिक स्वागत भाषण मंच से पढ़ा ।
लालेश्वर महादेव मठ शिवबाडी के अधिष्ठाता स्वामी विमर्शानंद गिरी महाराज ने युवाओं को अपने स्वभाव के अनुरूप अपनी ऊर्जा के अनुसार जीवन की दिशा तय करने का संदेश मंच से दिया।
उन्होंने कहा युवा जोश से भरा होता है ज़रूरत होती है अपने वेग को सही दिशा देने की, वही युवा निराश हताश है जिसने जीवन के लक्ष्य को नहीं समझा।
बीकानेर पश्चिम के लोकप्रिय विधायक जेठानंद व्यास ने कहा कि उत्तिष्ठ भारत कार्यक्रम व्यक्ति के अपने जीवन से ही आरंभ होकर आगे चलता है।भारत की जड़ माँ है। उन्होंने युवाओं से आव्हान किया कि नौकरियों की तरफ दौडना बंद करें। नौकर नहीं मालिक बनने की सोच विकसित करें, देश और समाज की सेवा के अन्य भी रास्ते हैं। कुलसचिव अरुण प्रकाश शर्मा व वित्त नियंत्रक अरविंद बिश्नोई भी मंचस्थ रहे। अतिथियो का शॉल, पुष्पगुच्छ, साफे, स्मृति चिन्ह व उपरिये से स्वागत किया गया
कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कार्यक्रम अध्यक्ष की भूमिका में मंच से साधु संगति और युवा विमर्श को वर्तमान समय की मांग भी और ज़रूरत बताया।
धन्यवाद ज्ञापन सह अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ॰ प्रभुदान चारण ने दिया तो वहीं मंच संचालन डॉ॰ संतोष कंवर शेखावत द्वारा किया गया। आयोजन में प्रो॰ अनिल कुमार छंगाणी, प्रो॰ राजाराम चोयल के अतिरिक्त विश्वविधालय के समस्त अधिकारीगण, शिक्षक समुदाय व संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्यगण व विद्यार्थी शामिल रहे।
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