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कुत्ते के काटे जख्म को 15 मिनट तक साबुन-पानी से धोएं : डॉ अबरार

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विश्व रेबीज दिवस पर स्वास्थ्य विभाग ने आयोजित किया वेबीनार

बीकानेर 28 सितंबर। कुत्ते-बिल्ली-बंदर आदि जानवरों के काटने या खरोचने पर हुए घाव को तुरंत साफ पानी व साबुन के साथ 15 मिनट तक धोना चाहिए। फिर एंटीसेप्टिक लगाकर एंटी रेबीज वैक्सीन के लिए अस्पताल ले जाना चाहिए। विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन वेबीनार में उक्त जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मोहम्मद अबरार पवार ने 2030 तक भारत को रेबीज मुक्त बनाने का संकल्प दिलाया। उन्होंने बताया कि रेबीज एक शत प्रतिशत जानलेवा बीमारी है। जिसे रेबीज हो गया उसके लिए कोई ईलाज नहीं है। संक्रमित व्यक्ति विभिन्न लक्षणों के साथ हाइड्रोफोबिया का शिकार हो जाता है। उसे पानी देखकर ही डर लगने लगता है। दिमाग में संक्रमण बढ़ने के साथ ही मरीज की मृत्यु हो जाती है। लेकिन पशु के काटने पर यदि एंटी रेबीज वैक्सीन की समस्त डोज तय समय अनुसार लगवा ली जाए तो उसका बचना भी सुनिश्चित है। पशु पालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ शिव प्रसाद जोशी भी वेबीनार से जुड़े। उन्होंने बताया कि पशु पालन विभाग द्वारा पालतू जानवरों को एंटी रेबीज वैक्सीन निःशुल्क लगाई जा रही है। पशुपालकों व पशु प्रेमियों को जूनेटिक डिजीज के बारे में लगातार जागरूक भी किया जा रहा है।
डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता ने रेबीज दिवस के साथ ही शुरू हुए एंटी रेबीज सप्ताह के दौरान आयोजित होने वाली गतिविधियों की जानकारी दी तथा एंटी रेबीज टीकाकरण से संबंधित तकनीकी जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि रेबीज एक वायरस जनित रोग है। यह वायरस कुत्ते, बिल्ली, बंदर, भेड़िया आदि के लार में मौजूद होता है। संक्रमित जानवर द्वारा काटने से मनुष्य में बीमारी का फैलाव होता है। काटने के 2-3 दिन से लेकर दो-तीन वर्ष बाद तक रेबीज के लक्षण उभर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ अनुरोध तिवारी ने जानकारी दी कि भारत देश में प्रतिवर्ष 55,000 से अधिक मौतें रेबीज के कारण हो जाती है जिनमें से 40% सिर्फ बच्चे होते हैं जो की जानकारी के अभाव में रेबीज का समय पर इलाज शुरू नहीं कर पाते हैं। ब्लॉक सीएमओ बीकानेर डॉ सुनील हर्ष ने बचाव के तरीकों के व्यापक प्रचार प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि इस आसानी से बचाव वाली बीमारी से किसी की मृत्यु ना हो। ब्लॉक सीएमओ नोखा डॉ कैलाश गहलोत ने कहा कि यदि किसी बच्चे को चोट लगी हो तो माता-पिता को यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि कहीं किसी जानवर ने तो नहीं काटा है ? क्योंकि प्राय: बच्चे ऐसी बात छुपा जाते हैं और इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। वेबीनार का संचालन जिला आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य ने रेबीज की जानकारी से संबंधित वीडियो व अन्य आईईसी टूल्स का प्रदर्शन करते हुए किया। एंटी रेबीज वैक्सीन के आविष्कारक लुई पाश्चर को श्रद्धांजलि दी गई। जिला सलाहकार फ्लोरोसिस महेंद्र जायसवाल ने एंटी रेबीज सप्ताह में आयोजित होने वाली गतिविधियों की रिपोर्टिंग से संबंधित जानकारी दी। ऑनलाइन वेबीनार में स्वास्थ्य विभाग के जिला एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारी, कर्मचारी, नर्सिंग स्टाफ, एएनएम, सुपरवाइजर, आशा सहयोगिनियां व स्वास्थ्य मित्र शामिल हुए।

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