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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बढ़ते कोविड-19 मामलों वाले 11 राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की संख्या, दवाएं, अस्पताल के बिस्तरों की उपलब्धता की समीक्षा की

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भारत सरकार के क्रमिक, समय पूर्व और अग्र सक्रिय दृष्टिकोण के अनुरूप, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 के मामलों में हाल ही में आयी तेजी को रोकने और उसके प्रबंधन के लिए राज्यों/ केंद्रशासित क्षेत्रों द्वारा किए गए उपायों की समीक्षा के लिए आज 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक तीन घंटे से ज्यादा समय तक चली। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित इनराज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों में नए कोविडमामलों में एक अभूतपूर्व तेजी दर्ज की गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक की शुरुआत में नए मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि का एक स्नैपशॉट पेश किया। उन्होंने कहा कि 12 अप्रैल, 2021 को भारत में अब तक किसी एक दिन सबसे ज्यादा कोविड मामले सामने आएथे, जो दुनिया में किसी एक दिन के लिहाज से भी उच्चतम संख्या थी। 12 अप्रैल, 2021 को दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण के कुल मामलों में भारत की हिस्सेदारी 22.8% थी। उन्होंने कहा, “भारत में वर्तमान में नए कोविडमामलों में सबसे तेज विकास दर 7.6% है, जो जून,2020 में दर्ज की गई 5.5% की विकास दर की तुलना में 1.3 गुना अधिक है। इसके साथसक्रिय मामलों की दैनिक संख्या में खतरनाक वृद्धि देखी जा रही है जो इस समय 16,79,000 है। साथ ही, मौतों की संख्या में 10.2% की तेज वृद्धि भी हुई है। हर दिन सामने आने वाले नए मामलों और बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या के बीच का बड़ा अंतर यह दिखाता है कि लगातार बढ़ते सक्रिय मामलों के साथ संक्रमण के मामले बीमारी से उबरने के मामलों की तुलना में काफी तेज से बढ़ रहे हैं।” सभी 11 राज्य/केंद्रशासित क्षेत्र पहले से हीएक दिन में संक्रमण की अपनी अधिकतम संख्या को पार कर चुके हैं और वहां मुंबई, नागपुर, पुणे, नासिक, ठाणे, लखनऊ, रायपुर, अहमदाबाद और औरंगाबाद जैसे कुछ जिलों में भी यही स्थिति है।

डॉ. हर्षवर्धन ने संकट से निपटने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में भी इसी तेजी से किए जा रहे विकास का उल्लेख करते हुए कहा: “महामारी की शुरुआत में उपलब्ध सिर्फ एक लैब की तुलना में, अब हमारे पास 2463 लैब हैं जिनकी 15 लाख की संयुक्त दैनिक जांच क्षमता है। पिछले 24 घंटों में की गई 14,95,397 जांचोंके साथ जांचों की कुल संख्या बढ़कर 26,88,06,123 हो गई है। गंभीरता के अनुरूप कोविड-19 का इलाज करने के लिए त्रिस्तरीय स्वास्थ्य ढांचे में अब इस बीमारी के लिए समर्पित 2,084 अस्पताल (जिनमें से 89 केंद्र और बाकी 1,995 राज्यों केअधीनस्थ हैं), समर्पित4,043 ​​स्वास्थ्य केंद्र और समर्पित 12,673​​देखभाल केंद्र शामिल हैं। कोविड के इलाज के लिए समर्पितअस्पतालों में 4,68,974 बिस्तरों सहित कुल 18,52,265 बिस्तर उपलब्ध हैं।”डॉ. हर्षवर्धन नेस्वास्थ्य मंत्रियों को याद दिलाते हुए कहा कि पिछले साल केंद्र ने राज्यों को 34,228 वेंटिलेटर उपलब्ध कराए थे और वेंटिलेटर की नई आपूर्ति का आश्वासन दिया: इनमें से 1,121 वेंटिलेटर महाराष्ट्र को, 1,700 उत्तर प्रदेश को, 1,500 झारखंड, 1,600 गुजरात को, 152 मध्य प्रदेश को और 230 छत्तीसगढ़ को दिए जाएंगे।

डॉ. हर्षवर्धन ने आबादी के प्रत्येक लक्षित वर्ग में टीका लगवाने वाले लाभार्थियों की संख्या बताते हुए टीके की कमी के कथित मुद्दे पर भी चर्चा की। केंद्र द्वारा राज्यों को प्रदान की गई 14 करोड़ 15 लाख खुराकों के मुकाबले अब तक कुल टीकों की खपत (नुकसान सहित) लगभग 12 करोड़ 57 लाख 18 हजार खुराकें हैं। अब भी राज्यों के पास करीब एककरोड़ 58 लाख खुराकेंउपलब्ध हैं, जबकि एक करोड़ और 16 लाख 84 हजार खुराकें प्रक्रियारत हैं, उन्हें अगले सप्ताह तक वितरित किया जाएगा। उन्होंने कहा,“हर छोटे राज्य के स्टॉक सात दिनों के बाद फिर से भरे जाते हैं। बड़े राज्यों के लिए, समय अवधि चार दिन की है।”इस बात पर जोर देते हुए कि टीके की कोई कमी नहीं है, स्वास्थ मंत्री ने टीकाकरण अभ्यास को और तेज करने की अपील की।

एनसीडीसी के निदेशक डॉ. एस. के. सिंह ने इन राज्यों की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण पेश किया। राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के साथ,कई जिलों में बढ़ते हर दिन के मामले, हर दिन की संक्रमण दर, राज्यों में मृत्यु दर में वृद्धि, नैदानिक ​​बुनियादी ढांचे पर पड़ रहे जोर और ज्यादा स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की जरूरतजैसे मुद्दों पर चर्चा की गयी।

राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने कोविडसंक्रमण मामलों की रोकथाम, निगरानी और उपचार के लिए की गई कार्रवाइयों सहित किए जा रहे सर्वेश्रेष्ठ प्रयासों का एक संक्षिप्त स्नैपशॉट साझा किया। लगभग सभी राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रोंने ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति बढ़ाने; अस्पतालों में रेमडेसिविर की आपूर्ति बढ़ाने; वेंटिलेटर स्टॉक बढ़ाने; और टीके के खुराक की आपूर्ति बढ़ाने जैसे मुद्दे उठाए। उनमें से कई ने मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति लाइनों को जोड़ने और रेमडेसिविर जैसी आवश्यक दवाओं की कीमतों की सीमा तय करने का मुद्दा उठाया, जो कि काला बाजारीकर अत्यधिक कीमतों पर बेची गई हैं। महाराष्ट्र में डबल म्यूटेंट स्ट्रेनप्रमुख चिंता का विषय था। दिल्ली सरकार ने केंद्रीय सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त बिस्तरें उपलब्ध करानेका अनुरोध किया जैसा 2020 में किया गया था ताकि उभरते स्वास्थ्य संकट से निपटने में मदद मिले।
गृह मंत्रालय द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के अपने वार्षिक आवंटन का 50% तक उपयोग करने की राज्यों को अनुमति देने की अधिसूचना और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एक अप्रैल, 2021 तक कोविड प्रबंधन के उद्देश्यों के तहत लंबित शेष राशि के उपयोग की मंजूरीकी अधिसूचना दोहरायी गयी।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को देश में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन प्रदान करने और रेमडेसिविर स्टॉक बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दीजो स्वास्थ्य सचिव, गृह सचिव, डीपीआईआईटी सचिव, फार्मास्युटिकल्स सचिव आदि द्वारा इस संबंध में की गई बैठकों के कारण संभव हुए।उन्हें देश में विभिन्न ऑक्सीजन निर्माताओं द्वारा राज्यों को मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति का कैलेंडर जारी करने की भी जानकारी दी गई। राज्यों में उनकी विनिर्माण इकाइयों से ऑक्सीजन सिलिंडरों के निर्बाध आवागमन के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी गई।

पिछले फरवरी से मामलों में हुई सक्रिय वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, जिसमें अधिकांश राज्यों ने अब अपनी उच्चतम सीमा को पार कर लिया है, डॉ.हर्षवर्धन ने राज्यों से मामलों में आने वाली और तेजी से निपटने के लिए अग्रिम योजना बनाने और कोविडअस्पतालों, ऑक्सीजेनेटेड बेड और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की अपील की। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे अपने प्रशासन के प्रमुख पांच-छह शहरों पर विशेष ध्यान दें, मेडिकल कॉलेजों को इन शहरों में या उनसे लगे दो-तीन जिलों से जोड़ दें। राज्यों को संक्रमित मामलों में शुरुआती लक्षणों की जल्दीपहचान करने के लिए कहा गया ताकि शीघ्र और प्रभावी उपचार से रोगग्रस्त व्यक्ति के स्वास्थ्य में होने वाली गिरावट को रोका जा सके। कम्युनिटी क्वारंटीन हासिल करनेके लिए बड़े कंटेनमेंट जोनबनाने कीरणनीति भी सुझाई गई। केंद्रीय मंत्री ने राज्यों को समन्वित आईएनएसएसीओजी (INSACOG) नोडल अधिकारियों कोपैथोजेन के जीनोमिक म्यूटेंट का आकलन करने के लिए क्लीनिकल और ऐपिडेमियोलॉजिकल तस्वीरें भेजने तथा क्लीनिकल तस्वीर के साथ सार्वजिनक स्वास्थ्य परिदृश्य को जोड़ने की कोशिश करने को कहा। एनसीडीसी के निदेशक ने म्यूटेंट स्ट्रेन से संबंधित मुद्दों को समझने की खातिरजीनोम सिक्वेंसिंग के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में उपस्थित राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के स्वास्थ्य मंत्रियों में टीएस सिंह देव (छत्तीसगढ़), श्री सत्येन्द्र जैन (दिल्ली), डॉ. के सुधाकर (कर्नाटक), डॉ. प्रभुराम चौधरी (मध्य प्रदेश), श्री राजेश टोपे (महाराष्ट्र),श्री जय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश), सुश्री केके शैलजा (केरल), डॉ. रघु शर्मा (राजस्थान) शामिल थे। सभी राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के स्वास्थ्य सचिवों, अतिरिक्त मुख्य सचिवों और प्रधान सचिवों (स्वास्थ्य) ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए बैठक में हिस्सा लिया।

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