केरल में निपाह का बांग्लादेशी वैरिएंट मिला:यह इंसानों से इंसानों में फैलता है; 2 की मौत, स्कूल-कॉलेज 2 दिन के लिए बंद
केरल
गुरुवार को सेंट्रल हेल्थ टीम कोझिकोड पहुंची। यहां निपाह वायरस से दो लोगों की मौत हुई है। केरल में अब तक पांच मामले सामने आए हैं।
केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस के बढ़ते मामलों के बीच गुरुवार 14 सितंबर को सभी स्कूल-कॉलेज दो दिनों के लिए बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। यहां निपाह वायरस से दो लोगों की मौत हो चुकी है। एक 9 साल का बच्चा आईसीयू में है।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, एक स्वास्थ्य कर्मचारी में भी निपाह वायरस की पुष्टि हुई है। इसी के साथ केरल में निपाह के अब तक पांच मामले सामने आ चुके हैं। गुरुवार को सेंट्रल हेल्थ टीम केरल के कोझिकोड पहुंची है। ये टीम जिला प्रशासन के साथ निपाह वायरस को लेकर बैठक करेगी।
बुधवार को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज की एक टीम ने निपाह वायरस की जांच के लिए मरुथोंकारा गांव से सुपारी और अमरूद के सैंपल लिए।
इससे पहले केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि प्रदेश में जिस वायरस की पुष्टि हुई है, वह बांग्लादेशी वैरिएंट है। यह इंसानों से इंसानों में फैलता है। इस वायरस से मृत्यु दर अधिक है, पर ये कम संक्रामक है।
कोझिकोड मेडिकल कॉलेज की एक टीम बुधवार को मरुथोंकारा गांव पहुंची। निपाह वायरस की जांच के लिए गांव के पेड़ों से सुपारी और अमरूद के सैंपल लिए गए हैं।
केरल के बाद कर्नाटक में निपाह वायरस का अलर्ट
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड जिले में भी अलर्ट जारी किया गया है। मेडिकल डिपार्टमेंट ने जिले में केरल से आने वाले फलों की जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही गाड़ियों की जांच के लिए सीमाओं पर चेकपोस्ट बनाने को कहा है। मंगलुरु में ब्रेन फीवर की आशंका वाले मरीजों को ऑब्जर्वेशन में रखने को कहा गया है।
कोझिकोड में 7 कंटेनमेंट जोन बनाए गए
- कोझिकोड में निपाह वायरस से पहली मौत 30 अगस्त और दूसरी मौत 11 सितंबर को हुई थी। वायरस को लेकर केरल के चार जिले- कोझिकोड, कन्नूर, वायनाड और मलप्पुरम अलर्ट पर है। अस्पतालों में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
- यहां की 7 ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। सुबह 7 से शाम 5 बजे तक सिर्फ दवाइयों और जरूरी चीजों की दुकानें ही खोलने की इजाजत है।
कोझिकोड के अयानचेरी गांव में ‘निपाह कंटेनमेंट जोन’ का साइन बोर्ड लगाकर सड़कें बंद की गई हैं।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बोलीं- 2018 जितनी खराब स्थिति नहीं
केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के शैलजा ने कहा कि निपाह वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। कोझिकोड में 2018 जितने खराब हालात नहीं हैं। तब यह वायरस हमारे लिए नया था और इससे निपटने का कोई अनुभव भी हमारे पास नहीं था। अब हमारे पास इसे रोकने के लिए जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं।
कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में 2018 में निपाह वायरस से 17 लोगों की मौत हुई थी। 2019 में निपाह वायरस का मामला कोच्चि में सामने आया था। वहीं, 2021 में भी कोझिकोड में इसका एक केस मिला था।
चमगादड़ के पेशाब या लार से फलों में वायरस फैलने का खतरा
WHO के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ और सूअर जैसे जानवरों से इंसानों में फैलता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह वायरस एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है।
बांग्लादेश और भारत के कुछ पुराने मामलों में देखा गया है कि चमगादड़ों के पेशाब या लार से फलों में भी यह वायरस फैलता है। इन फलों या इससे बने उत्पादों (जैसे जूस या ताड़ी) का सेवन करने से लोग संक्रमित हुए हैं।
संक्रमित मरीजों में लक्षण
WHO की मानें तो निपाह वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों में वायरल फीवर होने के साथ सिरदर्द, उल्टी, सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आने के लक्षण दिखते हैं। निपाह वायरस से मरने वालों की दर बहुत ज्यादा है।
अब तक इसका कोई ट्रीटमेंट या टीका (इंजेक्शन) उपलब्ध नहीं है। 1-2 हफ्ते तक लक्षण रहने पर डॉक्टर से संपर्क की सलाह दी जाती है।
निपाह का पहला मामला 25 साल पहले मलेशिया में मिला था
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था। इसी गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा। तब सूअर पालने वाले किसान इस वायरस से संक्रमित मिले थे।
मलेशिया मामले की रिपोर्ट के मुताबिक, पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े से भी इंफेक्शन फैलने के मामले सामने आए थे। मलेशिया के बाद उसी साल सिंगापुर में भी इस वायरस का पता चला था।
इसके बाद 2001 में बांग्लादेश में भी इस वायरस से संक्रमित मरीज मिले। कुछ वक्त बाद बांग्लादेश से जुड़ी भारतीय सीमा के आसपास भी निपाह वायरस के मरीज मिलने लगे।
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