कोचरों के चौक से करमीसर तक निकाली शाही सवारी, सात किमी शोभायात्रा का पुष्पवर्षा से हुआ स्वागतरथ में विराजित माँ विशला की शान से निकली सवारी, डांडियों की रही धूम, गूंजे जयकारे
बीकानेर। रविवार सुबह कोचरों के चौक से करमीसर तक माँ विशला देवी की रथयात्रा धूमधाम से निकाली गई। कोचर मंदिरात एवं पंचायती ट्रस्ट अध्यक्ष किशोर कोचर ने बताया कि कोचरों के चौक से निकली यह रथयात्रा लगभग सात किमी करमीसर स्थित माँ विशला के धाम पहुंची। रथ पर सवार विशला माता और साथ में भजनों की धूम व डांडियों की खनक के साथ इस शाही सवारी का पूरे मार्ग पर सर्वसमाज के लोगों ने पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया। रथ यात्रा कोचरों के चौक से सेठिया मोहल्ला, रांगड़ी चौक, नाहटा मोहल्ल्ला, आसानिया चौक, मोहता चौक, नत्थूसर गेट से करमीसर पहुंची। ट्रस्ट मंत्री जितेन्द्र कोचर ने बताया कि रथ यात्रा से पहले कोचरों के चौक में डांडिया तथा भक्ति संगीत कार्यक्रम का आयोजन हुआ। लाल चुनरी ओढ़ी महिलाएं और माँ के जयकारे लगाते श्रद्धालुओं का उत्साह शाही सवारी की शान बन रहा था। सुरेन्द्र कोचर ने बताया कि करमीसर स्थित माँ विशला का अभिषेक के बाद सोलह शृंगार किया गया और महाआरती कर प्रसादी वितरित की गई।
सहयोग का हुआ सम्मान खास बात यह है कि विशला माता मंदिर में धौलपुर पत्थर से पुरातन रूप देकर पिलर-तोरण निर्माण करवाए गए हैं, उक्त सौन्दर्यकरण का लोकार्पण भी आज किया गया। सौन्दर्यकरण के लाभार्थी रतनगढ़ निवासी डूंगरमल हंसराज प्रताप कोचर परिवार रहे। आयोजन में डॉ. धनपत कोचर, विजय कुमार कोचर, रिखबचंद सिरोहिया, सुंदरलाल कोचर, मोतीलाल कोचर, डॉ. संजय कोचर, सूरत के रतनलाल कोचर, कटक के अणंदभाई कोचर द्वारा सहयोगियों का सम्मान किया गया। कोचर मंदिरात ट्रस्ट को सहयोग देने वाले नौ परिवारों का अभिनंदन पत्र देकर सम्मानित किया गया। इनमें प्रतापचंद कोचर परिवार (रतनगढ़), रोशन लाल सुरेन्द्र कोचर परिवार, रिखबदास लालचंद कोचर परिवार, रिखबदास कांतिचंद कोचर परिवार, चंदनमल कोचर (रतनगढ़), सेंसकरण शांतिलाल कोचर (गंगाशहर) परिवार, अभयराज दूलीचंद कोचर परिवार, कन्हैयालाल सुशील कुमार कोचर परिवार, कन्हैयालाल सुशील कुमार कोचर परिवार, संपतलाल विनय कुमार कोचर परिवार का सम्मान किया गया। रथयात्रा में पैदल संघ के सम्पूर्ण लाभार्थी बने कोलकाता निवासी जेठमल मनीष कुमार कोचर का भी अभिनन्दन किया गया। इसके साथ ही सौन्दर्यकरण में श्रम सहयोग करने वाले श्रमिकों एवं कारीगरों का भी सम्मान किया गया। मंदिर में दो दिन तक फूलों की सजावट की गई जिसके लाभार्थी रोशनलाल सुरेन्द्र कुमार कोचर परिवार बना।
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