क्या राजेश पायलट ने गिराए मिजोरम पर बम?:एयरफोर्स में थे तब इंदिरा ने फोन किया- तुम्हें चुनाव लड़ना है, इस्तीफा दो, नाम भी बदलवाया
जयपुर
दिसंबर 1971 की बात है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने एक 26 साल का युवा पायलट था जो अभी-अभी दुश्मन देश पाकिस्तान की जमीन पर आसमान से बम बरसा कर आया था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बोला- पीएम मैडम…मेरा एक ड्रीम है…मैं राजनीति में आना चाहता हूं…। जहां अन्य पायलट केवल सैल्यूट करके आगे बढ़ रहे थे। वहीं उस पायलट ने प्रधानमंत्री से अपना सपना साझा कर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जवाब दिया- गुड…देखते हैं…।
युवा पायलट का नाम था राजेश्वर प्रसाद विधुड़ी, यानी राजेश पायलट जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वैदपुरा गांव के रहने वाले थे।
अब आप सोच रहे होंगे, अचानक राजेश पायलट का जिक्र क्यों? इसकी वजह है उनके नाम के साथ जोड़ा जा रहा विवाद। दरअसल, हाल ही में 11 अगस्त को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कांग्रेस तो वो पार्टी है, जिसकी सरकार ने 5 मार्च 1966 को मिजोरम में वायुसेना से बमबारी करवाई थी।
PM मोदी ने हालांकि किसी पायलट का जिक्र नहीं किया था, लेकिन सोशल मीडिया पर खबरें चलने लगीं कि उस बमबारी को जिन दो पायलट ने अंजाम दिया था, वो थे सुरेश कलमाड़ी और राजेश पायलट। दोनों बाद में कांग्रेस के सांसद और मंत्री बने।
सोशल मीडिया पर चली इन खबरों को भाजपा की IT सेल के राष्ट्रीय प्रमुख अमित मालवीय ने भी आगे बढ़ाया। इस पर राजेश पायलट के बेटे और राजस्थान के पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट ने 15 अगस्त को ट्वीट किया कि उनके पिता को वायुसेना में कमीशन ही अक्टूबर-1966 में मिला था तो वे मार्च-1966 में कैसे मिजोरम पर बमबारी कर सकते थे?
सचिन ने इसकी पुष्टि के लिए राजेश पायलट का नियुक्ति पत्र तक पोस्ट किया है, जो उन्हें भारतीय वायु सेना के सुप्रीम कमांडर तत्कालीन राष्ट्रपति ने दिया था।
पूरे विवाद का सच जानने के लिए राजेश पायलट से जुड़े दस्तावेजों का अध्ययन किया। साथ ही राजस्थान की राजनीति को लंबे समय से कवर कर रहे कुछ पुराने जर्नलिस्ट से भी बात की।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
राजेश पायलट का नियुक्ति पत्र, जो सचिन पायलट ने सोशल मीडिया पर शेयर किया।
इंदिरा गांधी बोलीं- तुम्हें चुनाव लड़ना है, इस्तीफा दो
राजेश्वर विधुड़ी (राजेश पायलट) को वायुसेना में अक्टूबर-1966 में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली थी। जो लोग राजस्थान की राजनीति और पायलट राजेश्वर प्रसाद विधुड़ी के जीवन से परिचित हैं, उन्हें मालूम है कि पायलट राजेश्वर सिंह ने मार्च-1966 में मिजोरम-मणिपुर (पूर्वोत्तर) में बमबारी नहीं की थी। उन्हें वायुसेना में कमीशन ही अक्टूबर-1966 में मिला था।
1971 के युद्ध में उनकी भूमिका के लिए उन्हें फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर प्रमोशन मिला। 1977 में फिर प्रमोशन मिला और वह स्क्वाड्रन लीडर बन गए। इस बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी उनके दोस्त बन चुके थे। चूंकि वह भी पायलट थे तो दोनों में खूब बनती थी।
वर्ष 1979 की एक सुबह राजेश पायलट को दिल्ली से एक फोन कॉल आया, जब वह जैसलमेर में पोस्टेड थे। दूसरी तरफ स्वयं इंदिरा गांधी थीं, जो उस वक्त PM नहीं थीं। इंदिरा गांधी ने उन्हें कहा- समय आ गया है, अब तुम्हारा ड्रीम पूरा होने वाला है…तुम्हें राजनीति में आना है…तुम्हें लोकसभा का चुनाव (1980) लड़ना है। वायुसेना से इस्तीफा दे दो…राजेश पायलट इस्तीफा देकर अगली सुबह दिल्ली पहुंच गए।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ एक राजनीतिक सभा में जाते हुए राजेश पायलट।
इस्तीफा दिया, लेकिन टिकट किसी और को मिला
राजेश पायलट ने वायुसेना से 1979 में इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा चुनाव होने में करीब छह महीने शेष थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजेश पायलट को अपने धुर प्रतिद्वंद्वी चौधरी चरण सिंह के खिलाफ मेरठ से चुनाव लड़वाना चाहती थीं। 1977 से 1980 के बीच जब इंदिरा गांधी PM नहीं थीं, तब चौधरी चरण सिंह कुछ समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। चौधरी चरण सिंह विपक्ष के सबसे बड़े नेता माने जाते थे, तो उनका रास्ता रोकने के लिए राजेश पायलट को टिकट दिया जाना था, लेकिन अंतत: किसी कारण से राजेश को टिकट नहीं दिया गया।
तब बड़ी विचित्र स्थिति बन गई। राजेश वायुसेना से इस्तीफा दे चुके थे और लोकसभा का टिकट उनको मिला नहीं था। पर नियति को कुछ और ही मंजूर था। इंदिरा ने उन्हें उनकी जन्मभूमि पश्चिमी उत्तरप्रदेश के बजाय भरतपुर (राजस्थान) से लोकसभा का टिकट दिया।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी पायलट थे। उनके साथ राजेश पायलट की मित्रता थी। राजेश पायलट ने उनके मंत्रिमंडल में बतौर मंत्री भी काम किया था।
इंदिरा गांधी ने दिया राजेश पायलट नाम
यह नामकरण भी पूर्व PM इंदिरा गांधी ने ही किया था। उन्होंने जब राजेश्वर प्रसाद विधुड़ी को भरतपुर से पहली बार 1980 में लोकसभा चुनाव लड़वाया तो कहा कि तुम पायलट हो। अब यही तुम्हारी पहचान है। बहुत लंबा नाम है राजेश्वर प्रसाद विधुड़ी। जनता के बीच जल्द स्थापित होने के लिए लोकप्रिय नाम चाहिए। तुम्हारा नाम होगा राजेश पायलट। तब से राजेश्वर सिंह विधुड़ी राजेश पायलट के नाम से जाने जाने लगे। उनके बाद उनकी पत्नी पूर्व विधायक रमा, बेटे सचिन, बहू सारा और बेटी सारिका के नाम के आगे भी पायलट ही लगता है।
राजेश पायलट पहली बार भरतपुर से चुनाव जीते। उसके बाद वह 1984, 1991, 1996 और 1999 के लोकसभा चुनाव दौसा से लड़े और लगातार जीते। वह देश के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पी. वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में केन्द्रीय मंत्री भी रहे। उन्होंने सीताराम केसरी के विरुद्ध कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का चुनाव भी लड़ा, हालांकि वह जीते नहीं थे। इसके बाद 11 जून 2000 को एक सड़क दुर्घटना में दौसा के पास ही उनका निधन हो गया।
पत्नी रमा पायलट के साथ राजेश पायलट। वह जब वायुसेना में पायलट थे, तब रमा राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर एक सक्रिय व स्थापित व्यक्तित्व थीं।
सचिन खुद भी हैं ट्रेंड कॉमर्शियल पायलट
राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट खुद भी एक ट्रेंड कॉमर्शियल पायलट हैं। वह दिल्ली फ्लाइंग क्लब में फ्लाइंग सीख चुके हैं। फिलहाल वह पिछले एक दशक से देश की टेरिटोरियल आर्मी में पदस्थ हैं। वहां भी उन्हें कैप्टन पायलट के रूप में पोस्ट दी हुई है। एक बार वर्ष 2013 में भाजपा के कुछ नेताओं ने सचिन पायलट के पायलट सरनेम पर टिप्पणी की थी कि वह कोई असली वाले पायलट नहीं केवल अपने पिता के नाम का उपयोग करते हैं। इसके बाद सचिन ने उन्हें जवाब देते हुए बताया था कि वह एक ट्रेंड कॉमर्शियल पायलट भी रहे हैं।
राजेश पायलट का दौसा स्थित स्मारक, जहां 11 जून को सचिन पायलट ने पुष्पांजलि कर एक सभा को संबोधित किया था।
इधर, मालवीय अब भी अपने दावे पर कायम
भाजपा की IT सेल के राष्ट्रीय प्रमुख अमित मालवीय अब भी अपने दावे पर कायम हैं कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी ने बतौर वायुसेना पायलट मिजोरम पर बमबारी की थी। सचिन पायलट के ट्वीट के जवाब में मालवीय ने एक ट्वीट करते हुए वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता द्वारा 7 सितंबर-2011 को लिखे एक लेख का हवाला दिया है, जिसमें गुप्ता ने लिखा था कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी ने मिजोरम में विद्रोहियों को कुचलने के लिए वायुसेना के जरिए बमबारी की थी। ऐसा मार्च 1966 में उस वक्त किया गया था, जब इंदिरा गांधी ने कुछ ही सप्ताह पहले प्रधानमंत्री पद संभाला था। मालवीय ने दावा किया है कि शेखर गुप्ता का लिखा यह लेख सितंबर-2011 के बाद कई बार विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उद्धृत (कोट) किया गया है।
भाजपा की IT सेल के राष्ट्रीय प्रमुख अमित मालवीय के ट्वीट से ही इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई।
स्पष्टवादी राजनेता थे राजेश पायलट
पत्रकार मिलाप चंद डांडिया ने बताया कि राजेश पायलट एक स्पष्टवादी, हंसमुख, मिलनसार, जनता में पकड़ वाले नेता थे। वह अक्सर अपने चुनाव क्षेत्र भरतपुर और दौसा में वाहन खुद ही चलाते थे। रास्ते में कहीं कोई ग्रामीण दिखता तो उससे बात करते थे। इंदिरा गांधी हों या कोई और वह साफ और एक बार में ही अपनी दिल की बात कहने वाले व्यक्ति थे। उनकी यही खूबी उन्हें राजनीति में लेकर आई थी, जिससे इंदिरा गांधी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाईं। वह जब वर्ष 1980 में राजस्थान पहुंचे तो फिर वह और उनका परिवार यहीं का होकर रह गया। दौसा से उनकी पत्नी रमा और बेटे सचिन भी वर्ष 2000 (उप चुनाव) और 2004 में सांसद रहे। सचिन पायलट अब राजस्थान में एक स्थापित राजनीतिक हस्ती हैं।
सचिन पायलट का दावा एकदम सही है
राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पी. एस. वर्मा का कहना है कि सचिन पायलट ने एकदम सही ट्वीट किया है। हम लोग वर्षों से राजेश पायलट और उनके परिवार के साथ रहे हैं। वह मिजोरम की घटना के वक्त बमबारी करने वाले पायलट्स में शामिल नहीं थे। मिजोरम की घटना के बाद उनका चयन (कमीशन) वायुसेना में हुआ था। मैं कई बार उनके साथ राजनीतिक यात्राओं, सभाओं, रैलियों, चुनाव प्रचार आदि में गया हूं। उनके जीवन की एक-एक घटना वह स्वयं ही बताते थे। वह अक्सर मजाक में कहा करते थे कि मैं पाकिस्तान पर बमबारी करने वाला आदमी हूं।
राजेश पायलट का अपमान कर रहे हैं झूठे लोग
हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर नारायण बारेठ का कहना है कि राजेश पायलट द्वारा बतौर वायुसेना के पायलट जो भ्रामक बातें सोशल मीडिया पर फैलाई गईं, उनके जवाब में पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट ने जो तथ्यात्मक ट्वीट किया है, वो सही है। उनके बारे में दावा करने के लिए सचिन एक अधिकृत व्यक्ति हैं। उन्होंने उनकी नियुक्ति का पत्र भी पोस्ट किया है। मैंने जब भी देखा तो पाया कि राजेश पायलट एक विनम्र व्यक्ति थे, किन्तु राजनीतिक तौर पर उनकी इच्छा थी कि वह राष्ट्रीय राजनीतिक के फलक पर नजर आएं। अब जो लोग दिवंगत व्यक्ति के बारे में भ्रामक बातें-दावे कर रहे हैं, वे उनका अपमान कर रहे हे।
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