चाय बेचकर 23 साल के इस लड़के ने खड़ी कर दी ₹150 करोड़ की कंपनी, सीमेंट गोदाम में खोली थी पहली दुकान
इस समय अधिकतर युवा चाहते हैं कि पढ़ाई खत्म होते ही अच्छी सरकारी नौकरी मिल जाए। जो बड़े संस्थानों में पढ़ते हैं, वे भी मल्टीनेशनल जॉब खोजते हैं। लेकिन आप यदि अनुभव दुबे को देखें तो उन्होंने चाय की दुकान खोल कर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी है।
नई दिल्ली: बाकी माता-पिता की तरह अनुभव के माता-पिता भी चाहते थे कि उनका बेटा पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी कर ले, इंजीनियर बन जाए। पिता का छोटा-मोटा कारोबार थे, लेकिन वो नहीं चाहते थे कि उनका बेटा बिजनेसमैन बने। पिता IAS बनाना चाहते थे, इसलिए कोचिंग के लिए इंदौर तक भेजा। लेकिन, अनुभव के शरीर में तो एक कारोबारी का खून दौर रहा था। पिता के कहने पर उसने CA की तैयारी की, फिर IAS के लिए भी तैयारी शुरू की। मगर, दिल बार-बार कह रहा था कि कुछ अपना काम शुरू करें।
सीमेंट गोदाम में खोली थी पहली दुकान
प्लान तो बना लिया, लेकिन बिजनेस करना किस चीज का है , यह तय नहीं हो पा रहा था। अनुभव और आनंद ने इसके लिए सर्वे करना शुरू किया। मोटरसाइकिल में 50 रुपये का पेट्रोल भरवाकर बाजार में घूमना शुरू किया। उन्होंने देखा कि सबसे ज्यादा लोग चाय के ठेले पर जमा होते हैं। बस यहीं से आइडिया मिला चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar) का। अनुभव घर वालों से पैसे मांग नहीं सकते थे, क्योंकि पिता उन्हें बिजनेस से दूर रखना चाहते थे। ऐसे में पूरा पैसा दोस्त आनंद ने ही लगाया। घर वाले सोच रहे थे कि अनुभव परीक्षा की तैयारी कर रहे है, लेकिन यहां को बिजनेस जगत का नया सितारा तैयार हो रहा था। साल 2016 में कम बजट के साथ उन्होंने एक सीमेंट गोदाम में अपना पहला स्टोर खोला।
अतरंगी आइडिया जो हिट हो गया
कारोबार शुरू करते वक्त जेब में ज्यादा पैसे नहीं थे। इसलिए, दुकान पर बोर्ड तक नहीं लगवाया था। उनके ज्यादातर ग्राहक स्टूडेंट्स थे। अनुभव अपनी दुकान के लिए डिफरेंट टाइप का नाम चाहते थे। दोनों दोस्तों ने मिलकर दुकान का नाम यंग और स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए ‘चाय सुट्टा बार’ (Chai Sutta Bar) रखा। चाय सुट्टा बार का नाम सुनकर आपके दिमाग में कुछ और तस्वीर बने उससे पहले ही हम बता दें कि ये ना तो कोई बार (Bar) है, जहां शराब परोसी जाती है और ना ही सिगरेट की दुकान। ये तो बस एक चाय की दुकान या कहें कि चाय का कैफे है।
गर्ल्स हॉस्टल के सामने खोला पहला आउटलेट
दोनों ने अपना पहला आउटलेट एक गर्ल्स हॉस्टल के सामने खोला। गर्ल्ड हॉस्टल के सामने लड़कों का आना तो तय था और यही उनके ग्राहक बनते। इसलिए उन्होंने गर्ल्ड हॉस्टल को अपना पहला टारगेट बनाया। दुकान पर लोगों की भीड़ दिखाने के लिए वह अपने दोस्तों को बुलाते थे। दूसरे के सामने जोर-जोर से बातें करते थे कि चाय सुट्टा बार गए हो? अच्छा कैफे है। ताकि, लोगों तक उनके कैफे का नाम पहुंच सके। अनुभव दुकान पर भीड़ दिखाने के लिए फर्जी भीड़ इकट्ठा करते थे। दोस्तों को बुलाकर वहां आवाजाही दिखाते थे, ताकि भीड़ देखकर लोग धीरे-धीरे उनकी दुकान पर आएं। उनका ये आइडिया काम करने लगा। लोगों की भीड़ वहां बढ़ने लगी। 6 महीने के भीतर ही उन्होंने 2 राज्यों में चाय सुट्टा बार की 4 फ्रेंचाइजी बेच दी।
195 शहरों में 400 आउटलेट और 150 करोड़ का कारोबार
आज देश के अलावा दुनिया के कई देशों में उनका कारोबार है। उन्होंने देश के 195 शहरों में 400 से ज्यादा आउटलेट खोल दिए। देश ही नहीं दुबई, यूके, कनाडा एवं ओमान जैसे देशों तक चाय सुट्टा बार पहुंच चुका है। आज उनकी कंपनी हर साल 100-150 करोड़ रुपये की चाय बेच देती है। सिर्फ अपने आउटलेट से उनका टर्नओवर सालाना 30 करोड़ रुपये का है। अगर सारे स्टोर्स और आउटलेट्स को मिला दें तो टर्नओवर 150 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है।
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