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चुनावों में फिर जिंदा होगा ‘कन्हैयालाल’:शुरुआत अमित शाह के दौरे से; कांग्रेस के पास भी BJP को घेरने का काउंटर प्लान

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चुनावों में फिर जिंदा होगा ‘कन्हैयालाल’:शुरुआत अमित शाह के दौरे से; कांग्रेस के पास भी BJP को घेरने का काउंटर प्लान

मेवाड़ इन दिनों चर्चा में है। चर्चा के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण कन्हैयालाल की बरसी है। सालभर पहले ही उदयपुर में कन्हैयालाल के साथ हुए उस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। दूसरा कारण है दोनों राजनीतिक पार्टियों का मेवाड़ में डेरा।

एक ओर जहां जून के महीने में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कई बार उदयपुर सहित मेवाड़ के कई दौरे कर चुके हैं। वहीं दूसरी ओर 30 जून को उदयपुर में अमित शाह का दौरा होना है। यूं तो राजस्थान में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का भी दौरा है, लेकिन बीजेपी का सबसे बड़ा फोकस उदयपुर में अमित शाह के दौरे पर है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कन्हैयालाल हत्याकांड की गूंज आने वाले चुनावों में भी सुनाई देगी। उदयपुर, मेवाड़ सहित पूरे राजस्थान में अगले विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है। राजनीतिक पार्टियां इसकी तैयारी कर चुकी हैं।

एक ओर बीजेपी जहां इसे सरकार के जनता को सुरक्षा मुहैया कराने में कांग्रेस सरकार के फेलियर के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसे पुलिस के तेज तर्रार एक्शन, अपराधियों की गिरफ्तारी और पीड़ितों की मदद के तौर पर सामने रखेगी। ध्रुवीकरण होना भी तय है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसकी शुरुआत 30 जून को अमित शाह के दौरे से हो सकती है। माना जा रहा है कि अमित शाह की सभा में कन्हैयालाल का मुद्दा गूंज सकता है। उसकी बड़ी वजह सभा का कन्हैयालाल की बरसी के आसपास ही होना भी है। हालांकि अमित शाह केंद्र में बीजेपी सरकार के 9 साल पूरे होने को लेकर उदयपुर आ रहे हैं। उनका फोकस उदयपुर लोकसभा सीट है।

कन्हैयालाल की इस दुकान की तरह ये मुद्दा भी काफी समय से ताले में था, लेकिन अब चुनावी साल आते-आते ये मुद्दा फिर जिंदा हो गया है।

कन्हैयालाल की इस दुकान की तरह ये मुद्दा भी काफी समय से ताले में था, लेकिन अब चुनावी साल आते-आते ये मुद्दा फिर जिंदा हो गया है।

सीएम बोले-कन्हैया के हत्यारों को केंद्र जल्द सजा दिलवाए

उदयपुर आतंकी हमले में मारे गए कन्हैयालाल के परिवार को एक साल बाद भी न्याय नहीं मिलने का मुद्दा सीएम अशोक गहलोत ने उठाया है। बुधवार को सीएम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जल्द न्याय की अपील की। सीएम ने कहा- यह ‘ओपन एंड शट’ केस है, जिसमें घटनाक्रम के स्पष्ट सबूत मौजूद हैं। ऐसे केस में भी एक साल तक सजा न मिलना दुखद है।

सीएम बाेले- ‘राज्य सरकार ने दुष्कर्म और हत्या के कई मामलों में फास्ट ट्रायल कर आरोपियों को एक महीने के अंदर कोर्ट से फांसी की सजा दिलवाई। इस मामले में अभी तक दोषियों को सजा नहीं हुई।’ जबकि हमले के बाद राजस्थान पुलिस ने 4 घंटे में दोनों अपराधियों को गिरफ्तार किया। पूरे राज्य में कानून व्यवस्था सामान्य बनाए रखी।

तमाम मंत्री नेता लगातार कर रहे जिक्र

कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर पिछले कुछ समय से बीजेपी के कई नेता-मंत्री अपनी बैठकों में जिक्र करते रहे हैं। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने भी इसका जिक्र किया। बीजेपी ने चुनाव नजदीक आते-आते इस मुद्दे को फिर से उठाना शुरू कर दिया है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी और वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने भी अपनी बैठकों में कन्हैयालाल मुद्दे का जिक्र किया।

सीएम अशोक गहलोत ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जल्द न्याय की अपील की।

सीएम अशोक गहलोत ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जल्द न्याय की अपील की।

बीजेपी भुनाएगी, बागेश्वर बाबा ने भी किया था जिक्र

बीजेपी आने वाले तमाम चुनाव में कन्हैयालाल हत्याकांड का मुद्दा भुनाएगी। इसका असर उदयपुर सहित पूरे मेवाड़ में देखने को मिल सकता है। विशेष तौर पर उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ में। मार्च में उदयपुर बीजेपी ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की सभा रखी थी। इसका प्रचार उदयपुर बीजेपी ने जोर-शोर से किया था।

इस सभा में धीरेंद्र शास्त्री ने कन्हैयालाल का जिक्र किया था। शास्त्री ने कहा था एक कन्हैया चला गया, अब हर घर कन्हैया। शास्त्री ने भगवा लहराने की बात कही थी। इसके बाद कुछ युवकों ने कुंभलगढ़ में हंगामा कर दिया था। इन युवकों को बाद में गिरफ्तार कर धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ उदयपुर के हाथीपाेल थाने में केस भी दर्ज किया गया था।

ध्रुवीकरण और तेली-माली वोटों पर असर

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कन्हैयालाल मुद्ददा चुनावों में वोटों के ध्रुवीकरण का भी काम करेगा। मगर यह ध्रुवीकरण किसके पक्ष में या किसके खिलाफ जाएगा ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। इसके साथ ही इस घटना का बड़ा असर माली और तेली समाज पर है। ऐसे में वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए भी पार्टियां इस मुद्दे पर अपनी नजर बनाए हुए हैं।

मार्च में उदयपुर बीजेपी ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की सभा रखी थी। इस सभा में धीरेंद्र शास्त्री ने कन्हैयालाल का जिक्र किया था।

मार्च में उदयपुर बीजेपी ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की सभा रखी थी। इस सभा में धीरेंद्र शास्त्री ने कन्हैयालाल का जिक्र किया था।

कांग्रेस हत्यारे की बीजेपी नेताओं के साथ तस्वीरों से देगी जवाब

इधर कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि ये महज एक घटना थी। मगर इसका राजनीतिकरण हुआ तो कई पहलू सामने आएंगे। जिनमें हत्याराें के बीजेपी नेताओं के साथ तस्वीरें भी एक बड़ा मसला है। इसके साथ ही कांग्रेस लॉ एंड ऑर्डर पर खुद को बचाने के लिए हत्यारों की 24 घंटे के भीतर हुई गिरफ्तारी और पीड़ितों के परिवार को आर्थिक मदद और कन्हैयालाल के बेटों की नौकरी को सामने रखेगा। सीएम अशोक गहलोत भी जब भी कन्हैयालाल मुद्दे की बात आती है तो हत्यारे के बीजेपी के साथ कनेक्शन से उसे जोड़ देते हैं।

हत्यारों को सजा नहीं होना बड़ा मसला, हर छोटे-बड़े चुनाव पर असर

जानकार और उदयपुर के लोग मानते हैं कि सालभर बाद भी कन्हैयालाल के हत्यारों को सजा नहीं होना गलत है। इसे लेकर लोगों के भीतर सवाल हैं। बीजेपी भी लगातार अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात उठा रही है। यही वजह है कि इस मुद्दे का हर छोटे बड़े चुनाव पर असर दिख सकता है।

पिछले साल इस घटनाक्रम के बाद हुए छात्रसंघ चुनावों तक में इसका असर दिखा था। चुनावों की कैम्पेनिंग के दौरान प्रत्याशियों ने इस मुद्दे को अपने-अपने तरीके से भुनाया था।

गृहमंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर उदयपुर में जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं।

गृहमंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर उदयपुर में जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं।

आदिवासियों पर बीजेपी का फोकस, अमित शाह अलग से बैठक करेंगे

बीजेपी और कांग्रेस का आदिवासियों पर फोकस है। मेवाड़ की इन 31 सीटों में से 17 आदिवासी सीटें हैं। दोनों ही पार्टियां इन सीटों पर कब्जा करना चाहती हैं। यही वजह है कि 30 जून को अपनी सभा के दौरान अमित शाह उदयपुर में आदिवासी समाज से जुड़े एक बड़े वर्ग से भी मुलाकात कर सकते हैं। इस दौरान आदिवासियों के अलग-अलग मसलों पर बात कर अमित शाह आदिवासी सीटों को साधने की कोशिश कर सकते हैं। साथ ही आदिवासी सीटों के लिए लोकसभा के हिसाब से भी प्लानिंग हो सकती है। उदयपुर और बांसवाड़ा-डूंगरपुर दोनों आदिवासी लोकसभा सीटें हैं।

दक्षिण राजस्थान बीजेपी का मजबूत गढ़

इधर अमित शाह के दौरे को देखें तो दक्षिण राजस्थान बीजेपी का मजबूत गढ़ है। यहां चाहे विधानसभा सीटों की बात हो या फिर लोकसभा सीटों की, बीजेपी काफी मजबूत है। दक्षिण राजस्थान की चारों लोकसभा सीटों पर बीजेपी काबिज है। बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अच्छे मार्जिन से उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट जीती थी। वहीं अगर विधानसभा की बात करें तो मेवाड़ से जुड़े 7 जिलों की 31 सीटों में से 16 सीटों पर बीजेपी काबिज है। वहीं सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी से 11 सीटें हैं। इसके अलावा 2 बीटीपी और 2 सीट निर्दलीयों के पास है।

30 जून को अपनी सभा के दौरान अमित शाह उदयपुर में आदिवासी समाज से जुड़े एक बड़े वर्ग से भी मुलाकात कर सकते हैं।

30 जून को अपनी सभा के दौरान अमित शाह उदयपुर में आदिवासी समाज से जुड़े एक बड़े वर्ग से भी मुलाकात कर सकते हैं।

मेवाड़ में बीजेपी काे मजबूत करने की तैयारी

लोकसभा और विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी मेवाड़ में खुद को मजबूत करने की तैयारी कर रही है। दरअसल, मेवाड़ के कद्दावर बीजेपी नेता गुलाबचंद कटारिया के असम के राज्यपाल बनने के बाद अब मेवाड़ में बीजेपी को नए कद्दावर नेता की जरूरत है। यही वजह है कि चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। ऐसे में मेवाड़ में पार्टी को फिर से मजबूत करने पर बीजेपी का फोकस है।

बीजेपी दिखाएगी एकता, वसुंधरा दिख सकती हैं नए अंदाज में

इससे पहले भी दक्षिणी राजस्थान पर बीजेपी का फोकस रहा है। पिछले कुछ महीनों को देखें तो 2020 में सितंबर में आबूरोड, नवंबर में बांसवाड़ा, अप्रैल में राजसमंद, मई में आबूरोड का दौरा पीएम नरेंद्र मोदी ने किया हैं। वहीं अब अमित शाह उदयपुर आ रहे हैं। अमित शाह के इस कार्यक्रम को बीजेपी राजस्थान में अपनी एकता के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी। इस सभा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे नए अंदाज में दिख सकती हैं। वहीं शाह भी राजे को लेकर इस सभा से नया सियासी मैसेज दे सकते हैं।

इन मुद्दों पर बीजेपी की कांग्रेस को घेरने की तैयारी

अमित शाह 30 जून को उदयपुर के गांधी ग्राउंड में होने वाली सभा में कांग्रेस को कई मुद़्दों पर घेरेंगे। सभा में एक तरफ जहां शाह बीजेपी के 9 साल के शासन के फायदे गिनाएंगे। वहीं दूसरी ओर राजस्थान में स्टेट गवर्नमेंट के फेलियर्स बताएंगे। इनमें अपराध, महिलाओं के साथ दुराचार, किसानों की समस्याएं, पेपरलीक, बम ब्लास्ट में बरी हुए आरोपी और कन्हैयालाल हत्याकांड जैसे मामले प्रमुख होंगे।

शाह की सभा से मैसेज जाएगा कि आतंकवाद देश में स्वीकार नहीं : अरुण चतुर्वेदी

पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उदयपुर में अमित शाह की सभा का जिम्मा संभाल रहे डॉ. अरुण चतुर्वेदी का कहना है कि दो जवान जिन्होंने आतंकवादियों को पकड़ा था, वो भी आतंक के साए में जी रहे हैं। आतंकवाद की पोषक बनकर ये सरकार खड़ी है। कन्हैयालाल की हत्या होने के बाद पुलिस की ढिलाई के कारण से कार्रवाई नहीं हुई। मगर बाद में एनआईए ने उसे टेकओवर किया और उसके बाद आज सारे आतंकवादी पकड़े गए हैं।

मुझे लगता है अमित शाह गृहमंत्री के नाते देश में कहीं भी आतंकवाद हो, उसे खत्म करने में लग रहे हैं। वहीं राजस्थान सरकार लगातार आतंक के साथ खड़े होने में लगी है। अमित भाई की सभा से यह संदेश भी जाएगा कि आतंकवाद को देश में किसी भी रूप से स्वीकार नहीं किया जाएगा।

हिंदू-मुस्लिम इनके लिए संजीवनी है : रघुवीर मीणा

मेवाड़ के कांग्रेस के कद्दावर नेता और सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा ने कहा कि ये अभी से इसे भुनाने में लग गए हैं। कांग्रेस के राज में घटना हुई तो अपराधियों को 24 घंटे में पकड़ लिया। पीड़ितों के दो बच्चों को नौकरी दे दी। हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद इनके लिए संजीवनी हैं।

विकास के नाम पर वोट मांग ही नहीं सकते हैं। कांग्रेस विकास के नाम पर वोट मांगेगी। राज कांग्रेस का रिपीट होगा राजस्थान में। इनसे हम डरेंगे नहीं, हमने तो जनता से जुड़े काम किए हैं। जनता फैसला करेगी कि स्टंटबाजी भला करेगी या कल्याणकारी योजनाएं। बिजली में राजस्थान सरकार किसानाें को 21-22 हजार रुपए सालाना मदद कर रही है। मोदी साल के 6 हजार मदद करके भी खुद की पीठ थपथपा रहे हैं।

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