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चेतावनी “तंबाकू से कैंसर होता है” को दबाने की हो रही साजिश: कोटपा एक्ट की धारा 7 के तहत वैद्य मघाराम कॉलोनी में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्यवाही,28 कट्टे अवैध जर्दे के पाउच किए सीज

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बीकानेर, 30 जुलाई। कोटपा एक्ट 2003 की धारा 7 के अंतर्गत बीकानेर शहर की वैद्य मघाराम कॉलोनी स्थित एक फर्म पर स्वास्थ्य विभाग के दल ने बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया है। यहां मिले 28 कट्टा अवैध जर्दा पाउच को सीज कर कानूनी कार्यवाही शुरू की गई है। 28 कट्टों में रखें 34,896 जर्दा पाउच धारा 7 के तहत अवैध पाए गए हैं। इन पर आवश्यक चेतावनी “तंबाकू से कैंसर होता है” को दबाने छिपाने का कृत्य पाया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मोहम्मद अबरार पवार ने बताया कि राज्य सरकार की जन घोषणा अनुसार तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह के निर्देशानुसार प्रदेश भर में गत 2 माह से टोबैको फ्री यूथ कैंपेन सफलतापूर्वक संचालित है जिसमें लगातार कोटपा एक्ट एनफोर्समेंट की कार्यवाहियां की जा रही है। इसी क्रम में रविवार को स्वास्थ्य विभाग के दल ने प्राप्त सूचना अनुसार कोठारी अस्पताल के पीछे वैद्य मघाराम कॉलोनी स्थित भगवानदास हरीश कुमार विजयवर्गीय फर्म पर औचक निरीक्षण की कार्यवाही की। डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा अधिकारी भानु प्रताप सिंह गहलोत, श्रवण वर्मा तथा सुरेंद्र कुमार ने स्टोरेज में रखें माल की गहन छानबीन की। गोदाम में 28 कट्टो में 34,896 गणेश 701 ब्रांड जर्दा के ऐसे पाउच मिले जिनकी पैकेजिंग पर सचित्र चेतावनी 85% से कम भाग पर पाई गई। इस प्रकार कुल 419 किलो माल को मौके पर ही सीज कर दिया गया । दल द्वारा फर्म के कथित मैनेजर हरीश कुमार गांधी को कानून के दायरे में रहते हुए सीज माल की पूर्ण सुरक्षा हेतु पाबंद किया गया। न्यायालय के निर्णय अनुसार उक्त माल को नष्ट करवाने की कार्यवाही की जावेगी। एनटीसीपी जिला सलाहकार रविंद्र सिंह शेखावत ने मौके पर पहुंचकर कार्यवाही की रिपोर्ट की।

क्या कहती है कोटपा एक्ट 2003 की धारा 7
डॉ अबरार ने बताया कि सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद विक्रय विनिमय नियंत्रण अधिनियम यानी कि कोटपा एक्ट 2003 की धारा 7 के तहत तंबाकू उत्पाद की पैकेजिंग के कम से कम 85% भाग पर निश्चित निर्धारित सचित्र चेतावनी होना आवश्यक है जिसमें तंबाकू से कैंसर के खतरे की जानकारी होती है। विक्रेता या वितरक द्वारा प्रथम बार उल्लंघन किए जाने पर ₹10000 का जुर्माना या 1 वर्ष का कारावास अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है। यही अपराध दोहराने पर ₹3000 का जुर्माना तथा 2 वर्ष के कारावास की सजा का प्रावधान है और यह कृत्य असंयोजनीय श्रेणी में आता है।

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