टीटीपी ने कराया था पाकिस्तानी एयरबेस पर हमला, तबाह किए थे 14 फाइटर जेट, 35 सैनिकों की मौत, खुलासा
Pakistan News: पिछले दिनों पाकिस्तान के पंजाब में आने वाले मियांवाली में पाकिस्तान एयरफोर्स (पीएएफ) के बेस पर आतंकी हमला हुआ है। जहां पाकिस्तान की सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने इस पर चुप्पी साधी हुई है तो वहीं विशेषज्ञ इसे सबसे बड़ी चुनौती करार दे रहे हैं। हमले के पीछे टीटीपी का नाम सामने आ रहा है।
पाकिस्तान के एयरबेस पर आतंकी हमले में 9 आतंकी मारे गए
रावलपिंडी: पिछले हफ्ते पाकिस्तान की मिलिट्री को इतिहास के सबसे बड़े झटके का सामना करना पड़ा है। पंजाब के मियांवाली में स्थित पाकिस्तान एयरफोर्स (पीएएफ) के बेस पर अज्ञात आतंकियों ने हमला बोल दिया। हमले की खबर कुछ ही घंटों में पूरी दुनिया तक फैल गई। हैरानी की बात है कि इस आतंकी हमले पर खुद पाकिस्तान की सेना ने चुप्पी साधी हुई है। विशेषज्ञों की मानें तो अब समय है जब पाकिस्तान की सेना को राजनीति से हटकर अपने मसलों पर ध्यान देने तक जरूरत है। जो जानकारियां आ रही हैं उसके मुताबिक इस आतंकी हमले ने पाकिस्तान की मिलिट्री को काफी नुकसान पहुंचाया है।
सेना को सबसे बड़ा झटका
बताया जा रहा है कि तीन नवंबर को मियांवाली एयरबेस पर हुए हमले में पाकिस्तान की वायुसेना के 14 एयरक्राफ्ट नष्ट हो गए तो वहीं 35 जवानों की मौत हो गई। लंदन के किंग्स कॉलेज में वॉर स्टडी डिपार्टमेंट के साथ बतौर सीनियर फेलो तैनात आयशा सिद्दीका के मुताबिक पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां इस गलतफहमी में थीं कि उन्हें आतंकवाद से निजात मिल गई है। लेकिन मियांवाली में हुआ हमला उनकी आंखें खोलने वाला था। एमएम आलम एयर बेस पर हुए हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने वेबसाइट द प्रिंट में लिखे अपने आर्टिकल में कहा है कि आतंकियों ने इस हमले के जरिए पाकिस्तान की वायु सेना के एक ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर सबसे कठिन लक्ष्य पर कब्जा करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने की कोशिश की थी।
टीटीपी से जुड़े संगठन ने दिया अंजाम
इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े संगठन तहरीक-ए-जेहाद पाकिस्तान (टीजेपी) ने ली है। टीटीपी और उसके कई गुटों ने पाकिस्तान में आसान और मुश्किल दोनों ही तरह के लक्ष्यों को निशाना बनाया है। साल 2009 में सेना जनरल मुख्यालय (जीएचक्यू), साल 2011 में मेहरान नौसैनिक एयरबेस, 2012 में मिन्हास एयरबेस और 2015 में बडाबेर नॉन-फ्लाइंग एयरबेस शामिल हैं। ताजा हमला यह बताने के लिए काफी है कि आतंकवाद की समस्या अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। आतंकी तत्व हमले के बाद फिर से पहले वाली स्थिति में आ गए हैं।
देश के सुरक्षा विशेषज्ञों को चिंता सता रही है कि मियांवाली हमला, पंजाब में आतंकवाद के दूसरे दौर की शुरुआत हो सकता है। उनकी मानें तो इस हमले के बाद सेना को नींद से जागने की जरूरत है। देश की मिलिट्री को हिंसा संवेदनशीलता को सामने लाना होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हमला पाकिस्तान के लिए विभाजन की एक और वजह बन सकता है।
सेना का दावा गलत साबित
पाकिस्तान की सेना ने आतंकियों के खिलाफ कई बड़े आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किए थे। साल 2017 में ऐसा ही एक अभियान रद्द-उल-फसाद लॉन्च किया गया था। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने देश से आतंकवाद को मिटा दिया है। कुछ लोग इस दावे से सहमत नहीं थे। कभी भी इस बात की कल्पना नहीं की गई थी कि आतंकी हमला करेंगे और वह भी पीएएलफ के बेस को निशाना बनाने में कामयाब रहेंगे। पंजाब में मियांवाली वह जगह है जिसे आमतौर पर सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है।
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