तीन कारण, जो इंसान को बना देते हैं ‘जानवर’:क्यों इंस्पेक्टर के बेटे ने बैट से पीट-पीटकर हत्या कर दी; चाचा के परिवार को जिंदा जलाया
जयपुर
इंस्पेक्टर के बेटे ने मामूली कहासुनी के बाद पिता के सामने एक युवक की बेट से पीट-पीटकर हत्या कर डाली। राजधानी जयपुर में हुई इस घटना ने सबको हैरान कर दिया है।
जोधपुर में भी कुछ महीने पहले एक 19 साल के युवक ने महज अफवाह के चलते अपने चाचा के पूरे परिवार की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। फिर 6 महीने की बच्ची को जिंदा जला दिया।
इसी तरह सीकर में 15 साल के किशोर ने बॉल नहीं देने पर बुजुर्ग महिला की चाकू से 15 वार कर निर्मम हत्या कर दी।
आखिर किन कारणों से बच्चे ‘जानवर’ बन गए? क्या ये कोई दिमागी बीमारी है? मनोचिकित्सक की मदद से इस मामले का एनालिसिस करवाया। एक्सपर्ट ने बताया कि पर्सनालिटी डिसऑर्डर के तीन ऐसे फेक्टर हैं, जिनका समय रहते इलाज नहीं होने पर बच्चे बड़े होकर ऐसे जघन्य अपराधों को अंजाम देते हैं, जिन्हें सुनकर रूह तक कांप जाती है। पढ़िए- संडे बिग स्टोरी में
जयपुर में 2 अप्रैल को जिस तरह से मर्डर किया गया उससे युवाओं की मानिसक स्थिति को लेकर भी कई सवाल हैं?
इंस्पेक्टर के बेटे ने क्यों की हत्या?
जयपुर के रजनी विहार कॉलोनी में इंस्पेक्टर प्रशांत शर्मा के बेटे क्षितिज शर्मा ने मामूली कहासुनी को लेकर 2 अप्रैल को एक युवक के सिर पर बैट से मारकर उसकी हत्या कर दी। युवक इससे पहले भी आठ लोगों के साथ मारपीट कर चुका था। इस केस के हर पहलू को जानने के बाद मनोचिकित्सकों ने बताया कि किन कारणों से 23 साल का क्षितिज हत्यारा बन गया…
कारण-1 : इंस्पेक्टर पिता ने उसके हर अपराध को छुपाया
इंस्पेक्टर प्रशांत के बेटे क्षितिज ने पिछले एक महीने में 8 लोगों के साथ मारपीट की थी। उसे पहले उसने दो सब्जी ठेले वालों के सिर फोड़ दिए थे। पिता ने बेटे को डांटने और सुधारने की बजाय अपराधों पर पर्दा डाला। इससे क्षितिज को लगा कि वो जो भी कर रहा है, सब सही है। इसके बाद हत्या से तीन दिन पहले उसने एक लड़की के साथ भी छेड़खानी की थी।
इसके बावजूद उसके पिता ने अपने पद का रोब दिखाते हुए केस दर्ज नहीं होने दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि इस घटना के तीन दिन बाद पिता के सामने ही क्षितिज ने मोहनलाल की बैट से मारकर हत्या कर दी। यहां भी उसके पिता उसके अपराध पर पर्दा डालने के मोहनलाल को अस्पताल भर्ती करवाकर घर आ गए।
आरोपी युवक पर किन बातों का असर? : परिवार से तय होता है बच्चा इंसान बनेगा या….
साइकेट्रिस्ट डॉ. मनस्वी गौतम ने बताया कि बच्चे पेरेंट्स को देखकर उनकी तरह व्यवहार करते हैं। बचपन में अगर किसा का पिता उसकी मां के साथ मारपीट करता है तो बड़े होने पर उसे भी महिलाओं के साथ मारपीट करना सही लगेगा। घर में किसी को नशा करने की आदत है तो बच्चे भी इस तरफ आकर्षित होते हैं। वे भी बड़े होकर नशा करने में संकोच नहीं करेंगे।
कारण- 2 : ड्रग एडिक्ट था आरोपी युवक
रजनी विहार कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने बताया कि क्षितिज ड्रग एडिक्ट था। उसके दोस्त और वो ड्रग लेते थे। दोस्तों की संगत के कारण ही क्षितिज नशे का आदि हुआ। नशे के कारण वो राह चलते लोगों के साथ मारपीट करता था। कॉलोनी में क्षितिज का इस कदर खौफ था कि लोग उसके पास जाने से डरते थे। लोग डरते थे कि वो कब किस पर हमला कर दे, पता नहीं।
नशे की लत में क्षितिज कई लोगों से मारपीट कर चुका था, हत्या से तीन दिन पहले लड़की से छेड़छाड़ का मामला भी सामने आया था।
आरोपी युवक पर किन बातों का असर?: संगत का असर
साइकेट्रिस्ट डॉ. मनस्वी गौतम ने बताया कि हर शख्स अपने व्यवहार के अनुसार अपने दोस्तों को चुनता है। इसे ही हम संगत कहते हैं। अगर किसी शख्स का दोस्त टॉपर है तो वो उसे भी ज्यादा नंबर लाने का प्रयास करेगा। वैसे ही अगर किसी का दोस्त बदमाश है तो उनके बीच बदमाशी करने का कॉम्पिटिशन रहता है। इस एज में बच्चे निगेटिव चीजों के प्रति बहुत जल्दी आकर्षित होते है। ज्यादातर बच्चे इसी उम्र में नशे के आदि होते हैं।
कारण-3 : बेटे के सामने पिता ने शराब पीकर हंगामा किया
29 मार्च को सीआई प्रशांत शर्मा वैशाली नगर में स्थित एक रेस्टोरेंट में पार्टी के लिए गए थे। प्रशांत शर्मा और उसके दोस्तों ने रेस्टोरेंट के रूफटॉप में शराब पीने लगे तो स्टाफ ने मना कर दिया। इस पर प्रशांत और उसके बेटे क्षितिज का रेस्टोरेंट के स्टाफ से झगड़ा हो गया। सीआई प्रशांत ने खुद को डीआईजी बताते हुए पैसे भी देने से मना कर दिया फिर स्टाफ के साथ मारपीट भी की। पिता को यह सब करते देख क्षितिज ने भी वहां मारपीट की।
इंस्पेक्टर प्रशांत शर्मा के बेटे क्षितिज ने बिल मांगने पर रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ की थी। शराब पीकर हंगामा किया था।
आरोपी युवक पर किन बातों का असर? : सोसाइटी, मूवीज, ऑनलाइन गेम्स भी टिगर करते हैं
सोसाइटी भी आपकी पर्सनालिटी डेवलपमेंट में अहम भूमिका निभाती है। सोसाइटी में युवा जब किसी अपराधी को लग्जरी कारों में, घर और समाज में इज्जत पाते देखते हैं तो उन्हें लगता है अपराध करना गलत नहीं है। वे अपराधी को अपना रोल मॉडल बना लेते हैं। इसी तरह मूवीज, वेब सीरीज में हीरो को विलेन के रोल में देखकर उन्हें लगता है, अपराधी भी हीरो ही होते हैं।
डिसऑर्डर….जिनका इलाज नहीं करवाने पर बच्चे बन जाते हैं अपराधी
हमारे बच्चे को अकेले रहना पसंद है, इसे बस गुस्सा ज्यादा आता है, हमारा बच्चा तो सीधा है, दोस्तों ने इसे बिगाड़ दिया। साइकेट्रिस्ट डॉ. सुनिल शर्मा ने बताया कि आपने कई पेरेंट्स को अपने बच्चों के बचाव में यह कहते सुना होगा। लेकिन यह कोई व्यवहार में बदलाव की मामूली बात नहीं, यह पर्सनालिटी डिसऑर्डर की निशानी है। बच्चों में आमतौर पर 3 तरह के डिसऑर्डर होते हैं, अगर समय रहते थेरेपी से इलाज नहीं करवाने पर आगे चलकर यह खतरनाक हो सकते हैं।
1. एंटी सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर
एंटी सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर से ग्रसित लोगों को समाज में रहने वाले दूसरे लोगों के साथ गलत करने से फर्क नहीं पड़ता है। उन्हें अपने फायदे के लिए दूसरे लोगों के साथ मारपीट करने, चिड़ाने, मजाक बनाना अच्छा लगता है। इसमें इंसान बार-बार झूठ बोलता है, दूसरे की भावनाओं की कद्र नहीं करता और ना ही किसी की इज्जत करता है। अपने फायदे के लिए दूसरे लोगों को धोखा देंगे। धीरे-धीरे इस डिसऑर्डर से शख्स गुस्सैल हो जाता है। उसे छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आने लगता है।
2. बॉर्डर लाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर
बॉर्डर लाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर से ग्रसित लोगों का मूड अचानक बदल जाता है। वे कब किस बात पर गुस्सा हो जाए पता नहीं लगता है। इन्हें नेगेटिव और रिस्की चीजें हमेशा आकर्षित करती हैं। इस डिसऑर्डर के शिकार लोग ड्रग एडिक्ट आसानी से हो जाते हैं। इन्हें अकेले होने का डर रहता है कि परिवार और उनके चाहने वाले लोग कहीं उन्हें छोड़कर नहीं चले जाएं। इसके लिए वे लोगों से झूठ भी ज्यादा बोलते हैं। इसमें लोग अपने आप को भी चोट पहुंचाते हैं।
जोधपुर के रामनगर गांव के एक ही परिवार के चार लोगों को उनके भतीजे ने ही जिंदा जला दिया था।
3. नार्सिस्टिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर
नार्सिस्टिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर से ग्रसित लोग अपने आप को सबसे स्पेशल मानते हैं। इन्हें सिर्फ खुद से मतलब होता है। अगर आप उनकी पसंद की चीजें कर रहे हैं तो आप ठीक हैं और जो उन्हें पसंद नहीं है अगर आप वैसे कर रहे हैं तो यह आपको को नुकसान पहुंचाएंगे। इन्हें हर समय खुद की तारीफ सुनना पसंद होता है। दूसरों को बहुत जलन होती है। इनके बारे में अगर कोई कुछ गलत कमेंट करते है तो यह उनको नुकसान पहुंचाते है। इनका किसी से रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चलता है।
साइकेट्रिस्ट डॉ. सुनिल शर्मा का कहना है कि 10 साल की उम्र के बाद आप पर्सनालिटी डिसऑर्डर को पहचान कर अपने बच्चे का थैरेपी से इलाज करवा सकते हैं। बच्चे को अपराधी बनने से बचा सकते हैं।
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