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देवउठनी एकादशी पर कोटा में अनूठी शादी, दूल्हा-दुल्हन ने मंडप पर ही ले लिया ये संकल्प

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देवउठनी एकादशी पर कोटा में अनूठी शादी, दूल्हा-दुल्हन ने मंडप पर ही ले लिया ये संकल्प

Kota Inspirational Wedding Story: कोटा में एक जोड़े ने बेहद सादे तरीके से अनोखी शादी की। दूल्हा-दुल्हन ने शादी के मंडप में ही अनूठा प्रेरणादायक संकल्प लिया। दुल्हन बनी डॉ. निधि प्रजापति ने शादी की तमाम रस्मों और सात फेरों के बाद पति अर्जुन अरविंद के साथ परिवारजनों और रिश्तेदारों की मौजूदगी में देहदान का लिखित संकल्प लिया।

हाइलाइट्स

  • दुल्हन निधि खुद डॉक्टर नहीं बन पाई लेकिन मेडिकल स्टूडेट्स के लिए अनूठा संकल्प लिया
  • दूल्हे अर्जुन के साथ निधि ने मेडिकल कॉलेज के लिए देहदान का संकल्प लिया
  • शादी के मंडप पर ही नवविवाहित जोड़े ने लिया मरणोपरांत देहदान का संकल्प

कोटा: देवउठनी एकादशी के अबूझ सावे पर गुरुवार को राजस्थान में हजारों शादियां हुईं। इन शादियों में लाखों लोग रस्मों-रिवाजों के साक्षी भी बने। इन्हीं में से एक शादी कोटा में हुई। यहां भी रस्मों-परम्परों के अनुरूप दूल्हा-दुल्हन ने मंडप में सात फेरे लिए, लेकिन इसके साथ ही एक अनूठा संकल्प भी लिया। यह संकल्प ही नहीं इस शादी का सादगी से हुआ आयोजन भी लोगों के लिए प्रेरणादायक था। जहां सामान्यत: शादियों में दहेज, टेंट, दावतों पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। वहीं इस जोड़े ने शादी में बिना किसी खर्चे के बेहद सादे तरीके से शादी की रस्में निभाई।

यह शादी तिरुपति बालाजी मंदिर में स्थापित मंडप पर हुई। देश के भावी डॉक्टरों के उत्तम अध्ययन के लिए अपने देहदान का संकल्प लिया। 25 नवंबर को राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भारी संख्या में लोगों से एक अच्छी सरकार बनाने के लिए मतदान करने की अपील भी की। ये जोड़ा है समाज सेविका सोसाइटी हैस ईव शी इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा डॉ. निधि प्रजापति और जर्नलिस्ट अर्जुन अरविन्द का।

पति के साथ लिया मरणोपरांत देहदान करने का निर्णय

डॉ. निधि प्रजापति बताती है वह खुद फिजिशियन डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन किन्ही परिस्तिथियों के कारण वह चिकित्सक नहीं बन सकी। ऐसे में उन्होंने पहले पीएचडी करके अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाया, फिर अपने जीवन के नए सफर की शुरुआत में अपने पति को अपने शरीर को एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे, डॉक्टर्स की पढ़ाई के लिए देहदान की इच्छा जताई। इसपर अर्जुन अरविन्द ने स्वयं भी उनके साथ मरणोपरांत देहदान करने का निर्णय लिया।

कोटा मेडिकल कॉलेज में कैडवर की कमी

डॉ. निधि प्रजापति ने कहा ये निर्णय इसलिए लिया क्योंकि सोशल मीडिया पर ऐसे कई डॉक्टर्स के विडियो अपलोड है, जिसमें उनकी तरफ से भावी डॉक्टर्स की अच्छी पढ़ाई के लिए लोगों से मरणोपरांत अपने देहदान करने की अपील की गई है। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार एमबीबीएस की पढाई के लिए दस विद्यार्थियों पर एक कैडवर (डेड बॉडी) होना चाहिए। जबकि भारत में आज भी कैडवर की भारी कमी है। अकेले कोटा मेडिकल कॉलेज में ही 250 विद्यार्थियों पर केवल 8 से 10 कैडवर हैं। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन से 15 कम हैं, जिसकी कमी के चलते गहन अध्ययन की कमी रह जाती है।

गौरतलब है कि डॉ. निधि और अर्जुन पहले ही अपना नेत्रदान संकल्प ले चुके हैं। सात फेरे लेने के तुरंत बाद ही, समाज को बड़ा संदेश देते हुए, मरणोपरांत अपना देहदान दान का भी संकल्प लिया। दोनों का कहना है कि उनके इस संसार से जाने के बाद दूसरों को रौशनी मिल सके और अब एमबीबीएस विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए देहदान का संकल्प भी ले लिया।

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