तिरुपति देवस्थानम बोर्ड में वितरण होने वाले प्रसादम की जांच के लिए श्रेयांस बैद द्वारा प्रेषित पत्र पर केंद्र सरकार द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने पर बैद ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया है। बैद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए लिखे पत्र में बताया की मंदिर से निकली प्रसाद की बात से एक और भगवान के भक्तो को अत्यंत दुःख हुआ पर भगवान के मंदिर से निकली बात से देश के १४० करोड़ उपभोक्ताओं को भी झकझोर कर रख दिया है।
नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइंस के घटक तेलगु देशम पार्टी के वरिष्ठ नेता व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू के कथन ₹ ३२०/- का घी नकली ही होगा जो देश के सभी उपभोक्ता के लिए नया मुद्दा बन गया है जिस पर भी आवश्यक कार्यवाही की जरूरत है भारत में १९८६ के बाद २०१९ में नया उपभोक्ता संरक्षण कानून प्रकाश में आने के बाद से ये और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
देश भर में दूध के उत्पादन की तुलना के बावजूद जितना घी चाहिए मिल जाता है आम भाषा में एक किलो घी बनाने के लिए कितना दूध चाहिए ये भी देखने योग्य है जबकि ६ किलो दूध में एक किलो मावा बनकर तैयार होता है ।
देश के १४० करोड़ उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर सवालिया निशान खड़ा तब होता है जब वो घी के रूप में चर्बी युक्त घी खा रहा होता है बिकने वाले घी पर देशी घी,गाय का घी, घी, डेयरी प्योर प्रोडक्ट या इतने स्लोगन की पूरे नाम उच्चारण नही कर सकते इतने घी के ब्रांड बाजार में है जो घी के नाम पर आम उपभोक्ता की बैंड बजा रहे हैं जिनके नामो पर भी रोक लगनी चाहिए।
अब देश भर में इस बात को लेकर एफएसएसएआई द्वारा घी के असली नकली पर नकेल कसने की आवश्यकता है पैकेजिंग कमोडिटी एक्ट के माध्यम से घी के प्रोडक्ट पर जिस पदार्थ से निर्मित घी है ये लिखना जरूरी किया जाना आवश्यक हो गया है पूजा रस या नॉन ब्रेडिंग काऊ नाम पर प्रतिबंध जरूरी है।
अगर चर्बी है तो प्रोडक्ट पर रेड लेबल लगाया जाना जरूरी है जिससे आम आदमी को ये जानकारी हो की ये घी चर्बी युक्त है और जो खा रहा है वो नॉन वेजिटेरियन है।
बैद ने बताया की देश भर के उपभोक्ता संगठन इस आशय को लेकर काम कर रहे है जिसमे उनकी भूमिका भी पिछले २४सालो से निरंतर उपभोक्ता संरक्षण में कार्य करने की रही है ।
नायडू बाबू के ये उद्गार गौर करने योग्य है की ३२०/- किलो की रेट में मंदिर में घी आ रहा था जबकि देश में बिकने वाले हजारों ब्रांड जो होलसेल में २६०/- २९०/- ३२०/- ३६०/- लीटर की दर पर उपलब्ध है वो भी अपने आप को देशी घी सिद्ध करते है जिन पर अधिकतम खुदरा मूल्य के गड़बड़ झाले से लोग उसे ही सही मान बैठते है जबकि वो सही है ही नही मोटे मुनाफे के चक्कर में छोटे दुकानदार इसलिए ये बेचते है ।
जबकि उनको असली की जगह नकली माल बेचने से परहेज भी नही है ।
इसके दूसरी ओर जो कंपनी अपने प्रोडक्ट पर वनस्पति लिख कर विक्रय कर रहे उन्होंने अपनी स्वीकार्यता को स्वीकार करते हुए उपभोक्ता को जागरूक किया है ।
देश भर में चल रहे इस गोरख धंधे पर तुरंत प्रभाव से आवशयक कार्यवाही किए जाने आग्रह भारत सरकार के मत्स्य पशु पालन डेयरी विभाग के अंतर्गत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मानद प्रतिनिधि एवम कंज्यूमर कंफेडरेशन ऑफ इंडिया के जिलाध्यक्ष श्रेयांस जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेज कर मांग की है ।
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