धोखा, मर्डर और यमन में मौत की सजा:पति ऑटो ड्राइवर, केरल की नर्स को बचाने के लिए चाहिए 1.6 करोड़ ब्लड मनी
नई दिल्ली
‘मेरी पत्नी निमिषा प्रिया यमन के सरकारी हॉस्पिटल में नर्स थी। ये हॉस्पिटल राजधानी सना में है। काम ठीक चल रहा था, इसलिए निमिषा ने सोचा कि क्यों न खुद का हॉस्पिटल खोल लें। यमन में कोई विदेशी नागरिक हॉस्पिटल नहीं खोल सकता, इसलिए हमने पहचान के एक शख्स तलाल को पार्टनर बना लिया। यहीं से हमारे बुरे दिन शुरू हो गए। अब निमिषा तलाल के मर्डर केस में जेल में है। उसे मौत की सजा मिली है। ब्लड मनी देकर ही हम उसे बचा सकते हैं।’
ये कहने वाले निमिषा के पति टॉमी थॉमस को उम्मीद है कि वे अपनी पत्नी को बचा लेंगे। टॉमी अब भारत में रहकर पत्नी निमिषा को बचाने की कोशिश में लगे हैं। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से करीब 200 किमी दूर थोडुपुझा में उनका घर है। टॉमी ऑटो चलाते हैं। उन पर एक करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। उनकी 9 साल की एक बेटी है, जिसे उन्होंने चर्च के अनाथालय में छोड़ दिया है।
निमिषा 6 साल से यमन की सना जेल में बंद हैं। निमिषा की मां को दिल्ली हाईकोर्ट ने यमन जाने की इजाजत दे दी है। वे वहां ब्लड मनी सैटलमेंट, यानी तलाल के परिवार को पैसे देकर मामले को सुलझाने और निमिषा की सजा माफ करवाने की कोशिश करेंगी। तलाल की फैमिली ने 2022 में ब्लड मनी के तौर पर 5 करोड़ यमनी रियाल, यानी 1.6 करोड़ रुपए मांगे थे।
टॉमी थॉमस के साथ निमिषा ने 2011 में शादी की थी। इसके एक साल बाद दोनों यमन की राजधानी सना चले गए थे।
मर्डर कैसे हुआ था? टॉमी बताते हैं, ‘यमन में हॉस्पिटल खोलने के लिए हमने वहां के नागरिक तलाल अब्दो मेहदी को पार्टनर बनाया था। हॉस्पिटल शुरू हो गया तो तलाल निमिषा से छेड़छाड़ और मारपीट करने लगा। उसका पासपोर्ट भी रख लिया। पासपोर्ट लेने के लिए निमिषा ने एक दिन उसे नशे का इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज से उसकी मौत हो गई।’
यमन जाने से पहले निमिषा प्रिया पलक्कड़ में रहती थीं। उनके पेरेंट्स मजदूर हैं। निमिषा के साथ यमन में क्या हुआ था, कैसे वो मर्डर केस में फंस गईं, अब उनके भारत लौटने के कौन से रास्ते हैं, दैनिक भास्कर ने ये सवाल उनके पति, वकील और निमिषा की आजादी के लिए कैम्पेन चला रही संस्था के लोगों से पूछे। पढ़िए ये रिपोर्टः
2012 में यमन गईं, वहां हॉस्पिटल में नर्स की जॉब मिल गई
34 साल की निमिषा ने 2008 में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की और कुछ दिनों बाद केरल के प्राइवेट हॉस्पिटल में नौकरी शुरू की। 3 साल बाद निमिषा ने अपने घर पलक्कड़ से 160 किमी दूर थोडुपुझा के टॉमी से शादी कर ली।
2012 में निमिषा और टॉमी यमन चले गए। निमिषा को वहां के एक हॉस्पिटल में नर्स की नौकरी मिल गई। टॉमी ने इलेक्ट्रिशियन का काम शुरू किया।
आगे की कहानी टॉमी थॉमस ने बताई-
हॉस्पिटल के लाइसेंस के लिए लोकल लोगों की मदद ली, वही मुसीबत बन गए
यमन जाने के कुछ महीने बाद निमिषा प्रेग्नेंट हो गई। 2014 में यमन में इतनी सैलरी नहीं मिलती थी कि ठीक से गुजारा हो सके। निमिषा अपने काम में परफेक्ट थी, इसी वजह से हमने हॉस्पिटल खोलने का प्लान बनाया।
निमिषा जिस हॉस्पिटल में काम करती थी, उसका मालिक शेख अब्दुल लतीफ था। हॉस्पिटल में कई मरीज आते थे। हमने सोचा कि अपना हॉस्पिटल होगा तो थोड़े ज्यादा पैसे मिल जाएंगे। जिंदगी ठीक से चलने लगेगी।
अब्दुल के हॉस्पिटल के सामने तलाल के भाई का बुटीक था। तलाल अक्सर हॉस्पिटल में आता-जाता था। निमिषा की उससे जान-पहचान हो गई। हमें लगा कि तलाल हमारी मदद कर सकता है।
सना के जिस हॉस्पिटल में निमिषा नर्स थी, उसी के सामने तलाल के भाई का बुटीक था। वहीं आने-जाने के दौरान तलाल से निमिषा की मुलाकात हुई थी।
तलाल हॉस्पिटल के लिए लाइसेंस दिलाने और फ्री में पेपर वर्क कराने के लिए तैयार हो गया। यहां तक तो सब सही चल रहा था, फिर एक दिन अब्दुल को ये बात पता चल गई कि निमिषा अपना हॉस्पिटल खोलने वाली है।
अब्दुल नहीं चाहता था कि निमिषा उसका हॉस्पिटल छोड़कर जाए। वो हमारे हॉस्पिटल खोलने में अड़चन पैदा करने लगा। वो कहता था कि मेरे साथ काम करो या इंडिया लौट जाओ।
यमन की राजधानी सना में तलाल और अब्दुल के साथ मिलकर निमिषा ने ये हॉस्पिटल खोला था।
एक-दो महीने तक अब्दुल ने हमें बहुत परेशान किया। इसलिए तलाल के साथ हमने पार्टनरशिप के एग्रीमेंट में अब्दुल को भी जोड़ लिया। अब्दुल को प्रॉफिट में 33% हिस्सेदारी चाहिए थी। उसने लाइसेंस का काम फ्री में कराया था।
अप्रैल, 2015 में हॉस्पिटल खुल गया। रोज एक से दो हजार डॉलर की कमाई होने लगी। उसी दौरान यमन में युद्ध शुरू हो गया। इसके बावजूद अस्पताल से ठीक-ठाक आमदनी हो रही थी।
2015 में हम बेटी को लेकर केरल अपने घर आ गए। तब तक यमन में युद्ध से हालात ज्यादा खराब हो गए थे। निमिषा को हॉस्पिटल की चिंता थी, इसलिए वो अकेले यमन चली गई। उसके यमन अकेले पहुंचते ही तलाल उसे परेशान करने लगा।
2016 में निमिषा एक दिन कैशियर से हिसाब लेने गई तो उसने कहा कि आपके पति तलाल पैसे लेकर चले गए। तब निमिषा को पहली बार पता चला कि तलाल सबसे कहता है कि उसने निमिषा से शादी कर ली है। तलाल ने फर्जी पेपर भी बनवा लिए थे। पेपर पर हाथ से लिखा था कि निमिषा उसकी पत्नी है। तलाल ने निमिषा और मेरी शादी की फोटो एडिट करके अपनी फोटो लगवा ली।
तलाल अक्सर नशे में रात में अस्पताल पहुंच जाता और निमिषा को परेशान करता। निमिषा ने पुलिस से शिकायत की तो पुलिस ने दोनों को जेल भेज दिया। दोनों जेल से छूटे, तब भी तलाल का व्यवहार नहीं बदला। वो हॉस्पिटल से जबरन पैसे ले जाने लगा। निमिषा पर पाबंदियां लगा दीं। उसे मुझसे बात करनी होती थी, तो मोबाइल में सिम बदलकर करती थी।
2015 में यमन के लिए वीजा सर्विस बंद हो गई, टॉमी निमिषा के पास लौट नहीं पाए
यमन में युद्ध की वजह से 2015 में इंडियन गवर्नमेंट ने भारतीयों के यमन जाने पर रोक लगा दी। वीजा सर्विस भी बंद हो गई। उधर, तलाल की हरकतें बढ़ रही थीं, दूसरी तरफ मैं यमन नहीं जा पा रहा था।
2016 में निमिषा और तलाल के बीच झगड़े काफी बढ़ चुके थे। उसी दौरान निमिषा का वीजा खत्म हो गया। इसे रिन्यू कराने के लिए किसी लोकल की जरूरत थी। यमन का कोई नागरिक जिम्मेदारी ले, तभी वीजा रिन्यू हो सकता था। तलाल ने वीजा रिन्यू कराने के बहाने निमिषा का पासपोर्ट ले लिया।
मारपीट कर दोस्तों के साथ सेक्स का दबाव बनाता था
तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट छिपा लिया था। ऐसे में वो विरोध भी नहीं कर पा रही थी। तलाल रात में नशे में निमिषा के घर आता और उससे मारपीट करता। कई बार दोस्तों को घर ले आता और निमिषा पर उनके साथ सेक्स करने के लिए दबाव बनाता था।
निमिषा ने कई बार पुलिस स्टेशन में तलाल की शिकायत की, वो जेल भी गया। जेल से छूटकर आता तो फिर परेशान करने लगता। हॉस्पिटल की इनकम भी तलाल अपने पास रखने लगा था।
तलाल से झगड़े की वजह से एक बार पुलिस ने निमिषा को भी जेल भेज दिया था। जेल की वॉर्डन निमिषा को पहचानती थी। निमिषा ने उसे बताया कि तलाल ने उसका पासपोर्ट रख लिया है, इसीलिए वो इंडिया नहीं लौट पा रही है। वॉर्डन ने उसे सलाह दी कि तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर पासपोर्ट निकाल सकती है। निमिषा किसी भी तरह पासपोर्ट हासिल कर अपने पति और बेटी के पास इंडिया लौटना चाहती थी।
निमिषा और टॉमी की बेटी अब 9 साल की हो चुकी है। टॉमी की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि बेटी को उन्होंने चर्च के अनाथालय में रखा है।
निमिषा के घर में तलाल ड्रग्स ले रहा था, तभी निमिषा ने इंजेक्शन लगा दिया
निमिषा का इरादा तलाल को मारने का नहीं था। वो सिर्फ उससे अपना पासपोर्ट लेना चाहती थी। एक दिन तलाल नशे में निमिषा के घर आया और ड्रग्स लेने लगा। तभी निमिषा ने उसे नशे का इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन लगते ही तलाल जमीन पर गिरा और मर गया। बाद में पता चला नशे के ओवरडोज से उसकी जान चली गई।
तलाल की मौत के बाद घबराहट में निमिषा ने घर के निचले फ्लोर पर रहने वाली अपनी दोस्त हनान को बुलाया। हनान ने सोचा कि किसी को पता न चले, इसलिए उसने तलाल के शव के कई टुकड़े किए और फेंक दिया।
कोर्ट ने हनान को भी निमिषा के साथ दोषी करार दिया है, लेकिन हनान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। हनान और निमिषा को अगस्त 2017 में यमन पुलिस ने अरेस्ट किया था। ट्रायल कोर्ट ने 2020 में निमिषा को मौत की सजा दी।
2019 में एक सोशल वर्कर को निमिषा के केस का पता चला
यमन की कोर्ट में निमिषा के केस की सुनवाई शुरू हुई थी। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वकील हायर करतीं। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें एक वकील दिया। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की गई तो तलाल के परिवार की आपत्ति पर दया याचिका खारिज कर दी।
2019 में एडवोकेट और सोशल वर्कर दीपा जोसफ को अखबार की एक कटिंग मिली। इससे उन्हें निमिषा के केस के बारे में पता चला। दीपा 2017 से विदेश में फंसे नागरिकों का केस लड़ रही हैं।
दीपा बताती हैं, ‘मैंने 3 दिन में निमिषा के परिवार को ढूंढ लिया। फिर यमन में रहने वाले एक्टिविस्ट और बिजनेसमैन सैम्युल जीरोम भास्कर से कॉन्टैक्ट किया। उन्होंने जेल में जाकर निमिषा से हमारी बात कराई।
सैम्युल शुरुआत से निमिषा की मदद कर रहे हैं। उन्होंने यमन सरकार और वहां के अफसरों से भी पैरवी की थी। हमने सैम्युल और यमन के 2 नागरिकों के साथ मिलकर निमिषा का केस दोबारा कोर्ट में पहुंचाया।
गृहयुद्ध ने निमिषा का केस उलझाया
यमन में हूती विद्रोहियों और सऊदी अरब के बीच गृह युद्ध चल रहा है। विद्रोहियों ने यमन के सबसे बड़े शहर सना को कब्जे में ले लिया है। जनवरी, 2015 में उन्होंने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के बाद सत्ता अपने हाथ में ले ली। इसके बाद निमिषा का केस और उलझ गया।
दीपा बताती हैं, ‘युद्ध की वजह से यमन की कोर्ट में याचिका डालना बहुत मुश्किल हो गया था। पेपर वर्क बहुत मुश्किल था। कोर्ट के पेपर को ट्रांसलेट कराना भी टफ था। 2017 तक निमिषा प्रिया की कहानी भारत की मीडिया में सुर्खियां बनाने लगी थीं। 2020 में हमने ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ बनाई।’
‘काउंसिल की तरफ से 2021 में केरल के हर सांसद और विधायक को लेटर लिखा गया। मैं केंद्रीय विदेश एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन से मिलने गई। केरल सरकार और विदेश मंत्रालय ने 2021 में भारतीय दूतावास के जरिए एक वकील नियुक्त करने के लिए कहा, लेकिन तब कोविड का दौर था। प्रतिबंधों की वजह से वकील यमन नहीं जा सका।’
‘भारत सरकार ने अपने खर्च पर निमिषा प्रिया के लिए यमन में काउंसलर नियुक्त किया था। ट्रायल कोर्ट में निमिषा की याचिका 2022 में खारिज हो गई। यमन की सबसे बड़ी अदालत ने भी 13 नवंबर 2023 को अपील खारिज कर दी।’
निमिषा की रिहाई के लिए उनकी मां प्रेमा प्रिया ने लड़ाई शुरू की। अब उन्हें यमन जाने की इजाजत मिल गई है।
अब ब्लड मनी से ही बच सकती है जान
यमन के मौजूदा कानून के तहत मौत की सजा पाए कैदी को कोई राहत मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसे में निमिषा को बचाने के लिए सिर्फ ब्लड मनी देने का ही रास्ता बचता है। ब्लड मनी मतलब, निमिषा का परिवार तलाल के परिवार से माफी मांगे और उसकी मौत के बदले जितनी रकम मांगी जाए, वो दे दे। दोनों पक्षों में समझौता होने के बाद ही कोर्ट दोषी की सजा माफ कर सकता है।
दीपा ने बताया, ‘एक बार सैम्युल ने ब्लड मनी से समझौते की कोशिश की थी। इसके लिए तलाल के परिवार की तरफ से आए शेख के साथ बात भी की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।’
एडवोकेट रामचंद्रा 2021 से निमिषा का मामला देख रहे हैं। वे बताते हैं, ‘यमन के गृह युद्ध की वजह से निमिषा का केस कुछ समय के लिए दब गया था। 2020 में यमन की कोर्ट ने निमिषा को दोषी करार दिया, तो यमन में रह रहे भारतीयों को इस बारे में पता चला। 2021 में ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने कानूनी मदद के लिए मुझसे कॉन्टैक्ट किया।’
अब दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया है
यमन की सुप्रीम कोर्ट ने निमिषा की सजा माफ करने वाली याचिका को खारिज करके ब्लड मनी का ऑप्शन दिया है। कई बार याचिका की सुनवाई करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर को विदेश मंत्रालय से राय ली। मंत्रालय ने यमन न जाने की सलाह दी।
12 दिसंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने निमिषा की मां प्रेमा प्रिया को यमन जाने की इजाजत दे दी। प्रेमा अपने साथ कुछ लोगों को लेकर यमन जा सकती हैं, लेकिन भारत सरकार की इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। भास्कर ने विदेश मंत्रालय के गल्फ डिवीजन को भी ई-मेल कर उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है।
Add Comment