नेपाल के लिए ‘ग्वादर पोर्ट’ बना पोखरा एयरपोर्ट! चीन ने भारत के पड़ोसी को कर्ज के मकड़जाल में फंसाया
Nepal Pokhara Airport China: चीन ने नेपाल को अरबों रुपये के कर्ज जाल में बुरी तरह से फंसा दिया है। चीन ने नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट को बनाया था लेकिन अभी तक वहां कोई भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान नहीं आ रही है। वहीं नेपाल को अब साल 2026 से चीन का कर्ज लौटाना है। पोखरा एयरपोर्ट का हाल ग्वादर पोर्ट जैसा होता जा रहा है।
हाइलाइट्स
- भारत का एक और पड़ोसी देश नेपाल अब चीन के कर्ज में बुरी तरह से फंस गया है
- नेपाल को उम्मीद थी कि पोखरा एयरपोर्ट का निर्माण देश में पर्यटन को बढ़ावा देगा
- हालांकि हुआ इसका उल्टा और नेपाल अरबों रुपये के चीनी कर्ज के महासंकट में फंसा
नेपाल चीन के कर्ज में फंसा, चीनी कंपनी द्वारा बनाए गए पोखरा एयरपोर्ट को बेकार कर दिया
काठमांडू: भारत का पड़ोसी देश नेपाल चीन के कर्ज में बुरी तरह से फंस गया है। नेपाल को उम्मीद थी कि वह पोखरा एयरपोर्ट का निर्माण करके देश में पर्यटन को बढ़ावा देगा लेकिन हुआ इसका उल्टा और वह अरबों रुपये के चीनी कर्ज के महासंकट में फंस गया है। अब नेपाल को आने वाले कई साल तक चीन का यह कर्ज लौटाना होगा। नेपाल का भी ठीक वही हाल हो गया है जो पाकिस्तान का है जहां ग्वादर में विकास के नाम पर चीन ने अरबों डॉलर का कर्ज लाद दिया है। चीन अब बीआरआई के जरिए पाकिस्तान को अपना ‘आर्थिक गुलाम’ बना चुका है और ग्वादर से लेकर अपने शिंजियांग प्रांत सीपीईसी कॉरिडोर बना रहा है।
नेपाल ने 1 जनवरी 2023 को पोखरा एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था जिसे चीन के कर्ज की मदद से चीनी कंपनी ने बनाया है। इस एयरपोर्ट पर पहला विमान नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का उतरा था। चीन का बनाया यह एयरपोर्ट नेपाल के लिए भूतिया साबित हो रहा है और करोड़ों डॉलर खर्च करना बेकार हो गया है। इस एयरपोर्ट पर कोई भी विदेशी एयरलाइन नहीं आ रही है। अब नेपाल सरकार को चीन का करोड़ों डॉलर का कर्ज लौटना पड़ रहा है। इस एयरपोर्ट को बनवाने के लिए नेपाल ने चीन से 21 करोड़ 50 लाख डॉलर का कर्ज लिया था।
चीन के बीआरआई दावे की नेपाल ने निकाली हवा
चीन का दावा है कि नेपाल का यह प्रॉजेक्ट बीआरआई का हिस्सा है लेकिन नेपाल के विदेश मंत्री ने इसे खारिज किया है। अब विश्लेषक पोखरा एयरपोर्ट की तुलना पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से कर रहे हैं। चीन और पाकिस्तान का दावा था कि सीपीईसी परियोजना से ग्वादर दुबई की तरह से विकसित होगा लेकिन अब हालत यह है कि जिन्ना का देश ड्रैगन का कर्ज तक नहीं लौटा पा रहा है। आलम यह है कि पाकिस्तान अब डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंच गया है। पोखरा एयरपोर्ट को चीनी कंपनी ने बनाया है।
इस एयरपोर्ट पर एक विमान उतरा भी तो वह चीन का था। चीन ने इसके लिए फंड दिया था। चीन का दावा था कि पोखरा एयरपोर्ट पर साल 2025 तक करीब 3 लाख अंतरराष्ट्रीय यात्री उतरेंगे। अभी हालत यह है कि एक भी इंटरनैशनल फ्लाइट यहां नहीं आती है। नेपाल ने साल 1976 में इस एयरपोर्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था लेकिन यह लटका रहा। इस एयरपोर्ट को बनाने का काम साल 2016 में शुरू हुआ और खर्च का अनुमान करीब 30 करोड़ डॉलर लगाया गया था।
चीन के कर्ज में बुरी तरह से फंस गया है नेपाल
इसमें से चीन के बैंक से 21 करोड़ 50 लाख डॉलर का कर्ज मिलना था। दक्षिण एशियाई बैंक ने 3 करोड़ 70 लाख डॉलर का कर्ज दिया। ओपेक फंड ने 1 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया। चीन बीआरआई परियोजना के जरिए अमेरिका के प्रभुत्व को खत्म करके अपना प्रभाव जमाना चाहता था। इसीलिए उसने भारत के पड़ोसी देश को लोन दिया। एयरपोर्ट के बनने के बाद चीन ने इसे बीआरआई का हिस्सा बताना शुरू कर दिया जबकि नेपाल ने इसे खारिज किया है। चीन ने इस एयरपोर्ट पर अपनी सुरक्षा तकनीक लगाई है। नेपाल को अब साल 2026 से इस कर्ज को लौटाना है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन जानबूझकर ऐसे कदम उठा रहा है ताकि दुनिया में उसका प्रभाव बढ़े। जो हाल पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का हुआ अब वही नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट का हो रहा है।
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